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Om Namah Shivay: चंबल के बीहड़ों में बसे हैं अचलेश्वर महादेव, दिन में तीन बार बदलते है रंग

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Published : Jul 23, 2022, 6:11 AM IST

Updated : Jul 23, 2022, 6:35 AM IST

जिले के चंबल के बीहड़ों में जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी स्थित पूर्व एवं दक्षिण दिशा में हजारों साल पुराना ऐतिहासिक अचलेश्वर महादेव (Rajasthan Mandir Mistry) मंदिर श्रद्धालुओं की अगाध आस्था का केंद्र बना हुआ है. रंग बदलते शिवलिंग का रहस्य सैकड़ों सालों से बना हुआ है. वैज्ञानिक भी भगवान की इस अबूझ पहेली को सुलझा नहीं पाए हैं.

Om Namah Shivay
चंबल के बीहड़ों में बसे हैं अचलेश्वर महादेव

धौलपुर. जिले के चंबल के बीहड़ों में जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी स्थित पूर्व एवं दक्षिण दिशा में हजारों साल पुराना ऐतिहासिक अचलेश्वर महादेव (Om Namah Shivay) मंदिर श्रद्धालुओं की अगाध आस्था का केंद्र बना हुआ है. साल के 12 महीने में दिन में तीन बार रंग बदलने वाला चमत्कारी शिवलिंग भक्त और श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करने वाला है. सावन के महीने में चंबल के बीहड़ों में अचलेश्वर मंदिर (Achaleshwar Mahadev) पर श्रद्धालुओं की खासी चहल-पहल देखी जाती है. रुद्राभिषेक, सहस्त्रधारा, महामृत्युंजय जप, रुद्री, कालसर्प आदि के पाठ किए जाते हैं. करीब 1000 साल पुराना शिवलिंग होने के कारण कई किवदंती इस मंदिर से जुड़ी है. ऐसा माना जाता है सोलह सोमवार चमत्कारी शिवलिंग पर गंगा जल अर्पित किया करने वाले कुंवारों को मनचाहा वर या वधू की प्राप्ति होती है.

चमत्कारिक शिवलिंग: इतिहासकार मुकेश सुतल ने बताया कि लगभग 1000 साल पुराना चमत्कारी शिवलिंग है. इस शिवलिंग की सैकड़ों साल पूर्व खुदाई कराई गई थी लेकिन इसका आदि एवं अंत नहीं पाया गया.ऐसे में चंबल के बीहड़ों में ही मंदिर स्थापित कर पूजा अर्चना की गई. अचल शिवलिंग होने के कारण इसका नाम अचलेश्वर नाम से शुरू हो गया. अचलेश्वर मंदिर के पीछे से गुजर रही चंबल नदी चमत्कारी शिवलिंग को पखार कर निकलती है. बरसाती सीजन में जब भी चंबल में उफान आता है तो शिवलिंग का चरण स्पर्श कर निकलती है.

3 बार बदलते रंग: अचलेश्वर महादेव की महिमा निराली है. दिन में 3 बार रंग बदलते हैं भोले बाबा. सुबह के पहर शिवलिंग का रंग लाल, दोपहर के समय केसरिया और शाम ढलने के बाद सांवले रंग में आ जाते हैं बाबा. स्वयंभू हैं बाबा भोलेनाथ. शिवलिंग की खास बात यह है कि छोर से लेकर आखिरी भाग तक अब तक कोई पहुंच नहीं पाया. प्रयत्न तो बहुत किए गए लेकिन अब तक शिवलिंग को कोई माप नहीं पाया, गहराई का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सका.

चंबल के बीहड़ों में बसे भोलेनाथ

पढ़ें-Naldeshwar Temple of Alwar : अमरनाथ की तरह अलवर में भी गुफा में विराजमान हैं भगवान शिव, सावन माह में भरता है मेला...

पूरी होती मनोकामना: मान्यता है कि अविवाहित युवक एवं युवतियां अपने मनचाहे जीवनसाथी की कामना को लेकर आते हैं. कहते हैं कि अविवाहित यदि यहां पर सोलह सोमवार को जलाभिषेक करते हैं तो उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है. सोमवार के दिन चमत्कारी शिवलिंग पर बेलपत्र और गंगाजल चढ़ाने के लिए युवक एवं युवतियों की भारी भीड़ देखी जाती है.खासकर सावन में तो हालात मेले जैसे हो जाते हैं. धौलपुर के अलावा मध्यप्रदेश के मुरैना, ग्वालियर, संबलगढ़, भिंड, शिवपुरी और उत्तर प्रदेश के आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, इटावा, मैनपुरी तक के श्रद्धालु मन्नतों के साथ यहां शीश झुकाते हैं.

