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'था तुझे गुरूर अपने लंबे होने का ऐ सड़क, गरीब के हौसले ने तुझे पैदल ही नाप दिया'

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Published : May 15, 2020, 8:20 PM IST

Updated : May 15, 2020, 11:04 PM IST

'था तुझे गुरूर तेरे लंबे होने का ऐ सड़क, मजदूर के हौसलों ने तुझे पैदल ही नाप दिया.' जी हां ये लाइन आज के मजदूरों की हालत पर सटीक बैठती है. आइए जानते हैं पैदल जा रहे मजदूरों की कुछ ऐसी ही दास्तां.

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पलायन को मजबूर मजदूर

धौलपुर. कहने को तो केंद्र और राज्य की सरकारों ने प्रवासी मजदूरों के निकलने के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं. सरकार के पुख्ता इंतजामों के दावों की पोल खोलती यह तस्वीरें धौलपुर जिले की हैं. दरअसल, धौलपुर जिले से एक ओर मध्य प्रदेश तो दूसरी ओर उत्तर प्रदेश की सीमा लगती है. दोनों ही ओर अलग-अलग प्रदेश की सीमा लगने की वजह से एमपी और यूपी बॉर्डर से भारी संख्या में मजदूरों का जिले से आवागमन हो रहा है.

पलायन को मजबूर मजदूर

राजस्थान के महज 27 किलोमीटर के दायरे में आने वाले धौलपुर जिले से होकर प्रतिदिन बड़ी संख्या में मजदूर अपने अपने घरों की ओर जा रहे हैं. जिले से निकलने वाले मजदूरों में कुछ मजदूर ट्रकों से अपने घर जा रहे हैं तो वहीं बड़ी संख्या में मजदूर आज भी पैदल पैदल अपने घर जाते हुए दिखाई दे रहे हैं. मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के सरकार के दावों की पोल खोलती यह तस्वीरें स्पष्ट तौर पर प्रशासन की उस लापरवाही को उजागर करती हुई नजर आ रही है, जिस लापरवाही की वजह से 42 डिग्री से भी अधिक तापमान में गरीब मजदूर पैदल ही अपने घर जा रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः स्पेशलः घर पहुंचने की जिद ने छोटे कदमों से नाप दी 400 किमी. की दूरी...फिर भी मंजिल अभी दूर

गौरतलब है कि वैश्विक महामारी कोरोना मजदूर वर्ग के लिए त्रासदी लेकर आई है. देश के सभी सड़क मार्गों पर मजदूरों का पलायन बना हुआ है. छोटे-छोटे बच्चों के साथ मजदूर शहरों से पलायन कर अपनी मंजिल के लिए चल रहे हैं. कुछ मजदूर परिवार देश में सड़क हादसे का भी शिकार हुए हैं. उधर सरकार मजदूरों को गंतव्य स्थान तक पहुंचाने के लिए बस और रेल की सुविधाएं देने के दावे कर रही है. लेकिन पैसों के अभाव में मजदूर परिवारों को लेकर पैदल ही पलायन करने को मजबूर हैं. ऐसा ही नजारा धौलपुर के एनएच-3 पर देखने को मिल रहा है, जिस दिन से सरकार ने लॉकडाउन घोषित किया है तभी से मजदूरों का पलायन भी बना हुआ है. आसमान से बरसते शोलों के बीच 42 तापमान में मजदूर छोटे बच्चे महिलाओं को लेकर लाचारी और बेबसी में सिर्फ भाग्य और किस्मत को ही कोसते हुए दिख रहे हैं. सल्तनत के जिम्मेदारों के दावे सिर्फ हवाई और कागजों तक सिमट कर रह गए हैं.

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पैदल घर की ओर जा रहे मजदूर

पूर्वी राजस्थान का धौलपुर जिला उत्तर प्रदेश की आगरा जिला सीमा और मध्य प्रदेश के मुरैना जिले की सीमा से लगा हुआ है. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश बॉर्डर पर पुलिस बल तैनात किया गया है. हाइवे पर चिलचिलाती धूप में सिर पर पोटली हाथ में पानी की बोतल लेकर मजदूर महिला और बच्चों के साथ मंजिल पर चलते जा रहे हैं. हालांकि कुछ मजदूरों को ट्रक कंटेनर का सहारा भी मिल रहा है. लेकिन पैसे के अभाव में अधिकांश मजदूर पैदल ही सफर करने के लिए मजबूर हैं.

जानकारी के मुताबिक 24 घंटे में 15 सौ से दो हजार मजदूरों का काफिला हाइवे से गुजरता है. अधिकांश मजदूर दिल्ली-हरियाणा-अंबाला-पंजाब-नोएडा-महाराष्ट्र और गुजरात से निकल रहे हैं. मजदूरों का पलायन मध्य प्रदेश के मुरैना जिला ग्वालियर भिंड शिवपुरी पन्ना रीवा सतना दमोह सागर कटनी जबलपुर सहित अन्य जिलों के लिए आवागमन बना हुआ है. कोरोना महामारी देश के मजदूरों के लिए कहर बनकर बरपी है. बहरहाल, गरीब और मजदूरों का हौसला पैरों में छाले पड़ने के बाद भी जवाब नहीं दे रहा है. अपनों से मिलने के लिए सिर्फ मंजिल ही उनका निशाना है. मंजिल की जुस्तजू में मजदूरों का काफिला लगातार चलता ही जा रहा है. उधर, सरकार और उसके जिम्मेदारों के दावे पूरी तरह से खोखले साबित हो रहे हैं.

