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डूंगरपुरः लॉकडाउन में मजदूरों के लिए वरदान साबित हो रही मनरेगा योजना, 2.36 लाख लोगों को मिला रोजगार

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Published : May 25, 2020, 12:25 PM IST

कोरोना महामारी के बीच प्रदेश में महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत बेरोजगार बैठे ग्रामीणों और प्रवासियों को लिए एक बड़ी राहत लाई है. लॉकडाउन में रोजी रोटी का संकट खड़ा होने के बाद नरेगा योजना के शुरू होने से प्रदेश के नरेगा श्रमिकों के लिए किसी संजीविनी से कम साबित नहीं हो रहे है. प्रदेश में 3 करोड़ 42 लाख से अधिक नरेगा श्रमिक काम कर रहे है.

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2.36 लाख लोगों को मिला रोजगार

डूंगरपुर. कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन से काम-धंधे ठप हो गए है. लाखों लोगों की रोजी-रोटी छीन गई है. लॉकडाउन में अब मजदूरों के लिए मनरेगा योजना वरदान साबित हो रही है. मनरेगा के तहत डूंगरपुर जिले में 2.36 लाख लोगों को रोजगार मिला है.

2.36 लाख लोगों को मिला रोजगार

कोरोना महामारी के बीच प्रदेश में महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत बेरोजगार बैठे ग्रामीणों और प्रवासियों को लिए एक बड़ी राहत लाई है. लॉकडाउन में रोजी रोटी का संकट खड़ा होने के बाद नरेगा योजना के शुरू होने से प्रदेश के नरेगा श्रमिकों के लिए किसी संजीविनी से कम साबित नहीं हो रहे है. प्रदेश में 3 करोड़ 42 लाख से अधिक नरेगा श्रमिक काम कर रहे है.

वहीं, लॉकडाउन में ग्रामीणों को रोजगार मुहैया करवाने में डूंगरपुर पूरे प्रदेश में दूसरे नंबर पर है. पहला नंबर भीलवाड़ा का है और प्रदेशभर में नरेगा श्रमिकों को अब काम मिलने लगा है और वर्तमान में राजस्थान में 3 करोड़ 42 लाख सात हजार से अधिक लेबर नियोजित है. प्रदेश में सबसे अधिक लेबर भीलवाड़ा जिले में है.

पढ़ेंः भरतपुरः आगरा-जयपुर हाईवे पर पेड़ से टकराई एंबुलेंस, तीन की मौत

जहां पर 3 लाख 7 हजार 667 लोग मनरेगा में काम कर रहे है. वहीं, इसके बाद नरेगा श्रमिकों को रोजगार देने में डूंगरपुर जिला दुसरे स्थान पर है. डूंगरपुर जिले में वर्तमान में 10 पंचायत समितियों में दो लाख 36 हजार ग्रामीण मनरेगा में कर रहे हैं. जिले में 65 हजार 960 परिवार इन दिनों मनरेगा कार्य से जुड़े हुए है और आने वाले दिनों में इसकी संख्या में ओर भी बढ़ोतरी होने के आसार है.

किस पंचायत समिति में कितने श्रमिक लगे

ग्राम पंचायत, नियोजित श्रमिक
1. आसपुर: 12 हजार 261
2. बिछीवाड़ा: 20 हजार 47
3. चिखली: 25 हजार 622
4. दोवड़ा: 22 हजार 105
5. डूंगरपुर: 22 हजार 818
6. गलियाकोट: 23 हजार 578
7. झौंथरी: 20 हजार 929
8. साबला: 16 हजार 692
9. सागवाड़ा: 47 हजार 747
10. सीमलवाडा: 24 हजार 268

कार्यस्थल पर एडवाइजरी के पालन के निर्देश

कोरोना महामारी से बचाव के लिए नरेगा कार्य स्थल पर विभाग की ओर से काफी सावधानिया भी बरती जा रही है. मनरेगा में काम कर रहे मजदूरों को कोरोना वायरस से बचाव के लिए सरकारी एडवाइजरी के अनुसार ही पालन के निर्देश दिए गए है. कार्यस्थल पर मजदूरों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क लगाकर काम करने, स्वच्छता के लिए साबुन से हाथ धोने, छाया की व्यवस्था, पेयजल व्यवस्था, मेडिकल किट सहित अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है. इतना ही नहीं विभाग बाहर से आये प्रवासियों को भी नरेगा से जोड़ने का काम किया जा रहा है.

