डूंगरपुर. आरपीएससी पेपर लीक मामले में आरपीएससी के सदस्य बाबूलाल कटारा और उसके भांजे विजय डामोर व चालक को एसओजी ने मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी विजय के गिरफ्तार होने पर पिता ने कहा कि बेटे की गिरफ्तारी की खबर उन्हें उनके साथी पुलिस कर्मियों से मिली. उन्होंने कहा कि बेटे से उनके संबंध अच्छे नहीं हैं, इसलिए वे उनसे अलग रहते हैं.
आरोपी विजय डामोर के पिता पुलिस हेड कांस्टेबल : आरपीएससी पेपर लीक प्रकरण में गिरफ्तार आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा के भांजे विजय डामोर के पिता ललित डामोर डूंगरपुर पुलिस ने हेड कांस्टेबल हैं. फिलहाल विजय के पिता ललित पुलिस लाइन में चालानी गार्ड के पद पर तैनात हैं. बेटे की गिरफ्तारी का पता उन्हें उनके साथी पुलिसकर्मीयों ने दी थी. विजय के पिता ललित डामोर ने बताया कि बेटे की इस हरकत से वो भी अचंभित हैं. 2 महीने पहले ही 22 फरवरी को विजय की शादी हुई है.
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बाबूलाल कटारा और भांजा विजय दोनों ही डूंगरपुर के रहने वाले हैं. परिजनों ने बताया कि विजय डामोर एमए, बीएड है और कई प्रतियोगी परीक्षा दे चुका है. विजय ने सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा भी दी थी. लिखित परीक्षा में वो पास भी हो गया था, लेकिन शारीरिक परीक्षा में असफल रहा था. हालांकि विजय शिक्षक भर्ती परीक्षा में बैठा था या नहीं इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं है. उन्होंने बताया कि विजय के परिवार से अच्छे संबंध नहीं थे, लेकिन मामा आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा से अच्छे संबंध थे.
शादी के बाद से संपर्क में नहीं : हेड कांस्टेबल पिता ललित डामोर ने बताया कि 2 महीने पहले बेटे की शादी हुई थी. इसके बाद से वह उनके संपर्क में नहीं है. डेढ़ महीने से वह घर भी नहीं आया. उन्होंने कहा कि बेटे का नाम पेपर लीक मामले में आने को लेकर उन्हें कुछ जानकारी नहीं है. वो अपने मामा बाबूलाल कटारा के पास आता-जाता रहता था. वह ज्यादा उनके संपर्क में था.
आज किया गिरफ्तार : आरपीएससी पेपर लीक प्रकरण में शेरसिंह मीणा से पूछताछ के बाद आरपीएससी सदस्य डूंगरपुर निवासी बाबूलाल कटारा को एसओजी ने अजमेर से गिरफ्तार कर लिया है. मामले में एसओजी ने बाबूलाल कटारा के भांजे विजय डामोर को डूंगरपुर जिले के वागदरी घर से और चालक गोपाल सिंह को भी गिरफ्तार किया है. फिलहाल उनसे पूछताछ की जा रही है.
थर्ड ग्रेड टीचर के रूप में मिली थी पहली नौकरी : बाबूलाल कटारा को 2 नवंबर 1987 को थर्ड ग्रेड टीचर के रूप में पहली नौकरी मिली थी. 3 साल बाद ही 1990 में उन्हें आरपीएससी से अर्थशास्त्र व्याख्याता बना दिया गया. अगले ही साल 1991 में उन्हें जिला सांख्यिकी अधिकारी बाड़मेर में पोस्टिंग मिली. 2 साल तक यहां रहने के बाद, डूंगरपुर के जिला सांख्यिकी अधिकारी भी रहे.
उन्होंने 1994 से 2005 तक विकास अधिकारी के रूप में सेवाएं दी. इसके बाद संयुक्त निदेशक सांख्यिकी सचिवालय में सेवाएं दी, मुख्य आयोजना अधिकारी के रूप में भी डूंगरपुर और राजसमंद में काम किया. वहीं, 2013 में माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान में निदेशक रहे. डूंगरपुर जिले में सितम्बर 2020 में शिक्षक भर्ती के रिक्त पदों को लेकर हुए कांकरी डूंगरी उपद्रव मामले में बाबूलाल कटारा ने उपद्रवियों व प्रशासन के बीच मध्यस्थता करवाई थी. इसके एक माह बाद ही उन्हें 15 अक्टूबर 2020 को आरपीएससी मेंबर बनाया गया था.