डूंगरपुर. जनजाति उपयोजना क्षेत्र के आदिवासी किसानों को अब बिजली के बिल की झंझट से पूरी तरह से मुक्ति मिल जाएगी. केंद्र सरकार की कुसुम योजना के तहत किसान को सिर्फ 10 प्रतिशत की राशि पर 5 लाख रुपए का सोलर प्लांट लगाकर मिलेगा. यह राशि भी किसान को जेब से नहीं देनी होगी. किसान जो बिजली सरकार को बेचेगा, उसमें से ही इस राशि की भरपाई की जाएगी.
केंद्र सरकार की ओर से किसानों को आर्थिक स्थिति में सुधार और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही बिजली बिल के झंझट से मुक्ति दिलाने के लिए कुसुम योजना की शुरुआत की गई है. इस योजना में कोई भी किसान अपने खेत पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाकर बिजली का उत्पादन कर सकता है. सौर ऊर्जा यूनिट को लगाने का खर्च करीब 5 लाख रुपए तक है. इस योजना के तहत सोलर प्लांट पर 30 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार और 30 प्रतिशत राशि राज्य सरकार की ओर से दी जाएगी. इसके अलावा 30 प्रतिशत राशि नाबार्ड की ओर से उपभोक्ता को संयंत्र लगाने के लिए जाएगी.
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वहीं बाकी 10 प्रतिशत राशि उपभोक्ता को भरनी पड़ती है. लेकिन इसमें भी सरकार ने किसान को राहत दी है. किसान सोलर प्लांट से जो बिजली का उत्पादन होगा, इसमें से अपने खेत और घर पर उपयोग के बाद, जो बिजली बचेगी, उसे विभाग को बेच भी सकता है. बेची जाने वाली बिजली पर सरकार किसान को प्रति यूनिट भुगतान करेगी. जो उसके शेष राशि में से पहले भरपाई होगी. भरपाई राशि पूरी होने के बाद किसान को नगद भुगतान भी किया जाएगा. इससे किसान की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा.
डूंगरपुर में 24 हजार किसानों को फायदा
राज्य में लागू कुसुम योजना में टीएसपी क्षेत्र में रहने वाले अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए टीएडी की ओर से 10 प्रतिशत राशि देने का निर्णय किया गया है. जिले भर में करीब 24 हजार किसानों को इसका फायदा मिलेगा. वहीं एसटी वर्ग के किसानों को लाभ देने के लिए 1 प्रतिशत राशि भी टीएडी ही वहन करेगी. इस हिसाब से यहां के किसानों को सिर्फ कागज के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करना है.
इसके लिए किसानों को 3 एचपी के सोलर सिस्टम लगाने के लिए पहले 24 हजार, 5 एचपी के लिए 40 हजार और साढ़े 7 एचपी के लिए 60 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं. ऐसे में अब यह सारा पैसा टीएडी वहन करेगा.
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किसानों को इसका लाभ 'पहले आओ और पहले पाओ' की तर्ज पर मिलेगा. इस बिजली से होने वाले मुनाफे से परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. इसके अलावा किसान को बार-बार बिजली कटौती की झंझट से भी मुक्ति मिल जाएगी. वहीं रात के समय खेतों में पानी की सिंचाई की समस्या भी दूर होगी.