डूंगरपुर. पंचायत समिति डूंगरपुर ने वर्ष 2000 में दुकानें बनाने के लिए परिवादी से 3 लाख रुपये लिए थे. लेकिन पंचायत समिति ने न तो दुकाने बनाकर दी और न ही पैसे लौटाए. इस पर अब कोर्ट ने ब्याज सहित करीब 10 लाख रुपये लौटाने के आदेश दिए थे. परिवादी चिमनलाल जैन निवासी न्यू कॉलोनी ने वर्ष 2009 में एक परिवाद कोर्ट में पेश किया था.
परिवादी के वकील संजीव भटनागर ने बताया कि 11 मार्च 1999 को किरायेशुदा परिसर को पंचायत समिति डूंगरपुर ने दुकान निर्माण को लेकर खाली करवाया था. इसके लिए चिमनलाल से 1 मार्च 2000 को 3 लाख रुपये दुकान निर्माण को लेकर अमानत राशि के रूप में पंचायत समिति डूंगरपुर में जमा करवाए थे, लेकिन बाद में पंचायत समिति और नगरपालिका (अब नगरपरिषद) डूंगरपुर के बीच विवाद हो गया. ऐसे में पंचायत समिति ने दुकाने बनाकर नहीं दी और अमानत राशि भी नहीं लौटाई गई.
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वकील संजीव भटनागर ने बताया कि इस मामले को लेकर कोर्ट ने 4 मई 2017 को डिक्री पारित करते हुए पंचायत समिति डूंगरपुर को अमानत राशि 3 लाख रुपये और 12 प्रतिशत ब्याज की दर से करीब 10 लाख रुपये परिवादी जयंतीलाल जैन को अदा करने के आदेश दिए थे.बावजूद पंचायत समिति ने दुकाने बनाकर या राशि नहीं लौटाई गई.
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इस पर जिला न्यायालय के आदेश पर गुरुवार को कोर्ट मुंशी के साथ ही परिवादी और वकील पंचायत समिति डूंगरपुर पंहुचे. यहां पंचायत समिति कार्यालय और सरकारी वाहन को सील कर दिया गया. वकील संजीव भटनागर ने बताया कि पंचायत समिति या तो रुपये लौटाए या फिर पंचायत समिति कार्यालय को नीलाम करते हुए परिवादी को राशि लौटाई जाएगी.