धौलपुर. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के गृह जिले में भाजपा चारों खाने चित हो गई है. धौलपुर, राजाखेड़ा एवं बसेड़ी में कांग्रेस को शानदार जीत मिली है. बाड़ी विधानसभा क्षेत्र में विगत तीन चुनाव से दबदबा बनाए गिर्राज सिंह मलिंगा को जसवंत सिंह गुर्जर (बीएसपी) के सामने करारी हार का मुंह देखना पड़ा है. जिले की राजनीति का गणित राजनीतिक जानकारों के अनुमान के मुताबिक विपरीत दिशा में गया है. हालांकि, वसुंधरा विरोधियों को भाजपा ने टिकट दिया था. इसे लेकर सियासी पंडित भाजपा की हार का जिम्मेदार भितरघात को भी मान रहे है.
दरअसल, 3 दिसंबर को आए विधानसभा चुनाव के परिणामों ने जिले की राजनीति को पूरी तरह से बदल दिया है. शह और मात का खेल विधानसभा चुनाव में पूरी तरह से देखने को मिला. बात करें भाजपा की तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के चहेतों को टिकट नहीं देना बीजेपी को जिले की चारों विधानसभा सीट पर करारी हार की वजह मानी जा रही है. भाजपा आलाकमान ने टिकट वितरण में वसुंधरा समर्थकों को दरकिनार किया था, जिसका नतीजा यह हुआ कि जिले के चारों विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी खुद तक सिमट कर रह गए. लिहाजा, सीधा सियासी फायदा कांग्रेस को मिला है.
राजाखेड़ा में वसुंधरा समर्थकों का काटा टिकट : राजाखेड़ा विधानसभा क्षेत्र में वसुंधरा समर्थक टिकट की दावेदारी कर रहे थे. पूर्व जिला प्रमुख डॉक्टर धर्मपाल सिंह जादौन, नागेंद्र सिंह चौहान एवं बचाराम बघेल वसुंधरा राजे गुट के नेता माने जाते हैं. तीनों नेता टिकट की दावेदारी कर रहे थे. डॉक्टर धर्मपाल सिंह जादौन ने भाजपा से बगावत कर बहुजन समाज पार्टी से टिकट लेकर नामांकन भी दाखिल किया था, लेकिन आलाकमान के दवाब की वजह से एन वक्त पर नामांकन वापस ले लिया. उधर आलाकमान ने बीजेपी से नीरजा अशोक शर्मा को प्रत्याशी घोषित कर दिया. राजनीतिक जानकारों की मानें तो नीरजा अशोक शर्मा चुनावी मैदान में अकेली खड़ी रह गईं, जिसका सियासी फायदा कांग्रेस प्रत्याशी एवं विधायक रोहित बोहरा को मिला.
धौलपुर में फिर साली रही जीजा पर भारी : धौलपुर विधानसभा क्षेत्र की जीजा साली की सबसे चर्चित सीट रही थी. 2018 के चुनाव की तरह इस बार भी साली शोभारानी कुशवाहा ने जीजा डॉक्टर शिवचरण कुशवाहा को कड़ी टक्कर देकर तीसरे नंबर पर धकेल दिया. धौलपुर सीट पर कांग्रेस की शोभारानी कुशवाहा एवं बीएसपी के रितेश शर्मा के बीच मुकाबला रहा. जीजा डॉक्टर शिवचरण कुशवाहा तीसरे नंबर पर रहे. धौलपुर सीट पर हुई भाजपा की हार की वजह राजनीतिक जानकार भाजपा की अंदरूनी बगावत को मान रहे हैं.
बाड़ी में सीधे मुकाबले ने मलिंगा का बिगाड़ा खेल : बाड़ी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को गिर्राज सिंह मलिंगा का टिकट काटना इतना भारी पड़ा कि कांग्रेस की जमानत जब्त हो गई. गिर्राज सिंह मलिंगा भाजपा एवं जसवंत सिंह गुर्जर के मध्य सीधा मुकाबला देखा गया. कांग्रेस प्रत्याशी प्रशांत सिंह परमार जमानत बचाने में भी नाकाम साबित रहे. बाड़ी सीट पर गिर्राज सिंह मलिंगा भाजपा एवं जसवंत सिंह गुर्जर बीएसपी के मध्य मुकाबला रहा. जसवंत सिंह गुर्जर ने पुरानी तीन हार का बदला लेते हुए गिर्राज सिंह मलिंगा को 27,000 से अधिक मतों से मात दी.
कांग्रेस के संजय जाटव ने जीतकर सबको चौंकाया : आरक्षित सीट बसेड़ी कांग्रेस के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण एवं गफलत भरी नजरों से देखी जा रही थी. सचिन पायलट गुट के खिलाड़ी लाल बैरवा ने टिकट कटने के बाद बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा था, लेकिन खिलाड़ी लाल बैरवा कांग्रेस के पारंपरिक वोट को काटने में नाकाम साबित रहे. संजय कुमार जाटव ने जीत दर्ज कर सबको चौंकाया है.
माली समाज ने पहली मर्तबा कांग्रेस को किया बंपर वोट : धौलपुर जिले के चारों विधानसभा क्षेत्रों में माली समाज का मतदाता भारी तादाद में दखल रखता है. शोभारानी कुशवाहा को माली एवं कुशवाहा समाज का नेता माना जाता है. शोभारानी कुशवाहा के कांग्रेस में शामिल होने की वजह से जिले के चारों विधानसभा क्षेत्रों में माली एवं कुशवाहा समाज के मतदाताओं का रुझान कांग्रेस की तरफ बढ़ गया. लिहाजा, माली एवं कुशवाहा समाज के लोगों ने कांग्रेस को चारों विधानसभा क्षेत्रों में बंपर वोट किया. जिसका नतीजा रहा कि कांग्रेस को तीन सीट पर फतह हासिल हुई.