डूंगरपुर. गांवों के विकास की पहली सीढ़ी ग्राम पंचायतों को 2 साल से बजट नहीं मिला है, जिससे गांवों में विकास के काम अटक गए हैं. वहीं उधारी में चले कामों का भुगतान भी नहीं मिला है. इससे खफा जिले के सरपंचों के कलेक्ट्री पर विरोध प्रदर्शन करते हुए सरकार से जल्द भुगतान करवाने की मांग रखी है.
जिले में सरपंच संघ के बैनर तले जिले के सरपंच गुरुवार को कलेक्ट्री के सामने एकत्रित हुए और मुख्यमंत्री से अपनी मांगे रखी. सरपंच संघ के जिलाध्यक्ष लीलाराम वरहात ने बताया कि कोरोना काल में नरेगा योजना गरीबों के लिए एक वरदान साबित हुई है लेकिन योजना में काम करने वाले श्रमिकों और मैटेरियल सप्लाई करने वाले व्यापारियों को समय पर भुगतान नहीं मिल रहा है. सरपंचों ने बताया कि मटेरियल मद में पिछले 2 साल से बजट नहीं मिला है. जिस कारण उधारी में जो काम करवाये गए, उसका भुगतान के लिए व्यापारी अब उनका गला पकड़ रहे हैं. बजट नहीं होने से भुगतान नहीं होने के साथ ही विकास के सभी काम भी ठप हो गए हैं.
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सरपंच संघ ने राज्य सरकार से जल्द भुगतान करने, नरेगा योजना में श्रमिकों की संख्या 20 से बढ़ाकर ग्राम पंचायत की मांग अनुसार करने, कोरोना में मृत सरपंचों के आश्रितों को राजकीय कर्मचारियों के समान लाभ देने सहित 6 प्रकार की मांगों को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है. वरहात ने बताया कि सरकार उनकी मांगों पर शीघ्र गौर नहीं करती है तो जिलेभर के सरपंचों को एक बार फिर आंदोलन की राह पर उतरना पड़ेगा.
डूंगरपुर में अब महिलाएं चलाएंगी ई-रिक्शा
घर का चूल्हा-चौका करने वाली आदिवासी महिलाएं अब ई-रिक्शा चलाते हुए नजर आएंगी. जिससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. जिले के 13 आदिवासी महिलाओं को राजीविका मिशन के तहत ई-रिक्शा प्रदान की गई.
जिला कलेक्ट्रेट परिसर में आयोजित समारोह में राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन सिंह, डूंगरपुर-बांसवाड़ा सांसद कनकमल कटारा, जिला कलेक्टर सुरेश कुमार ओला, जिला प्रमुख सूर्या देवी, सभापति अमृत कलासुआ ने सीमलवाड़ा क्षेत्र के स्वयं सहायता समूहों की 13 आदिवासी महिलाओं को ई-रिक्शा की चाबी प्रदान की गईं. इसके बाद महिलाएं अपने पति, भाई के साथ ई-रिक्शा में बैठी और अतिथियों ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
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जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंजली राजोरिया ने बताया कि श्यामाप्रसाद मुखर्जी अर्बन मिशन योजना के तहत सीमलवाड़ा क्षेत्र के भादर, घुवेड और बांसिया क्लस्टर के 13 समूह की एक-एक महिला को ई-रिक्शा प्रदान की गई है. इसका मुख्य उद्देश्य आदिवासी क्षेत्र की महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने के साथ ही उन महिलाओ का आर्थिक स्तर ऊपर उठाना है. ये महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों में ई-रिक्शा चलाएगी. जिससे होने वाले आर्थिक लाभ से अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकेगी.
सीईओ ने बताया कि योजना के तहत क्षेत्र में कई तरह की रोजगारपरक योजनाएं चलाई जा रही है, जिससे क्षेत्र के लोगो को फायदा मिल रहा है. आदिवासी क्षेत्र में महिलाये अधिकतर घर मे चूल्हा-चौका की जिन्दगी से बाहर नहीं आ पाती है, लेकिन इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकेगी.