डूंगरपुर. ऐसी मान्यता है कि इस तरह से इंद्रदेव प्रसन्न होकर बारिश करते है. सुथार समाज के लोगो ने बताया कि बारिश के लंबे इंतजार के बाद भी बारिश की बेरुखी पर इंद्रदेव को मनाने समाज की ओर से कई अनुष्ठान किए जाते हैं. इसके तहत समाज की महिलाएं भजन-कीर्तन करते हुए मंदिर दर्शन करती हैं और भगवान की पूजा अर्चना करते हुए बारिश की कामना की जाती है.
इसके बाद महिलाओं की ओर से डेटक माता बनाकर बच्चों के साथ समाज के घर-घर घूमते हुए डेटक माता को जल चढ़ाया जाता है. इसके बाद हर घर के लोग अपनी श्रद्धा से अनाज, चना, मक्का या अन्य खाद्य सामग्री भेंट देते हैं. इसी खाद्य सामग्री की बाद में महिलाओं की ओर से घुघरी (गुड़ के साथ मिलाकर) प्रसाद बनाया जाता है, जिसे बाद में भगवान इंद्रदेव को प्रसाद का भोग लगाया जाता है.
इस दौरान महिलाएं भजन-कीर्तन और गरबा खेलते हुए इंद्रदेव को मनाने के जतन करते हैं. इसके बाद घुघरी का प्रसाद सभी को वितरण किया जाता है. सुथार समाज की महिलाएं इस परंपरा को बरसो से निभा रही हैं. मान्यता है कि इस तरह भगवान इंद्रदेव प्रसन्न होते हैं और बारिश होती है.