डूंगरपुर. "शुद्ध के लिए युद्ध" अब केवल अभियान तक सिमट कर रह गया है. सरकार से लेकर विभाग भी केवल खास तीज और त्योहार पर शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलाकर खानापूर्ति की जा रही है, जबकि लोगों को सालभर मिलने वाली खाद्य सामग्री की शुद्धता का पता भी नहीं चल पाता. इसके पीछे मुख्य वजह है जिले में डेढ़ साल से खाली पड़ा फूड इंस्पेक्टर का पद. हालांकि सरकार ने अभियान के तहत केवल 20 दिन के लिए फूड इंस्पेक्टर की नियुक्ति करते हुए टारगेट दे दिए है, लेकिन अभियान की सफलता पर अब भी संशय के बादल है और लोगों को शुद्ध खाद्य सामग्री मिल पाएगी या नहीं इस पर भी सवाल खड़े हो रहे है.
आमजन को शुद्ध और गुणवत्तायुक्त खाद्य सामग्री मिले इसके लिए राज्य सरकार की ओर से प्रत्येक जिले में चिकित्सा विभाग के तहत खाद्य सुरक्षा विभाग बनाकर खाद्य निरीक्षक (food inspector) के अलग से पद स्वीकृत है. फूड इंस्पेक्टर की ओर से समय-समय पर जिले में मिलावटी और गुणवत्ताहीन खाद्य सामग्री की जांच की जाती है.
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वहीं, आमजन की शिकायतों पर भी सैंपलिंग की जाती है, ताकि लोगों को शुद्ध खाद्य सामग्री उपलब्ध हो सके, लेकिन डूंगरपुर जिले की बात करे तो यहां पिछले डेढ़ साल से फूड इंस्पेक्टर का पद रिक्त है. इसी वजह से यहां जिले में खाद्य सामग्री पर अभियान के तहत नाममात्र की कार्रवाई हुई है. जबकि नवरात्रि के बाद देश मे सबसे बड़ा दिवाली का त्योहार आने वाला है. इस दौरान सबसे ज्यादा मिठाई ओर खाद्य सामग्री का उपयोग होता है. मिष्ठान भंडार से लेकर होटल और दुकानों पर कई वैरायटियों की मिठाईयां, दूध से बनी हुई खाद्य सामग्री, घी, तेल और अन्य कई खाद्य सामग्री की खरीदारी होती है.
ईटीवी भारत ने जिले में फूड इंस्पेक्टर के खाली पद को लेकर जानने का प्रयास किया तो पता चला कि 11 मार्च 2019 से ही पद खाली है. इसके बाद से ही उदयपुर जिले के फूड इंस्पेक्टर के पास डूंगरपुर का अतिरिक्त चार्ज है, जो कभी-कभार जिले में आकर सैंपलिंग करते हैं, लेकिन जिले में स्थाई फूड इंस्पेक्टर का पद खाली रहने से सैंपल का अभियान प्रभावित होता है.
1 साल में सिर्फ 41 सैंपल, 9 फैल
ईटीवी भारत ने जिले में खाद्य पदार्थो की जांच को लेकर अब तक कि गई कार्रवाई की पड़ताल की तो पाया कि 1 अक्टूबर 2019 से लेकर अब तक जिले में केवल 41 खाद्य सामग्री के सैंपल लिए गये है. जिसमें से 9 सैंपल फैल हो गए यानी कुल सैंपल का 21 प्रतिशत सैंपल फैल हो गए. जो जिले में मिल रही खाद्य सामग्री के गुणवत्ताहीन होने का सबसे बड़ा प्रमाण है. वहीं, इसी में से 4 सैंपल इसी महीने 15 और 16 अक्टूबर को लिए है, जिसमें एक मिल्क केक और 3 घी के नमूने है, जिनके सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं.
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सिर्फ 20 दिनों के लिए फूड इंस्पेक्टर
दिवाली पर हर साल सरकार की ओर से 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान चलाया जाता है. इस बार भी सरकार ने 26 अक्टूबर से 11 नवंबर तक शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलाने के आदेश दिए हैं. इसके तहत प्रत्येक जिले में फूड इंस्पेक्टर को प्रतिदिन मिलावटी खाद्य सामग्री पर सैंपलिंग की कार्रवाई करनी है, लेकिन कई जिलों में फूड इंस्पेक्टर के खाली पद इस अभियान की सफलता के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी. ऐसे में सरकार ने अभियान के दौरान इस समस्या को दूर करने तीसरा रास्ता निकाला जिसमें फूड इंस्पेक्टर की स्थायी नियुक्ति की जगह केवल अभियान के तहत फूड इंस्पेक्टर लगाए गए हैं.
खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से 21 अक्टूबर को जाए आदेश के तहत प्रत्येक जिले में खाद्य पदार्थों की जांच के लिए टीमो का गठन किया गया है, जिसमे डूंगरपुर जिले में भी इस अभियान के तहत अजमेर से फूड इंस्पेक्टर गोविंद सहाय गुर्जर को फूड इंस्पेक्टर लगाया गया है, लेकिन अभियान समाप्त होते ही वे वापस अपने जिले में चले जाएंगे और खाली पद खाली ही रह जाएगा.
खुली मिठाइयों पर एक्सपायरी डेट चुनैती
फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने एक अक्टूबर से मिठाइयों की दुकानों में रखी प्रत्येक मिठाई पर एक्पायरी डेट लिखना अनिवार्य कर दिया है. नई गाइडलाइन जारी करते हुए इसे सख्ती से लागू करने के भी निर्देश दिए हैं, लेकिन खुली मिठाई या खाद्य सामग्री पर बनाने और एक्सपायरी की तारीख लिखना भी चुनौती है. हालांकि कुछ मिष्ठान भंडार की ओर से तारीख लिखी जा रही है, लेकिन जहां नहीं लिख रहे उन पर किसी तरह की कार्रवाई होते भी नहीं दिख रही है.