धौलपुर. चंबल नदी में शहर का गंदा लाखों लीटर पानी रोजाना घुल रहा है. धौलपुर शहर का आधा गंदा पानी नालों के माध्यम से चंबल नदी में गिर रहा है. जिले के राजघाट गांव के पास तीन नालों से बेहताशा गंदा पानी जाने से चंबल नदी के स्वच्छ पानी में गंदगी समा रही है. इससे जहां जलीय जीवों के जीवन पर संकट के बादल छाए हैं तो वहीं शहर वासियों में चिंता की लकीरें नजर आने लगी हैं.
चंबल नदी से ही धौलपुर से ही नहीं, बल्कि भरतपुर तक पानी पहुंच रहा है. इससे शुद्ध पेयजल की बात कहना बेमानी साबित हो रही है. चंबल नदी में स्वच्छ पानी होने के कारण ही इसे घड़ियाल अभ्यारण संरक्षित क्षेत्र घोषित किया हुआ है. घड़ियाल स्वच्छ पानी में ही निवास करते हैं, लेकिन इस चंबल नदी को नगर परिषद ने गंदा कर रखा है.
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चंबल नदी स्थित राजघाट गांव के पास तीन नालों के माध्यम से शहर का पानी जा रहा है, लेकिन इस ओर नगर परिषद, जिला प्रशासन और जलदाय विभाग ध्यान ही नहीं दे रहे हैं. गंदे पानी को चंबल नदी में जाने से रोक पर भी किसी ने पहल नहीं की है. जिससे चंबल दूषित होती जा रही है. एक ओर तो हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय घड़ियाल चंबल सेंचुरी को बचाने के लिए चंबल नदी के तटों से बजरी का खनन रोकने के आदेश दे रखे हैं.
बता दें कि जिला मुख्यालय पर करीब-करीब पूरे शहर में सीवर लाइन डाली गई है. जहां छोटी गलियां थी, वहां पर अमृत योजना के सीवर लाइन डाली गई है. इससे करीब दस से बारह हजार मकानों में कनेक्शन दिए गए हैं. इसके बावजूद चंबल नदी में गंदा पानी नालों के माध्यम से जा रहा है. नमामि गंगे में शामिल चंबल नदी केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना में चंबल नदी शामिल है. इससे आसपास के स्थान को विकसित किया जाएगा, जिससे पानी भी स्वच्छ रहे, लेकिन नगर परिषद को इसका ख्याल तक नहीं हैं.
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चंबल को बचाने के लिए रेत उत्खनन पर भी प्रतिबंध है और उसी नदी में गंदा पानी छोड़ना इतना गंभीर विषय है. इस नदी में यदि इसी तरह गंदा पानी मिलता रहा है तो वह दिन दूर नहीं जब इस नदी में रहने वाले जलीय जीवों का तो नामोनिशान मिट ही जाएगा. साथ ही लोगों को मिल रहा पीने के स्वच्छ पानी का स्त्रोत भी समाप्त हो जाएगा. चंबल नदी में घड़ियाल व मगरमच्छ अच्छी संख्या में हैं और उनकी संख्या में और वृद्धि करने के प्रयास चल रहे हैं.