डूंगरपुर. राजस्थान के डूंगरपुर में परंपरा के नाम पर अंधविश्वास का 'खेल' देखने को मिला है, जहां मौते के बाद परिवार वाले आत्मा लेने अस्पताल पहुंच गए. 6 महीने पहले चाचा-भतीजे की कोरोना से मौत के बाद परिवार के लोग आत्मा लेने पहुंचे. वार्ड में जाकर पूजा-अर्चना कर दोनों की आत्मा को बुलावा दिया. आत्मा के आने का प्रतिकात्मक दिपक जलाकर ढोल-धमाके के साथ घर के लिए रवाना हो गए. उस दीपक को घर के मंदिर में रखकर पूजा-अर्चना की जाएगी.
सीमलवाड़ा पंचायत समिति के चाडोली गांव (Chadoli Village of Dungarpur) के जीवालाल पारगी ने बताया कि उसके मामा सुखलाल भगोरा उम्र 40 वर्ष की 16 मई को डूंगरपुर अस्पताल में कोरोना से मौत हो गई थी. जबकि उनके काका देवजी भगोरा (60 वर्ष) की 10 दिन बाद 26 मई को कोरोना से मौत हुई थी. दोनों को डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज के कोविड डेडिकेटेड हॉस्पिटल में भर्ती करवाया था.
जीवालाल पारगी ने बताया कि मामा सुखलाल और उनके काका देवजी की मौत के बाद उनकी आत्मा 6 महीने से अस्पताल में भटक रही थी. आत्मा की शांति के लिए आदिवासी परंपरा के अनुसार उसे घर ले जाकर पूजा-अर्चना करना जरूरी था. चाडोली गांव से मृतक सुखलाल भगोरा की पत्नी चेतन, बेटा मयंक (12) व कुलदीप (9) के साथ परिवार के जितेंद्र भगोरा, चंदूलाल भगोरा समेत पुरुष व महिलाएं हॉस्पिटल पहुंचे. कोविड हॉस्पिटल के पोर्च में पहले पूजा की थाल सजाई, जिसमें फूल-माला, कुमकुम, दीपक लेकर परिवार के लोग वार्ड तक गए, जहां दोनों की मौत हुई थी. वार्ड में पूजा करते हुए सुखलाल व देवजी भगोरा की आत्मा को बुलावा दिया और फिर आत्मा के आने का प्रतिकात्मक दीपक जलाकर उसे लेकर हॉस्पिटल से बाहर आ गए.
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आत्मा के प्रतिकात्मक दीपक को घर में रखने से होगी सुख और शांति...
जीवालाल ने बताया कि आदिवासी समाज में मान्यता है कि आत्मा को लेकर घर से पूजा-अर्चना करने से उसकी आत्मा भटकती नहीं है। आत्मा की पूजा से घर-परिवार में भी खुशहाली रहती हैं और किसी तरह का संकट नहीं आता है. जीवालाल ने बताया कि आदिवासी समाज (Superstition in Tribal Tradition) में आत्मा ले जाने की परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है. इसमें व्यक्ति की जिस जगह पर मौत हुई है, वहां परिवार के लोग एक साथ जाते हैं और फिर पूजा-अर्चना कर ढोल-धमाके के साथ आत्मा को लेकर आते हैं. हालांकि, वैज्ञानिक व डिजिटल युग में इसे अंधविश्वास ही कहा जाएगा, लेकिन आदिवासी समाज इस परंपरा को आज भी निभा रहा है और इसमें उनकी मान्यता भी है.