धौलपुर. कहने को तो केंद्र और राज्य की सरकारों ने प्रवासी मजदूरों के निकलने के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं. सरकार के पुख्ता इंतजामों के दावों की पोल खोलती यह तस्वीरें धौलपुर जिले की हैं. दरअसल, धौलपुर जिले से एक ओर मध्य प्रदेश तो दूसरी ओर उत्तर प्रदेश की सीमा लगती है. दोनों ही ओर अलग-अलग प्रदेश की सीमा लगने की वजह से एमपी और यूपी बॉर्डर से भारी संख्या में मजदूरों का जिले से आवागमन हो रहा है.

पलायन को मजबूर मजदूर

राजस्थान के महज 27 किलोमीटर के दायरे में आने वाले धौलपुर जिले से होकर प्रतिदिन बड़ी संख्या में मजदूर अपने अपने घरों की ओर जा रहे हैं. जिले से निकलने वाले मजदूरों में कुछ मजदूर ट्रकों से अपने घर जा रहे हैं तो वहीं बड़ी संख्या में मजदूर आज भी पैदल पैदल अपने घर जाते हुए दिखाई दे रहे हैं. मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के सरकार के दावों की पोल खोलती यह तस्वीरें स्पष्ट तौर पर प्रशासन की उस लापरवाही को उजागर करती हुई नजर आ रही है, जिस लापरवाही की वजह से 42 डिग्री से भी अधिक तापमान में गरीब मजदूर पैदल ही अपने घर जा रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः स्पेशलः घर पहुंचने की जिद ने छोटे कदमों से नाप दी 400 किमी. की दूरी...फिर भी मंजिल अभी दूर

गौरतलब है कि वैश्विक महामारी कोरोना मजदूर वर्ग के लिए त्रासदी लेकर आई है. देश के सभी सड़क मार्गों पर मजदूरों का पलायन बना हुआ है. छोटे-छोटे बच्चों के साथ मजदूर शहरों से पलायन कर अपनी मंजिल के लिए चल रहे हैं. कुछ मजदूर परिवार देश में सड़क हादसे का भी शिकार हुए हैं. उधर सरकार मजदूरों को गंतव्य स्थान तक पहुंचाने के लिए बस और रेल की सुविधाएं देने के दावे कर रही है. लेकिन पैसों के अभाव में मजदूर परिवारों को लेकर पैदल ही पलायन करने को मजबूर हैं. ऐसा ही नजारा धौलपुर के एनएच-3 पर देखने को मिल रहा है, जिस दिन से सरकार ने लॉकडाउन घोषित किया है तभी से मजदूरों का पलायन भी बना हुआ है. आसमान से बरसते शोलों के बीच 42 तापमान में मजदूर छोटे बच्चे महिलाओं को लेकर लाचारी और बेबसी में सिर्फ भाग्य और किस्मत को ही कोसते हुए दिख रहे हैं. सल्तनत के जिम्मेदारों के दावे सिर्फ हवाई और कागजों तक सिमट कर रह गए हैं.

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पैदल घर की ओर जा रहे मजदूर

पूर्वी राजस्थान का धौलपुर जिला उत्तर प्रदेश की आगरा जिला सीमा और मध्य प्रदेश के मुरैना जिले की सीमा से लगा हुआ है. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश बॉर्डर पर पुलिस बल तैनात किया गया है. हाइवे पर चिलचिलाती धूप में सिर पर पोटली हाथ में पानी की बोतल लेकर मजदूर महिला और बच्चों के साथ मंजिल पर चलते जा रहे हैं. हालांकि कुछ मजदूरों को ट्रक कंटेनर का सहारा भी मिल रहा है. लेकिन पैसे के अभाव में अधिकांश मजदूर पैदल ही सफर करने के लिए मजबूर हैं.

जानकारी के मुताबिक 24 घंटे में 15 सौ से दो हजार मजदूरों का काफिला हाइवे से गुजरता है. अधिकांश मजदूर दिल्ली-हरियाणा-अंबाला-पंजाब-नोएडा-महाराष्ट्र और गुजरात से निकल रहे हैं. मजदूरों का पलायन मध्य प्रदेश के मुरैना जिला ग्वालियर भिंड शिवपुरी पन्ना रीवा सतना दमोह सागर कटनी जबलपुर सहित अन्य जिलों के लिए आवागमन बना हुआ है. कोरोना महामारी देश के मजदूरों के लिए कहर बनकर बरपी है. बहरहाल, गरीब और मजदूरों का हौसला पैरों में छाले पड़ने के बाद भी जवाब नहीं दे रहा है. अपनों से मिलने के लिए सिर्फ मंजिल ही उनका निशाना है. मंजिल की जुस्तजू में मजदूरों का काफिला लगातार चलता ही जा रहा है. उधर, सरकार और उसके जिम्मेदारों के दावे पूरी तरह से खोखले साबित हो रहे हैं.

Last Updated : May 15, 2020, 11:04 PM IST
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