डूंगरपुर. जिले के 738वें स्थापना दिवस पर तीन दिवसीय कार्यक्रमों की धूम मची है. वहीं लक्ष्मण मैदान में आयोजित प्रदर्शनी भी लोगों को आकर्षित कर रही है. इस बार खासकर पुरातन पद्धति के औजार, घरेलू सामग्री और हथियारों का कलेक्शन अनूठा है. इस प्रदर्शनी में ग्रामीण इलाकों की परंपराओं की झलक देखने को मिल रही है. प्रदर्शनी में खासकर इस बार रॉयल ग्रुप की ओर से पुरातन काल मे घरों में रोजमर्रा के उपयोग में लिए जा रहे बर्तन, औजार, हथियार, वाद्य यंत्रों के साथ ही खेतीबाड़ी से जुड़े विशेष उपकरणों का अनूठा संकलन किया है.
उन्नत खेती को लेकर किसान अब ट्रैक्टर और अन्य तकनीकी का उपयोग कर रहे है, लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में हल और बैलों से ही खेतीबाड़ी होती है तो उससे जुड़े तमाम संसाधन को प्रदर्शित किया गया है. इसके अलावा पहले घरों में मिट्टी से बने बर्तनों में ही खाना बनाया जाता था, उन बर्तनों को भी शामिल किया गया है, जबकि आजकल एलयूमिनियम, स्टील और अन्य धातुओं के बर्तनों का इस्तेमाल होता है.
वहीं पत्थरों से बने ओखली, घटी, खल जैसे कई उपकरण प्रदर्शिनी में शामिल किए गए हैं. आज कल इनकी जगह ऑटोमैटिक चक्की, मिक्सर ग्राइंडर का उपयोग किया जाता है. पुरातनकाल में वजन और तोल के लिए तराजू, कवली, पाली जैसे साधन साधन की जगह इलेट्रॉनिक तराजू ने ले लिया है. प्रदर्शनी में इन उपकरणों के साथ ही उनके स्थानीय नाम लिखे हुए हैं. वहीं उनके उपयोग के बारे में भी बताया जा रहा है.
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रॉयल ग्रुप के चंद्रशेखर बताते है कि पुरातनकाल में लोग मेहनतकश थे हाथों से खेतीबाड़ी, घरेलू कामकाज करते थे, लेकिन भौतिकवाद में लोग आलसी हो रहे है. अब काम मशीनों के जरिये किया जा रहा है तो इससे कई तरह की बीमारियां भी हो रही है. वातावरण प्रदूषित हुआ है. इस संकलन के माध्यम से लोगों को उनके वास्तविक संसाधनों के बारे में रूबरू करवाया जा रहा है जो आजकल का युवा पूरी तरह से भूल चुका है. इस प्रदर्शनी का जिला न्यायाधीश महेंद्रसिंह सिसोदिया, जिला कलेक्टर आलोक रंजन, विधायक गणेश घोघरा ने अलोकन किया और ग्रुप के संकलन को सराहा.