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City Lifeline लाल पत्थर ने तराशी धौलपुर की किस्मत, देश से लेकर विदेश में है खास रुतबा - मूर्तिकला में रेड स्टोन का उपयोग

धौलपुर का नाम जहन में आने पर पहली तस्वीर दस्युओं के खौफ और चंबल के बीहड़ की उभरकर सामने आती है. लेकिन इस जिले की किस्मत को यहां के पत्थरों ने ही तराशा है. रेड स्टोन ने इस जिले को शौहरत के साथ ही पैसा भी दिया है. रेड स्टोन जिले की लाइफ लाइन मानी जाती है. धौलपुर से नीरज शर्मा की रिपोर्ट.

red stone is lifeline for Dholpur
धौलपुर का रेड स्टोन
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Published : Aug 15, 2022, 7:04 AM IST

Updated : Aug 26, 2022, 12:03 PM IST

नीरज शर्मा-धौलपुर. चंबल के बीहड़ और दस्युओं के खौफ के लिए धौलपुर हमेशा बदनाम रहा है. इस जिले का नाम सुनने के साथ ही मन में उभरती तस्वीरें हमेशा जिले के विकास में बाधक बनी रहती है. लेकिन इसी जिले की किस्मत को यहां के पत्थरों ने बुलंदियों पर पहुंचाया है. रेड स्टोन (Red Stone) ने जिले की पहचान को ही बदलकर रख दिया है. ये पत्थर जिले को शौहरत के साथ ही पैसा भी दे रहा है. यहां के पत्थर भारत की कई प्रमुख इमारतों की खूबसूरती को चार चांद लगा रहे हैं.

इस पत्थर ने अपनी खूबसूरती एवं गुणवत्ता के कारण देश-विदेश में अलग पहचान स्थापित (World famous red stone) की है. धौलपुर जिले का लाल पत्थर लाइफ लाइन (red stone is lifeline for Dholpur) माना जाता है. इस पत्थर के कारोबार पर 20 हजार से अधिक परिवारों की आजीविका टिकी हुई है. सदियों से जुड़े परिवार इस कारोबार से अपनी आजीविका चलाते आ रहे हैं. लेकिन मौजूदा वक्त में सरकार की नीतियों की बदौलत इस कारोबार में उथल-पुथल का दौर देखने को मिल रहा है.

लाल पत्थर ने तराशा धौलपुर की किस्मत

पढ़ें- City Lifeline: कोटा की रीढ़ है 4000 करोड़ की कोचिंग इंडस्ट्री, होम ट्यूशन से हुई थी शुरुआत...आज मेडिकल, इंजीनियरिंग में है सिरमोर

इन इमारतों में हुआ लाल पत्थर का उपयोगः धौलपुर के लाल पत्थर की डिमांड (Demand for red stone) देश-विदेश में सदियों से चली आ रही है. दिल्ली का लाल किला, संसद भवन, क़ुतुब मीनार, अक्षरधाम मंदिर, फतेहपुर सीकरी दरगाह, आगरा का लाल किला समेत देश की तमाम इमारतों में रेड स्टोन का उपयोग 100 फीसदी हुआ है. देश में आने वाले सैलानियों को रेड स्टोन सबसे अधिक आकर्षित करता है.

1915 से रेड स्टोन कारोबार की हुई थी विधिवत शुरुआतः जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष मुकेश कुमार अग्रोहा ने बताया वैसे तो लाल पत्थर कारोबार (business of red stone in Dholpur) की शुरुआत मुगल काल से हुई थी. मुगल काल के शासक हुमायुं को इस कारोबार को बढ़ावा देने का श्रेय जाता है. लेकिन आजादी से पूर्व ब्रिटिश हुकूमत में रेड स्टोन कारोबार की शुरुआत 1915 से धौलपुर स्टोन नाम की कंपनी ने की थी.