पढ़ेंः लोगों को लूटो, राजनीति करो...लेकिन भूखे मर रहे इन लोगों के साथ ज्यादती मत करो...मदन दिलावर ने गहलोत पर साधा निशाना

प्राथमिकता के साथ कार्य पर जोर

पंचायतों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी के काम शुरू होते ही व्यक्ति कार्य, पीएम आवास, जल संरक्षण, तालाब गहरा करने समेत कई कार्यों का प्राथमिकता के साथ पूरा किया जा रहा है. मनरेगा कार्य के लिए ग्रामीणों की ओर से मांग भी की जा रही है. बताया जा रहा है कि डूंगरपुर जिले में 14 दिन बाद मनरेगा श्रमिकों की संख्या में ओर इजाफा हो सकता है.

डूंगरपुर. कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन से काम-धंधे ठप हो गए है. लाखों लोगों की रोजी-रोटी छीन गई है. लॉकडाउन में अब मजदूरों के लिए मनरेगा योजना वरदान साबित हो रही है. मनरेगा के तहत डूंगरपुर जिले में 2.36 लाख लोगों को रोजगार मिला है.

2.36 लाख लोगों को मिला रोजगार

कोरोना महामारी के बीच प्रदेश में महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत बेरोजगार बैठे ग्रामीणों और प्रवासियों को लिए एक बड़ी राहत लाई है. लॉकडाउन में रोजी रोटी का संकट खड़ा होने के बाद नरेगा योजना के शुरू होने से प्रदेश के नरेगा श्रमिकों के लिए किसी संजीविनी से कम साबित नहीं हो रहे है. प्रदेश में 3 करोड़ 42 लाख से अधिक नरेगा श्रमिक काम कर रहे है.

वहीं, लॉकडाउन में ग्रामीणों को रोजगार मुहैया करवाने में डूंगरपुर पूरे प्रदेश में दूसरे नंबर पर है. पहला नंबर भीलवाड़ा का है और प्रदेशभर में नरेगा श्रमिकों को अब काम मिलने लगा है और वर्तमान में राजस्थान में 3 करोड़ 42 लाख सात हजार से अधिक लेबर नियोजित है. प्रदेश में सबसे अधिक लेबर भीलवाड़ा जिले में है.

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जहां पर 3 लाख 7 हजार 667 लोग मनरेगा में काम कर रहे है. वहीं, इसके बाद नरेगा श्रमिकों को रोजगार देने में डूंगरपुर जिला दुसरे स्थान पर है. डूंगरपुर जिले में वर्तमान में 10 पंचायत समितियों में दो लाख 36 हजार ग्रामीण मनरेगा में कर रहे हैं. जिले में 65 हजार 960 परिवार इन दिनों मनरेगा कार्य से जुड़े हुए है और आने वाले दिनों में इसकी संख्या में ओर भी बढ़ोतरी होने के आसार है.

किस पंचायत समिति में कितने श्रमिक लगे

ग्राम पंचायत, नियोजित श्रमिक
1. आसपुर: 12 हजार 261
2. बिछीवाड़ा: 20 हजार 47
3. चिखली: 25 हजार 622
4. दोवड़ा: 22 हजार 105
5. डूंगरपुर: 22 हजार 818
6. गलियाकोट: 23 हजार 578
7. झौंथरी: 20 हजार 929
8. साबला: 16 हजार 692
9. सागवाड़ा: 47 हजार 747
10. सीमलवाडा: 24 हजार 268

कार्यस्थल पर एडवाइजरी के पालन के निर्देश

कोरोना महामारी से बचाव के लिए नरेगा कार्य स्थल पर विभाग की ओर से काफी सावधानिया भी बरती जा रही है. मनरेगा में काम कर रहे मजदूरों को कोरोना वायरस से बचाव के लिए सरकारी एडवाइजरी के अनुसार ही पालन के निर्देश दिए गए है. कार्यस्थल पर मजदूरों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क लगाकर काम करने, स्वच्छता के लिए साबुन से हाथ धोने, छाया की व्यवस्था, पेयजल व्यवस्था, मेडिकल किट सहित अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है. इतना ही नहीं विभाग बाहर से आये प्रवासियों को भी नरेगा से जोड़ने का काम किया जा रहा है.

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प्राथमिकता के साथ कार्य पर जोर

पंचायतों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी के काम शुरू होते ही व्यक्ति कार्य, पीएम आवास, जल संरक्षण, तालाब गहरा करने समेत कई कार्यों का प्राथमिकता के साथ पूरा किया जा रहा है. मनरेगा कार्य के लिए ग्रामीणों की ओर से मांग भी की जा रही है. बताया जा रहा है कि डूंगरपुर जिले में 14 दिन बाद मनरेगा श्रमिकों की संख्या में ओर इजाफा हो सकता है.

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