धौलपुर. जिले में कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. जहां धौलपुर के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए वेंटिलेटर, बेड, बिस्तर और लाखों रुपए कीमत के उपकरणों की भरमार है, लेकिन यहां पर मरीजों का इलाज करने के लिए डाॅक्टरों की ही संख्या कम है.
जिला अस्पताल सहित जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में डाॅक्टरों के करीब 33 प्रतिशत पद खाली पड़े हुए हैं. जिसमें अस्पतालों में 270 डाक्टर्स होने चाहिए, जबकि काम सिर्फ 155 डाॅक्टर्स ही कर रहे हैं. हालत यह है कि सरकारी अस्पतालों में सिर्फ प्राथमिक उपचार ही किए जा रहे हैं.़
वहीं, मरीज की हालत गंभीर होने पर ग्रामीण इलाकों से उसे जिला मुख्यालय और जिला मुख्यालय से जयपुर, आगरा और ग्वालियर रेफर किया जाता है. साथ ही अधिकांश डाॅक्टरों को निजी प्रैक्टिस करने से फुरसत नहीं है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से संक्रमित मरीजों को बेहतर इलाज देने का दावा किया जा रहा है. लेकिन हकीकत यह है कि जिले के स्वास्थ्य विभाग में सिर्फ वेंटीलेटर को ऑपरेट करने वाले डाॅक्टरों और प्रशिक्षित स्टाफ का ही टोटा नहीं है. बल्कि जिले के सभी अस्पतालों में डाॅक्टरों का ही रोना है.
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ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सिर्फ मरीजों को प्राथमिक उपचार देकर सिर्फ खानापूर्ति करके जिले को नंबर वन बनाने में जुटे हुए हैं. जिला अस्पताल, बाड़ी, सीएचसी राजाखेड़ा, सीएचसी मनिया, सैपऊ, सरमथुरा, बसई नवाब, बसेड़ी और कंचनपुर सीएचसी पर चिकित्सकों की कमी है. जिले की 38 पीएचसी में 30 डाॅक्टर कार्यरत हैं. जबकि 7 पद रिक्त चल रहे हैं.
जिले में कोरोना संक्रमण लगातार रफ्तार पकड़ रहा है. कोरोना रोगियों की संख्या में दिनोंदिन इजाफा हो रहा है. शहरी क्षेत्रों के बाद ग्रामीण इलाकों में भी संक्रमित मरीज निकल रहे हैं. चिकित्सकों के अभाव में सरकार कैसे मरीजों को बेहतर सुविधा देगी यह आने वाला वक्त ही तय करेगा.