देश से लेकर विदेश में है खास रुतबा

रेड स्टोन के लिए बिछाई थी स्पेशल रेल लाइनः स्टोन संघ के जिला अध्यक्ष मुन्नालाल मंगल ने बताया कि मुगल काल में रेड स्टोन कारोबार की शुरुआत (business of red stone in Dholpur) हुई थी. जिले में बाड़ी, सरमथुरा, बसेड़ी एवं धौलपुर क्षेत्र के कुछ इलाकों में संचालित है. सबसे अधिक यह कारोबार सरमथुरा एवं बसेड़ी क्षेत्र में संचालित है. जिले के लगभग 20,000 परिवारों के सदस्यों की आजीविका रेड स्टोन कारोबार पर टिकी हुई है. रेड स्टोन कारोबार (business of red stone in Dholpur) को देखते हुए स्पेशल रेल लाइन बिछाई गई थी. उन्होंने बताया आजादी से पूर्व ब्रिटिश हुकूमत में 1917 से लेकर 1937 तक संसद भवन का निर्माण इसी पत्थर से कराया गया था. मंगल ने बताया सरमथुरा, बाड़ी और बसेड़ी के डांग क्षेत्रों में रेड स्टोन की अधिक निकासी होती है. 200 से अधिक गैंगसा यूनिट पत्थर की कटिंग कर सुंदरीकरण का रूप देते हैं. उन्होंने बताया रेड स्टोन कारोबार में अधिकांश डांग क्षेत्र और ग्रामीण लोगों के परिवारों को आजीविका मिल रही है. इसके साथ ही खदानों में ट्रैक्टर, क्रेन मशीन, पॉलिश मशीन, ट्रक के माध्यम से इस कारोबार को संचालित करके लोग आजीविका चला रहे हैं.

red stone is lifeline for Dholpur
धौलपुर का रेड स्टोन

पढ़ें- City Lifeline अजमेर के आर्थिक विकास में रेलवे का है बड़ा योगदान, जानिए कैसे

दुबई एवं यूरोप में सबसे अधिक डिमांडः मुन्नालाल मंगल ने बताया देश के कोने कोने में रेड स्टोन सप्लाई (Supply of red stone in Foreing Country) किया जाता है. साथ ही दुबई और यूरोप में सबसे अधिक रेड स्टोन की डिमांड है. उनका कहना है कि दुबई और सऊदी अरब में रेड स्टोन का सबसे अधिक उपयोग किया जा रहा है. सऊदी अरब में सबसे अधिक मस्जिदों के निर्माण, रेड स्टोन से ही कराए जा रहे हैं. दुबई में रेड स्टोन का उपयोग अधिकांश बिल्डिंग, मॉल आदि में किया जा रहा है.

इसके अलावा इंग्लेंड, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जर्मनी, जापान, रूस, फ्रांस में भी रेड स्टोन विशेष पहचान (World famous red stone) बना रहा है. भारत देश की बात की जाए तो संसद भवन, क़ुतुब मीनार, लाल किला, आगरा का लाल किला, अक्षरधाम मंदिर, फतेहपुर सीकरी की ऐतिहासिक धरोहर दरगाह समेत दक्षिण भारत में विभिन्न धार्मिक स्थलों में रेडस्टोन उपयोग किया गया है. वर्तमान में अयोध्या मंदिर निर्माण एवं तेलंगाना विधानसभा में भी धौलपुर के लाल पत्थर का उपयोग किया जा रहा है. उन्होंने बताया नए संसद भवन का भी निर्माण धौलपुर के लाल पत्थर से ही कराया जा रहा है.

red stone is lifeline for Dholpur
इन इमारतों की बढ़ा रहा खूबसूरती

22 करोड़ का राजस्वः रेड स्टोन कारोबार से राज्य एवं केंद्र सरकार को सेल टेक्स, रॉयल्टी आदि के माध्यम से 22 करोड़ की सालाना राजस्व वसूली (Turnover of Dholpur) होती है. विभिन्न प्रकार के टैक्स के माध्यम से सरकार के खजाने को लाभ पहुंचता है. हाल ही में विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा के प्रयासों से टैक्स में राज्य सरकार ने छूट दी थी. 12.5 फीसदी टैक्स को घटाकर 4 फीसदी किया गया है. इससे स्टोन कारोबारियों को बड़ी राहत मिली है.

जीएसटी ने व्यापारियों का बिगाड़ा गणितः उद्योग संघ के जिला अध्यक्ष मुकेश कुमार अग्रोहा ने बताया कि नोटबंदी के बाद रेड स्टोन कारोबार में गिरावट आई थी. इसके अलावा भारत सरकार ने बेतुके तरीके से जीएसटी का भार व्यापारियों पर लाद दिया. इसके कारण पत्थर कारोबार में उथल-पुथल बनी रहती है. उन्होंने कहा कि बेतुके जीएसटी के कारण पत्थर कारोबारी टैक्स चोरी करने के लिए भी मजबूर होते हैं. उन्होंने कहा रेड स्टोन जिले की लाइफ लाइन माना जाता है. इस उद्योग के विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकार को विशेष ध्यान देना होगा.

