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डूंगरपुर में फैला झोलाछाप बंगाली डॉक्टरों का जाल, मरीजों की जान से कर रहे खिलवाड़

डूंगरपुर जिले में चिकित्सा विभाग व जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते फर्जी बंगाली डॉक्टर व झोलाछाप चिकित्सकों का पूरे जिले में जाल फैला हुआ है. ये डॉक्टर आमजन के स्वास्थ्य व जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.

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डूंगरपुर में फैला झोलाछाप बंगाली डॉक्टरों का जाल
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Published : Feb 26, 2021, 6:51 PM IST

डूंगरपुर. जिले में बिना डिग्रीधारी झोलाछाप डॉक्टर गांवों में अपने फर्जी क्लिनिक खोलते हुए आमजन के जीवन के साथ खुलेआम खिलवाड़ कर रहे हैं, लेकिन मामले में विभाग की चुप्पी मिलीभगत की ओर संकेत कर रही है. तत्कालीन एसपी जय यादव के कार्यकाल में डीएसटी ने जिले में ऐसे झोलाछापों के खिलाफ कार्रवाई की थी और बड़ी संख्या में पुलिस केस भी दर्ज किए थे, लेकिन पिछले 6 से 7 माह में जेल से छूटने के बाद वही झोलाछाप सक्रिय हो गए हैं.

डूंगरपुर में फैला झोलाछाप बंगाली डॉक्टरों का जाल

डूंगरपुर जिले में मेडिकल कॉलेज सरीखी सेवाएं राज्य सरकार ने मुहैया करा दी है, लेकिन जिले में चिकित्सा महकमे के हालात यह है कि हर गांव और शहर के गली कूचों में नीम-हकीमो ने अवैध रूप से क्लिनिक खोल दिए हैं और वहां बिना अधिकृत डिग्री के मरीजों को भर्ती करने से लगाकर अवैध गर्भपात और सर्जरी की जा रही है. आसपास के मेडिकल स्टोर संचालकों से सांठगांठ से इनकी दुकानें फल फूल रही हैं. करीब 20 से 25 साल से बंगाल से आए ये नीम हकीम वागड़ में रह रहे हैं. ऐसे गांव में पकड़ भी अच्छी हो गई है. यही कारण है कि कोई जागरूक नागरिक इनके खिलाफ शिकायत करता है, तो भी मामला कार्रवाई से पहले ही दबा दिया जाता है.

80 से ज्यादा एफआईआर दर्ज, फिर मामला ठंडा

खास बात यह है कि नीम-हकीमों के खिलाफ नवंबर 2019 में तत्कालीन कलेक्टर आलोक की सख्ती की वजह से चिकित्सा विभाग ने कार्रवाई की थी, लेकिन उनके तबादले के साथ ही मामला ठंडा हो गया. इधर, इसके बाद तत्कालीन एसपी जय यादव ने डीएसटी के जरिए पूरे जिले में दबिशें दी तो 80 के करीब एफआईआर दर्ज हुई थी और बड़ी मात्रा में अवैध रूप से दवाएं बरामद हुई थी.

हालांकि की दवाएं सप्लाई करने वाले दवा विक्रेताओं को विभाग ने बचा लिया था, लेकिन करीब 40 झोलाछापों को सलाखों के पीछे भेज दिया था. जेल से छूटते ही झोलाछाप डॉक्टर्स फिर एक बार सक्रिय हो गए हैं. हालाकि इस सम्बन्ध में जब डूंगरपुर सीएमएचओ डॉ. राजेश शर्मा से बात की गई तो उन्होंने जल्द ही अभियान चलाकर कार्रवाई की बात कही.

झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से कई बार हुई मरीजों की मौत

डूंगरपुर जिले में कई बार नीम हकीमों के गलत इलाज से रातापानी, कनबा, गेन्जी, सीमलवाड़ा में मरीजों की मौत से बवाल भी हुआ है, लेकिन हमेशा विभाग की ओर से कार्रवाई के नाम से इतिश्री करता आ रहा है. बहराल जिले के सीएमएचओ डॉ. राजेश शर्मा ने ऐसे फर्जी झोलाछाप डॉक्टर्स का सर्वे करवाते हुए अभियान चलाकर कार्रवाई की बात जरूर कही है. खैर अब देखना होगा कि इन सभी घटनाओं से सबक लेते हुए बंगाल से आए इन झोलाछापों को लेकर स्थायी बंदोबस्तों की और प्रशासन, पुलिस व चिकित्सा महकमा सख्त रुख इख्तियार करता है या वागड़ की भोली भाली जनता के स्वास्थ्य के साथ यूं ही खिलवाड़ होता रहेगा.

