डूंगरपुर. बैठक के दौरान कांग्रेस विधायक ने बीटीपी का नाम लिए बिना कहा कि राणा पूंजा भील की मूर्ति सदर थाना चौराहे पर लगाने की पहल कांग्रेस ने की थी. उन्होंने कहा कि राणा को आदिवासी ही नहीं सभी कौमें मानती हैं, लेकिन वे लोग इस पर भी राजनीति कर रहे हैं.
विधायक ने आगे कहा कि वे लोग यहां के बच्चों और युवाओं को जाति व समाज के नाम पर गुमराह कर रहे हैं. स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को बैठकों में बुलाते हैं फिर डीजे पर नचवाते हैं. स्कूलों में बच्चे कॉपियों में जय जोहार लिख रहे हैं, जबकि उनके नेताओं के बच्चे सीकर, जयपुर या देश के बड़े स्कूलों में पढ़ रहे हैं. वे अंग्रेजी या बड़े कोर्स कर रहे हैं. उनके बच्चे कभी किसी मीटिंग में नहीं आते हैं.
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विधायक घोघरा ने बीटीपी पर निशाना साधते हुए कहा कि वे समाज व जाति की सेवा करने के नाम पर आए थे, लेकिन राजनीति में आ गए. समाज व जाति की सेवा करना ही चाहते हैं तो आदिवासी छात्रावास जिनमें कमरे कम हैं उसको बनवाएं. स्कूल जहां कमरे जीर्ण-शीर्ण हो रहे हैं वहां कक्षा-कक्ष बनवाएं. विधायक ने आगे कहा कि समाज के नाम पर नेता बनने के बाद आज तक उन्होंने समाज के किसी भी व्यक्ति का भला नहीं किया है. उनके पास जो पैसा आया विदेशों से फंडिंग मिली. वह सब पैसा बांटकर खा गए, लेकिन जनता आगे उनसे भी हिसाब मांगेगी.
घोघरा ने बीटीपी को सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाली पार्टी बताते हुए कहा कि जातिवाद के नाम पर लोगों को डराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में अलग माहौल है और यहां सरकार ने आदिवासियों के विकास के लिए कई काम किये हैं. यहां से डॉक्टर, इंजीनियर और अब तो कलेक्टर भी बनने लगे हैं. यह सब कांग्रेस की देन है. विधायक ने कहा कि हम भी आदिवासी हैं और समाज की प्रमुख मांगों की पैरवी करते हैं, लेकिन मांग सरकार से करनी है. इसमें लोगों को गुमराह करने या भड़काने का काम वे लोग करते हैं. इस दौरान उन्होंने गांधीजी के अहिंसा के मार्ग पर चलने की सीख भी दी.
आपको बता दें कि डूंगरपुर जिले में 4 विधानसभा सीटों में से 2 सीटें चौरासी और सागवाड़ा में बीटीपी के विधायक हैं. जबकि आसपुर में भाजपा के विधायक हैं. विधानसभा चुनावों में बीटीपी की वजह से ही कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था. वहीं, लोकसभा चुनावों में भी तीसरे मोर्चे के रूप में बीटीपी के मैदान में रहने से कांग्रेस की हार हुई थी.