पढ़ें- Booming coaching Hub Kota: कोचिंग छात्रों की संख्या में 'बूम', डिमांड और सप्लाई के अंतर से जेब पर असर... महंगे और दूरी पर हॉस्टल लेने को मजबूर

सबसे सस्ता और टिकाऊ पत्थरः रेड स्टोन (Red Stone) सबसे सस्ता और टिकाऊ है. 10 रुपए से लेकर 65 रुपए वर्ग फुट तक इस पत्थर की खरीद-फरोख्त की जाती है. पत्थर की कटिंग और पोलीस से इसकी खूबसूरती में चार चांद लगते हैं. सस्ता और टिकाऊ पत्थर होने के साथ ही मध्यम वर्गीय परिवार और गरीब परिवार इस पत्थर का सबसे अधिक उपयोग करते हैं. विशेषकर धौलपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में इस पत्थर की सबसे अधिक खरीद की जाती है.

red stone is lifeline for Dholpur
विदेशों में डिमांड

मूर्तिकला में भी उपयोगः रेड स्टोन का उपयोग सबसे अधिक मूर्ति कला में भी किया (use of red stone in sculpture) जाता है. राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, केरला एवं तमिलनाडु में मूर्तिकार लाल पत्थर का सबसे अधिक उपयोग करते हैं. स्मारक, छतरिया, कंगूरे, छज्जे, गुम्मद रेड स्टोन से सुशोभित होते हैं.

खनन माफिया भी सक्रियः रेड स्टोन कारोबार में खनन माफिया भी पूरी तरह से सक्रिय हैं. राजनीति एवं अफसर शाही की मिलीभगत से अवैध खनन भी जमकर होता है. सरमथुरा और बाड़ी क्षेत्र में अधिकांश खनन माफिया सक्रिय हैं. खनन माफिया अनाधिकृत तरीके से गैंगसा यूनिटों को संचालित कर रहे हैं. जिससे सरकार को राजस्व का मोटा घाटा भी हो रहा है.

400 हेक्टेयर में फैला स्टोन का कारोबारः रेड स्टोन का कारोबार बाड़ी, सरमथुरा और बसेड़ी उपखंड के 400 हेक्टेयर में फैला हुआ है. जिले की 165 वैध खदानों से लाल पत्थर की निकासी होती है. विडंबना यह है कि भारी तादाद में खनन माफिया भी सिस्टम की मिलीभगत से इस कारोबार से फल फूल रहे हैं.

नीरज शर्मा-धौलपुर. चंबल के बीहड़ और दस्युओं के खौफ के लिए धौलपुर हमेशा बदनाम रहा है. इस जिले का नाम सुनने के साथ ही मन में उभरती तस्वीरें हमेशा जिले के विकास में बाधक बनी रहती है. लेकिन इसी जिले की किस्मत को यहां के पत्थरों ने बुलंदियों पर पहुंचाया है. रेड स्टोन (Red Stone) ने जिले की पहचान को ही बदलकर रख दिया है. ये पत्थर जिले को शौहरत के साथ ही पैसा भी दे रहा है. यहां के पत्थर भारत की कई प्रमुख इमारतों की खूबसूरती को चार चांद लगा रहे हैं.

इस पत्थर ने अपनी खूबसूरती एवं गुणवत्ता के कारण देश-विदेश में अलग पहचान स्थापित (World famous red stone) की है. धौलपुर जिले का लाल पत्थर लाइफ लाइन (red stone is lifeline for Dholpur) माना जाता है. इस पत्थर के कारोबार पर 20 हजार से अधिक परिवारों की आजीविका टिकी हुई है. सदियों से जुड़े परिवार इस कारोबार से अपनी आजीविका चलाते आ रहे हैं. लेकिन मौजूदा वक्त में सरकार की नीतियों की बदौलत इस कारोबार में उथल-पुथल का दौर देखने को मिल रहा है.