डूंगरपुर. जिले में बिना डिग्रीधारी झोलाछाप डॉक्टर गांवों में अपने फर्जी क्लिनिक खोलते हुए आमजन के जीवन के साथ खुलेआम खिलवाड़ कर रहे हैं, लेकिन मामले में विभाग की चुप्पी मिलीभगत की ओर संकेत कर रही है. तत्कालीन एसपी जय यादव के कार्यकाल में डीएसटी ने जिले में ऐसे झोलाछापों के खिलाफ कार्रवाई की थी और बड़ी संख्या में पुलिस केस भी दर्ज किए थे, लेकिन पिछले 6 से 7 माह में जेल से छूटने के बाद वही झोलाछाप सक्रिय हो गए हैं.

डूंगरपुर में फैला झोलाछाप बंगाली डॉक्टरों का जाल

डूंगरपुर जिले में मेडिकल कॉलेज सरीखी सेवाएं राज्य सरकार ने मुहैया करा दी है, लेकिन जिले में चिकित्सा महकमे के हालात यह है कि हर गांव और शहर के गली कूचों में नीम-हकीमो ने अवैध रूप से क्लिनिक खोल दिए हैं और वहां बिना अधिकृत डिग्री के मरीजों को भर्ती करने से लगाकर अवैध गर्भपात और सर्जरी की जा रही है. आसपास के मेडिकल स्टोर संचालकों से सांठगांठ से इनकी दुकानें फल फूल रही हैं. करीब 20 से 25 साल से बंगाल से आए ये नीम हकीम वागड़ में रह रहे हैं. ऐसे गांव में पकड़ भी अच्छी हो गई है. यही कारण है कि कोई जागरूक नागरिक इनके खिलाफ शिकायत करता है, तो भी मामला कार्रवाई से पहले ही दबा दिया जाता है.

80 से ज्यादा एफआईआर दर्ज, फिर मामला ठंडा

खास बात यह है कि नीम-हकीमों के खिलाफ नवंबर 2019 में तत्कालीन कलेक्टर आलोक की सख्ती की वजह से चिकित्सा विभाग ने कार्रवाई की थी, लेकिन उनके तबादले के साथ ही मामला ठंडा हो गया. इधर, इसके बाद तत्कालीन एसपी जय यादव ने डीएसटी के जरिए पूरे जिले में दबिशें दी तो 80 के करीब एफआईआर दर्ज हुई थी और बड़ी मात्रा में अवैध रूप से दवाएं बरामद हुई थी.

हालांकि की दवाएं सप्लाई करने वाले दवा विक्रेताओं को विभाग ने बचा लिया था, लेकिन करीब 40 झोलाछापों को सलाखों के पीछे भेज दिया था. जेल से छूटते ही झोलाछाप डॉक्टर्स फिर एक बार सक्रिय हो गए हैं. हालाकि इस सम्बन्ध में जब डूंगरपुर सीएमएचओ डॉ. राजेश शर्मा से बात की गई तो उन्होंने जल्द ही अभियान चलाकर कार्रवाई की बात कही.

झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से कई बार हुई मरीजों की मौत

डूंगरपुर जिले में कई बार नीम हकीमों के गलत इलाज से रातापानी, कनबा, गेन्जी, सीमलवाड़ा में मरीजों की मौत से बवाल भी हुआ है, लेकिन हमेशा विभाग की ओर से कार्रवाई के नाम से इतिश्री करता आ रहा है. बहराल जिले के सीएमएचओ डॉ. राजेश शर्मा ने ऐसे फर्जी झोलाछाप डॉक्टर्स का सर्वे करवाते हुए अभियान चलाकर कार्रवाई की बात जरूर कही है. खैर अब देखना होगा कि इन सभी घटनाओं से सबक लेते हुए बंगाल से आए इन झोलाछापों को लेकर स्थायी बंदोबस्तों की और प्रशासन, पुलिस व चिकित्सा महकमा सख्त रुख इख्तियार करता है या वागड़ की भोली भाली जनता के स्वास्थ्य के साथ यूं ही खिलवाड़ होता रहेगा.

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