ये भी पढ़ें-मनोकामना पूरी करते हैं 'नई के नाथ', सावन में महादेव के पूजन को लगती है श्रद्धालुओं की कतार

रहस्य बरकरार: अचलेश्वर महादेव का शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है. कैसे और क्यों? क्या इसका कोई वैज्ञानिक आधार है? ये रहस्य सैकड़ों सालों से बना हुआ है. कई मर्तबा वैज्ञानिकों की टीम रिसर्च एवं जांच पड़ताल करने पहुंची लेकिन चमत्कारी शिवलिंग के रहस्य की पहेली सुलझा नहीं पाई.

धौलपुर. जिले के चंबल के बीहड़ों में जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी स्थित पूर्व एवं दक्षिण दिशा में हजारों साल पुराना ऐतिहासिक अचलेश्वर महादेव (Om Namah Shivay) मंदिर श्रद्धालुओं की अगाध आस्था का केंद्र बना हुआ है. साल के 12 महीने में दिन में तीन बार रंग बदलने वाला चमत्कारी शिवलिंग भक्त और श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करने वाला है. सावन के महीने में चंबल के बीहड़ों में अचलेश्वर मंदिर (Achaleshwar Mahadev) पर श्रद्धालुओं की खासी चहल-पहल देखी जाती है. रुद्राभिषेक, सहस्त्रधारा, महामृत्युंजय जप, रुद्री, कालसर्प आदि के पाठ किए जाते हैं. करीब 1000 साल पुराना शिवलिंग होने के कारण कई किवदंती इस मंदिर से जुड़ी है. ऐसा माना जाता है सोलह सोमवार चमत्कारी शिवलिंग पर गंगा जल अर्पित किया करने वाले कुंवारों को मनचाहा वर या वधू की प्राप्ति होती है.

चमत्कारिक शिवलिंग: इतिहासकार मुकेश सुतल ने बताया कि लगभग 1000 साल पुराना चमत्कारी शिवलिंग है. इस शिवलिंग की सैकड़ों साल पूर्व खुदाई कराई गई थी लेकिन इसका आदि एवं अंत नहीं पाया गया.ऐसे में चंबल के बीहड़ों में ही मंदिर स्थापित कर पूजा अर्चना की गई. अचल शिवलिंग होने के कारण इसका नाम अचलेश्वर नाम से शुरू हो गया. अचलेश्वर मंदिर के पीछे से गुजर रही चंबल नदी चमत्कारी शिवलिंग को पखार कर निकलती है. बरसाती सीजन में जब भी चंबल में उफान आता है तो शिवलिंग का चरण स्पर्श कर निकलती है.

3 बार बदलते रंग: अचलेश्वर महादेव की महिमा निराली है. दिन में 3 बार रंग बदलते हैं भोले बाबा. सुबह के पहर शिवलिंग का रंग लाल, दोपहर के समय केसरिया और शाम ढलने के बाद सांवले रंग में आ जाते हैं बाबा. स्वयंभू हैं बाबा भोलेनाथ. शिवलिंग की खास बात यह है कि छोर से लेकर आखिरी भाग तक अब तक कोई पहुंच नहीं पाया. प्रयत्न तो बहुत किए गए लेकिन अब तक शिवलिंग को कोई माप नहीं पाया, गहराई का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सका.

चंबल के बीहड़ों में बसे भोलेनाथ

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पूरी होती मनोकामना: मान्यता है कि अविवाहित युवक एवं युवतियां अपने मनचाहे जीवनसाथी की कामना को लेकर आते हैं. कहते हैं कि अविवाहित यदि यहां पर सोलह सोमवार को जलाभिषेक करते हैं तो उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है. सोमवार के दिन चमत्कारी शिवलिंग पर बेलपत्र और गंगाजल चढ़ाने के लिए युवक एवं युवतियों की भारी भीड़ देखी जाती है.खासकर सावन में तो हालात मेले जैसे हो जाते हैं. धौलपुर के अलावा मध्यप्रदेश के मुरैना, ग्वालियर, संबलगढ़, भिंड, शिवपुरी और उत्तर प्रदेश के आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, इटावा, मैनपुरी तक के श्रद्धालु मन्नतों के साथ यहां शीश झुकाते हैं.

ये भी पढ़ें-मनोकामना पूरी करते हैं 'नई के नाथ', सावन में महादेव के पूजन को लगती है श्रद्धालुओं की कतार

रहस्य बरकरार: अचलेश्वर महादेव का शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है. कैसे और क्यों? क्या इसका कोई वैज्ञानिक आधार है? ये रहस्य सैकड़ों सालों से बना हुआ है. कई मर्तबा वैज्ञानिकों की टीम रिसर्च एवं जांच पड़ताल करने पहुंची लेकिन चमत्कारी शिवलिंग के रहस्य की पहेली सुलझा नहीं पाई.

Last Updated : Jul 23, 2022, 6:35 AM IST
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