लाल पत्थर ने तराशा धौलपुर की किस्मत

पढ़ें- City Lifeline: कोटा की रीढ़ है 4000 करोड़ की कोचिंग इंडस्ट्री, होम ट्यूशन से हुई थी शुरुआत...आज मेडिकल, इंजीनियरिंग में है सिरमोर

इन इमारतों में हुआ लाल पत्थर का उपयोगः धौलपुर के लाल पत्थर की डिमांड (Demand for red stone) देश-विदेश में सदियों से चली आ रही है. दिल्ली का लाल किला, संसद भवन, क़ुतुब मीनार, अक्षरधाम मंदिर, फतेहपुर सीकरी दरगाह, आगरा का लाल किला समेत देश की तमाम इमारतों में रेड स्टोन का उपयोग 100 फीसदी हुआ है. देश में आने वाले सैलानियों को रेड स्टोन सबसे अधिक आकर्षित करता है.

1915 से रेड स्टोन कारोबार की हुई थी विधिवत शुरुआतः जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष मुकेश कुमार अग्रोहा ने बताया वैसे तो लाल पत्थर कारोबार (business of red stone in Dholpur) की शुरुआत मुगल काल से हुई थी. मुगल काल के शासक हुमायुं को इस कारोबार को बढ़ावा देने का श्रेय जाता है. लेकिन आजादी से पूर्व ब्रिटिश हुकूमत में रेड स्टोन कारोबार की शुरुआत 1915 से धौलपुर स्टोन नाम की कंपनी ने की थी.

देश से लेकर विदेश में है खास रुतबा

रेड स्टोन के लिए बिछाई थी स्पेशल रेल लाइनः स्टोन संघ के जिला अध्यक्ष मुन्नालाल मंगल ने बताया कि मुगल काल में रेड स्टोन कारोबार की शुरुआत (business of red stone in Dholpur) हुई थी. जिले में बाड़ी, सरमथुरा, बसेड़ी एवं धौलपुर क्षेत्र के कुछ इलाकों में संचालित है. सबसे अधिक यह कारोबार सरमथुरा एवं बसेड़ी क्षेत्र में संचालित है. जिले के लगभग 20,000 परिवारों के सदस्यों की आजीविका रेड स्टोन कारोबार पर टिकी हुई है. रेड स्टोन कारोबार (business of red stone in Dholpur) को देखते हुए स्पेशल रेल लाइन बिछाई गई थी. उन्होंने बताया आजादी से पूर्व ब्रिटिश हुकूमत में 1917 से लेकर 1937 तक संसद भवन का निर्माण इसी पत्थर से कराया गया था. मंगल ने बताया सरमथुरा, बाड़ी और बसेड़ी के डांग क्षेत्रों में रेड स्टोन की अधिक निकासी होती है. 200 से अधिक गैंगसा यूनिट पत्थर की कटिंग कर सुंदरीकरण का रूप देते हैं. उन्होंने बताया रेड स्टोन कारोबार में अधिकांश डांग क्षेत्र और ग्रामीण लोगों के परिवारों को आजीविका मिल रही है. इसके साथ ही खदानों में ट्रैक्टर, क्रेन मशीन, पॉलिश मशीन, ट्रक के माध्यम से इस कारोबार को संचालित करके लोग आजीविका चला रहे हैं.

red stone is lifeline for Dholpur
धौलपुर का रेड स्टोन

पढ़ें- City Lifeline अजमेर के आर्थिक विकास में रेलवे का है बड़ा योगदान, जानिए कैसे

दुबई एवं यूरोप में सबसे अधिक डिमांडः मुन्नालाल मंगल ने बताया देश के कोने कोने में रेड स्टोन सप्लाई (Supply of red stone in Foreing Country) किया जाता है. साथ ही दुबई और यूरोप में सबसे अधिक रेड स्टोन की डिमांड है. उनका कहना है कि दुबई और सऊदी अरब में रेड स्टोन का सबसे अधिक उपयोग किया जा रहा है. सऊदी अरब में सबसे अधिक मस्जिदों के निर्माण, रेड स्टोन से ही कराए जा रहे हैं. दुबई में रेड स्टोन का उपयोग अधिकांश बिल्डिंग, मॉल आदि में किया जा रहा है.

