ETV Bharat / state

बारिश की कामना के लिए महिलाओं ने डेटक माता की पूजा कर बनाया घुघरी का प्रसाद - gughari worship

बारिश की बेरुखी के बाद इंद्रदेव को मनाने के लिए लोग कई तरह के जतन कर रहे हैं. सुथार समाज की महिलाओं ने बारिश की कामना के लिए एक अनूठी परंपरा निभाई. इसके तहत डेटक माता (मेंढक) की पूजा की गई और फिर घरों से एकत्रित अनाज की घुघरी बनाकर प्रसाद इंद्रदेव को चढ़ाया गया.

महिलाओं ने डेटक माता की पूजा कर बनाया घुघरी का प्रसाद
author img

By

Published : Jul 24, 2019, 5:40 PM IST

डूंगरपुर. ऐसी मान्यता है कि इस तरह से इंद्रदेव प्रसन्न होकर बारिश करते है. सुथार समाज के लोगो ने बताया कि बारिश के लंबे इंतजार के बाद भी बारिश की बेरुखी पर इंद्रदेव को मनाने समाज की ओर से कई अनुष्ठान किए जाते हैं. इसके तहत समाज की महिलाएं भजन-कीर्तन करते हुए मंदिर दर्शन करती हैं और भगवान की पूजा अर्चना करते हुए बारिश की कामना की जाती है.

महिलाओं ने डेटक माता की पूजा कर बनाया घुघरी का प्रसाद

इसके बाद महिलाओं की ओर से डेटक माता बनाकर बच्चों के साथ समाज के घर-घर घूमते हुए डेटक माता को जल चढ़ाया जाता है. इसके बाद हर घर के लोग अपनी श्रद्धा से अनाज, चना, मक्का या अन्य खाद्य सामग्री भेंट देते हैं. इसी खाद्य सामग्री की बाद में महिलाओं की ओर से घुघरी (गुड़ के साथ मिलाकर) प्रसाद बनाया जाता है, जिसे बाद में भगवान इंद्रदेव को प्रसाद का भोग लगाया जाता है.

इस दौरान महिलाएं भजन-कीर्तन और गरबा खेलते हुए इंद्रदेव को मनाने के जतन करते हैं. इसके बाद घुघरी का प्रसाद सभी को वितरण किया जाता है. सुथार समाज की महिलाएं इस परंपरा को बरसो से निभा रही हैं. मान्यता है कि इस तरह भगवान इंद्रदेव प्रसन्न होते हैं और बारिश होती है.

डूंगरपुर. ऐसी मान्यता है कि इस तरह से इंद्रदेव प्रसन्न होकर बारिश करते है. सुथार समाज के लोगो ने बताया कि बारिश के लंबे इंतजार के बाद भी बारिश की बेरुखी पर इंद्रदेव को मनाने समाज की ओर से कई अनुष्ठान किए जाते हैं. इसके तहत समाज की महिलाएं भजन-कीर्तन करते हुए मंदिर दर्शन करती हैं और भगवान की पूजा अर्चना करते हुए बारिश की कामना की जाती है.

महिलाओं ने डेटक माता की पूजा कर बनाया घुघरी का प्रसाद

इसके बाद महिलाओं की ओर से डेटक माता बनाकर बच्चों के साथ समाज के घर-घर घूमते हुए डेटक माता को जल चढ़ाया जाता है. इसके बाद हर घर के लोग अपनी श्रद्धा से अनाज, चना, मक्का या अन्य खाद्य सामग्री भेंट देते हैं. इसी खाद्य सामग्री की बाद में महिलाओं की ओर से घुघरी (गुड़ के साथ मिलाकर) प्रसाद बनाया जाता है, जिसे बाद में भगवान इंद्रदेव को प्रसाद का भोग लगाया जाता है.

इस दौरान महिलाएं भजन-कीर्तन और गरबा खेलते हुए इंद्रदेव को मनाने के जतन करते हैं. इसके बाद घुघरी का प्रसाद सभी को वितरण किया जाता है. सुथार समाज की महिलाएं इस परंपरा को बरसो से निभा रही हैं. मान्यता है कि इस तरह भगवान इंद्रदेव प्रसन्न होते हैं और बारिश होती है.

Intro:डूंगरपुर। बारिश की बेरुखी के बाद इंद्रदेव को मनाने के लिए लोग कई तरह के जतन कर रहे है। सुथार समाज की महिलाओं ने बारिश की कामना के लिए एक अनूठी परंपरा निभाई। इसके तहत डेटक माता ( मेंढक) की पूजा की गई और फिर घरो से एकत्रित अनाज की घुघरी बनाकर प्रसाद इंद्रदेव को चढ़ाया गया। मान्यता है कि इस तरह से इंद्रदेव प्रसन्न होकर बारिश करते है।Body:सुथार समाज के भूपेश सुथार ने बताया कि बारिश के लंबे इंतजार के बाद भी बारिश की बेरुखी पर इंद्रदेव को मनाने समाज की ओर से कई अनुष्ठान किए जाते है। इसके तहत सुथार समाज की महिलाएं भजन-कीर्तन करते हुए मंदिर दर्शन करती है और भगवान की पूजा अर्चना करते हुए बारिश की कामना की जाती है।
इसके बाद महिलाओं की ओर से डेटक माता बनाकर बच्चो के साथ समाज के घर-घर घूमते हुए डेटक माता को जल चढ़ाया जाता है। इसके बाद हर घर के लोग अपनी श्रद्धा से अनाज गेंहू, चना या मक्का या अन्य खाद्य सामग्री भेंट देते है। इसी खाद्य सामग्री की बाद में महिलाओं की ओर से घुघरी (गुड़ के साथ मिलाकर) प्रसाद बनाया जाता है। जिसे बाद में भगवान इंद्रदेव को प्रसाद का भोग लगाया जाता है। महिलाएं भजन-कीर्तन ओर गरबा खेलते हुए इंद्रदेव को मनाने के जतन करते है। इसके बाद घुघरी का प्रसाद सभी को वितरण किया जाता है। सुथार समाज की महिलाएं इस परंपरा को बरसो से निभा रही है और मान्यता है कि इस तरह भगवान इंद्रदेव प्रसन्न होते है और बारिश होती है।

बाईट- भूपेश शर्मा, समाज प्रतिनिधि ओर पार्षद।Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.