धौलपुर. कोरोना काल ने इस साल रक्षाबंधन की त्योहारी चमक को फीका कर दिया है. बाजार में राखियां तो बिक रही है, लेकिन बाजार की रौनक गायब है, क्योंकि खरीदारों में उत्साह नहीं है.
विक्रेताओं का कहना है कि लोग राखी खरीद रहे है, लेकिन पहले जिस प्रकार महंगी और आकर्षक राखी की मांग हर साल होती थी, इस बार मांग नहीं है. बस रस्म निभाने के लिए लोग राखियां खरीद रहे हैं. कोरोना संक्रमण के कारण लोग भीड़भाड़ वाले बाजारों में जाने से बच रहे हैं, जिससे राखी विक्रेताओं पर इसका असर पड़ा है.
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कोरोना के कारण राखी की बिक्री पिछले साल के मुकाबले घरेलू बाजार में करीब 30 फीसदी घट गई है. लॉकडाउन की वजह से कई जगह राखी की सप्लाई नहीं हो पाई और ऑनलाइन मांग में 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई. राखी की निर्यात मांग पर कोरोना का असर तो पड़ा ही है, विदेशों में भाइयों को बहनें जो राखी भेजती थी, वे इस साल कई देशों में नहीं भेज सकते.
गिफ्ट शॉप वालों का कहना है कि पिछले वर्षों की तरह इस साल रक्षाबंधन पर गिफ्ट और महंगी राखियों की मांग नहीं है. चीनी एसेसरी से बनी राखियां इस बार बाजार से नदारद हैं. दुकानदारों ने बताया कि लोगों ने इस साल चीन से आयातित लाइटिंग के सामान और खिलौने युक्त लुभावने राखियां नहीं मंगाई है, क्योंकि सस्ती और साधारण राखियां ही लोग पसंद कर रहे हैं.
कोरोना वायरस की वजह से रक्षाबंधन का पर्व घर पर रह कर ही मनाना होगा. इस बार महिलाएं अधिकतर ऑनलाइन राखी भेज रही हैं और भाई भी ऑनलाइन गिफ्ट भेज रहे हैं. वैसे तो जिले के कुछ लोग विदेशों में हैं. अधिकतर लोग कोरियर या डाक से राखी भेज रहे हैं, लेकिन कोरियर वापस आ जाते हैं और डाक का कोई पता नहीं है.
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अगर दुकानदारों की तरफ देखें तो यह त्योहार बिल्कुल मंदी की ओर जा रहा है. कोरोना महामारी के कारण लोग राखी की खरीदारी बहुत ही कम कर रहे हैं, दूसरा एक स्टेट से दूसरे स्टेट जाने के लिए भी काफी फॉर्मेलिटी है. ऐसे में राखी की बजाए एक साधारण धागा ही बांधना पड़ेगा, लेकिन बहियों का आशीर्वाद भाई के साथ हमेशा बना रहेगा, धागा भी रक्षा के लिए ही बांधा जाएगा.