धौलपुर. जिले के किसानों ने खरीफ की फसल अंकुरित होने के बाद निराई गुड़ाई के काम की शुरुआत कर दी है. किसान सुबह से शाम तक खेतों में पसीना बहाकर खरीफ फसल को बनाने में जुट गए हैं. फसल अंकुरित होने पर शुरुआती लक्षण काफी अच्छे दिखाई दे रहे हैं. खेतों में पौधा पूरी तरह से विकसित होकर अंकुरित हो गया है.
जिले में अधिकांश किसानों की ओर से पारंपरिक खेती की जाती है. जिसमें प्रमुख रुप से बाजरा, दलहन, तिलहन, ग्वार, ज्वार की फसल प्रमुख है. फसल काफी अच्छी अंकुरित होने पर शुरुआत में किसानों के चेहरों पर रौनक देखी जा रही है. किसानों ने खेतों में निराई गुड़ाई के काम की कवायद शुरू कर दी है, लेकिन खाद, यूरिया महंगा होने पर किसानों को चिंता भी सता रही है.
गौरतलब है कि वुबाई होने के बाद फसल अब खेतों में अंकुरित होकर निराई गुड़ाई के मुकाम तक पहुंच चुकी है. खेतों में पौधा काफी स्वस्थ हालत में अंकुरित हुआ है. जिससे किसानों के चेहरों पर रौनक देखी जा रही है. वहीं, खरीफ फसल के पौधों से खरपतवार को अलग किया जा रहा है. जिससे पौधा पूरी तरह से विकसित हो सके. जिले का काश्तकार अधिकांश बाजरा, दलहन, तिलहन, ग्वार और ज्वार की फसल को अहमियत देता है. सभी फसलों की बुवाई किसान पहली बारिश होने पर ही कर चुका था.
मौसम का मिजाज खेती के अनुकूल होने पर पौधा विकसित होकर खेतों में अंकुरित हुआ है. जिससे किसान फसल की निराई गुड़ाई कर खरपतवार को पृथक करने की कवायद कर रहा है. खेतों में फसल से हरियाली छा गई है. किसान दिन रात पसीना एक कर फसल को बनाने की जुगत में लगा हुआ है, लेकिन किसानों ने दूसरी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि खाद यूरिया बाजार में काफी महंगा मिल रहा है. जिससे खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है.
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वहीं, किसानों ने राज्य सरकार से मांग करते हुए कहा कि फर्टिलाइजर को सस्ता करना चाहिए. पिछले कई सालों से खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा बन गई है. कभी मौसम की मार तो कहीं ओलावृष्टि ने किसानों को कमजोर कर दिया है. हालांकि सरकार खाद यूरिया पर सब्सिडी दे रही है, लेकिन उसके बावजूद महंगाई की मार बहुत ज्यादा है. किसानों ने बताया कि अगर मौसम ने साथ दिया तो मेहनत के मुताबिक उत्पादन हासिल हो सकता है.