इसके अलावा इंग्लेंड, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जर्मनी, जापान, रूस, फ्रांस में भी रेड स्टोन विशेष पहचान (World famous red stone) बना रहा है. भारत देश की बात की जाए तो संसद भवन, क़ुतुब मीनार, लाल किला, आगरा का लाल किला, अक्षरधाम मंदिर, फतेहपुर सीकरी की ऐतिहासिक धरोहर दरगाह समेत दक्षिण भारत में विभिन्न धार्मिक स्थलों में रेडस्टोन उपयोग किया गया है. वर्तमान में अयोध्या मंदिर निर्माण एवं तेलंगाना विधानसभा में भी धौलपुर के लाल पत्थर का उपयोग किया जा रहा है. उन्होंने बताया नए संसद भवन का भी निर्माण धौलपुर के लाल पत्थर से ही कराया जा रहा है.

red stone is lifeline for Dholpur
इन इमारतों की बढ़ा रहा खूबसूरती

22 करोड़ का राजस्वः रेड स्टोन कारोबार से राज्य एवं केंद्र सरकार को सेल टेक्स, रॉयल्टी आदि के माध्यम से 22 करोड़ की सालाना राजस्व वसूली (Turnover of Dholpur) होती है. विभिन्न प्रकार के टैक्स के माध्यम से सरकार के खजाने को लाभ पहुंचता है. हाल ही में विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा के प्रयासों से टैक्स में राज्य सरकार ने छूट दी थी. 12.5 फीसदी टैक्स को घटाकर 4 फीसदी किया गया है. इससे स्टोन कारोबारियों को बड़ी राहत मिली है.

जीएसटी ने व्यापारियों का बिगाड़ा गणितः उद्योग संघ के जिला अध्यक्ष मुकेश कुमार अग्रोहा ने बताया कि नोटबंदी के बाद रेड स्टोन कारोबार में गिरावट आई थी. इसके अलावा भारत सरकार ने बेतुके तरीके से जीएसटी का भार व्यापारियों पर लाद दिया. इसके कारण पत्थर कारोबार में उथल-पुथल बनी रहती है. उन्होंने कहा कि बेतुके जीएसटी के कारण पत्थर कारोबारी टैक्स चोरी करने के लिए भी मजबूर होते हैं. उन्होंने कहा रेड स्टोन जिले की लाइफ लाइन माना जाता है. इस उद्योग के विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकार को विशेष ध्यान देना होगा.

पढ़ें- Booming coaching Hub Kota: कोचिंग छात्रों की संख्या में 'बूम', डिमांड और सप्लाई के अंतर से जेब पर असर... महंगे और दूरी पर हॉस्टल लेने को मजबूर

सबसे सस्ता और टिकाऊ पत्थरः रेड स्टोन (Red Stone) सबसे सस्ता और टिकाऊ है. 10 रुपए से लेकर 65 रुपए वर्ग फुट तक इस पत्थर की खरीद-फरोख्त की जाती है. पत्थर की कटिंग और पोलीस से इसकी खूबसूरती में चार चांद लगते हैं. सस्ता और टिकाऊ पत्थर होने के साथ ही मध्यम वर्गीय परिवार और गरीब परिवार इस पत्थर का सबसे अधिक उपयोग करते हैं. विशेषकर धौलपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में इस पत्थर की सबसे अधिक खरीद की जाती है.

red stone is lifeline for Dholpur
विदेशों में डिमांड

मूर्तिकला में भी उपयोगः रेड स्टोन का उपयोग सबसे अधिक मूर्ति कला में भी किया (use of red stone in sculpture) जाता है. राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, केरला एवं तमिलनाडु में मूर्तिकार लाल पत्थर का सबसे अधिक उपयोग करते हैं. स्मारक, छतरिया, कंगूरे, छज्जे, गुम्मद रेड स्टोन से सुशोभित होते हैं.

खनन माफिया भी सक्रियः रेड स्टोन कारोबार में खनन माफिया भी पूरी तरह से सक्रिय हैं. राजनीति एवं अफसर शाही की मिलीभगत से अवैध खनन भी जमकर होता है. सरमथुरा और बाड़ी क्षेत्र में अधिकांश खनन माफिया सक्रिय हैं. खनन माफिया अनाधिकृत तरीके से गैंगसा यूनिटों को संचालित कर रहे हैं. जिससे सरकार को राजस्व का मोटा घाटा भी हो रहा है.

400 हेक्टेयर में फैला स्टोन का कारोबारः रेड स्टोन का कारोबार बाड़ी, सरमथुरा और बसेड़ी उपखंड के 400 हेक्टेयर में फैला हुआ है. जिले की 165 वैध खदानों से लाल पत्थर की निकासी होती है. विडंबना यह है कि भारी तादाद में खनन माफिया भी सिस्टम की मिलीभगत से इस कारोबार से फल फूल रहे हैं.

Last Updated : Aug 26, 2022, 12:03 PM IST
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