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राजस्थान के अस्पतालों में लागू धौलपुर मॉडल, कलेक्टर जायसवाल को मिलेगा ई-गवर्नेंस अवॉर्ड - ई-मित्रों से बनेंगे अस्पतालों के पर्चे

धौलपुर जिला कलेक्टर ने राजस्थान के सरकारी अस्पतालों के आउटडोर पर्चे ई-मित्र पर मिलने की सुविधा का मॉडल बनाया था. ऐसे में इस कार्य के लिए अब राज्य सरकार उनको ई-गवर्नेंस अवॉर्ड देने की घोषणा की है. साथ ही इस मॉडल को पूरे प्रदेश के अस्पतालों में लागू किया गया है.

collector will get e-governance award, कलेक्टर को मिलेगा ई-गवर्नेस अवार्ड
ई-मित्रों से बनेंगे अस्पतालों के पर्चे
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Published : Jul 2, 2020, 7:28 PM IST

धौलपुर. जिले की पहल पर अब राजस्थान के सभी जिलों में ई-मित्रों के माध्यम से अस्पतालों के पर्चे बन सकेंगे. इस कड़ी में जिले में भी ई-मित्र केन्द्रों के माध्यम से रोगी पर्ची पंजीकरण की पहल करने को लेकर राजस्थान सरकार ने जिला कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल को वर्ष 2018-2019 के ई-गवर्नेंस अवॉर्ड देने की घोषणा की हैं.

जिला कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल ने अस्पताल में मरीजों की भीड़ को कम करने के लिए ई-मित्र केंद्रों में रोगी पर्ची पंजीकरण की शुरुआत की थी. जिसके बाद 32 जिलों के कलेक्टर्स ने वीसी के माध्यम से जिला कलेक्टर से इस पहल की जानकारी ली. ई-मित्र केंद्रों में रोगी पर्ची पंजीकरण का कोरोना काल में काफी फायदा मिला है. जिसके कारण अस्पताल में आने वाले अधिकांश मरीजों ने अस्पताल की ओपीडी में बिना लाइन लगे ई-मित्र के माध्यम से पर्चे बनवाए और सीधे जाकर डॉक्टर से उपचार लिया.

ई-मित्रों से बनेंगे अस्पतालों के पर्चे

पढ़ेंः पोषाहार तैयार करने वाली 5 लाख महिलाओं के हाथ खाली, CM से मदद की आस

जिला अस्पताल की ओपीडी में पर्चा बनवाने के लिए पूर्व में बड़ी संख्या में लोगों को लाइन में लगना पड़ता था. जिला कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल द्वारा अस्पताल के निरीक्षण में ओपीडी की लाइन में लगे बुजुर्ग गर्मी में परेशान होकर गिरे थे, तब कलेक्टर ने लाइन को कम करने का प्लान बनाया था. पहले उन्होंने लाइन से निजात के लिए महिला, वरिष्ठजन के लिए अलग-अलग काउंटर बनाए, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ था.

इसके बाद कलेक्टर ने विभिन्न अस्पतालों के चिकित्सा अधिकारी प्रभारी, सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग के स्थानीय अधिकारियों से वार्ता कर इस मॉडल को विकसित किया. जिसमें लाइन में खड़े होने की बात तो बहुत दूर की हो गई, मरीजों को अब रोगी पर्ची बनवाने के लिए अस्पताल जाने की भी जरूरत नहीं थी.

सर्वप्रथम यह देखा गया कि अस्पताल में जो पर्चियां बनाई जा रही हैं, वह आईएचएमएस प्लेटफार्म पर बनाई जा रही थी और ई-मित्र काउंटर अलग टेक्निकल प्लेटफार्म पर कार्य करते थे, तो सर्वप्रथम ई-मित्र काउंटर को स्थानीय स्तर पर आईएचएमएस प्लेटफार्म पर एक्सेस दी गई, लेकिन इस कार्य में भी प्रारंभिक तौर पर बहुत परेशानियां आईं.

पढ़ेंः जयपुर में शुरू हुई कोरोना जागरूकता प्रदर्शनी, प्रभारी मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया उद्घाटन

मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत यह कानूनी अनिवार्यता थी कि रोगी पर्ची के लिए प्री प्रिंटेड पर्ची का इस्तेमाल होगा. सरकार द्वारा यह प्रावधान इसलिए था कि ऑडिट की जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके की अस्पताल के ड्रग स्टोर से उन्हीं दवाइयों को दिया गया है, जो डॉक्टर ने पर्चे पर लिखी है. इस समस्या से निजात के लिए जिला कलेक्टर के द्वारा सभी ई-मित्र केन्द्रों को प्री प्रिंटेड स्टेशनरी और डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर उपलब्ध कराए गए, क्योंकि ई-मित्र केन्द्रों के द्वारा प्रयोग किए जा रहे डिजिटल प्रिंटर पर इसकी प्रतियां नहीं निकाली जा सकती थी.

collector will get e-governance award, कलेक्टर को मिलेगा ई-गवर्नेस अवार्ड
कलेक्टर को मिलेगा ई-गवर्नेंस अवॉर्ड

ई-मित्र केन्द्रों पर ओपीडी स्लिप पंजीकरण जिले के समस्त अस्पतालों में कराया जा रहा है और धौलपुर में भी 12 ई-मित्र केन्द्रों पर कराया जा रहा है. जिन्हें आरएमआरएस के द्वारा 5 रुपये प्रति पर्ची की दर से मेहनताना के रूप में दी जा रही है. वर्तमान नियमों के तहत उक्त रोगी पर्चियां एक सप्ताह के लिए मान्य होती हैं. इस अवस्था में किसी भी मरीज द्वारा 7 दिन पूर्व कभी भी निकटतम ई-मित्र केन्द्र पर पर्ची बनाई जा सकती है.

इस व्यवस्था से ना सिर्फ रोगी और उनके परिजन को लाभ हुआ है, बल्कि अस्पताल प्रबंधन को भी भीड़ से मुक्ति मिली है और पर्ची बनाने और अस्पताल में सुरक्षा के लिए कम संविदा कर्मी लगाने पड़ेंगे. रोगी पर्ची से आय भी बढ़ेगी और संविदाकर्मी की संख्या करने पर संग्रह की लागत भी कम होगी. अस्पताल में भीड़ कम होने से अति व्यस्त समय के दौरान अत्यधिक भीड़ का समाधान हुआ है और पर्यावरण भी सुधरा है.

पढ़ेंः जयपुर: शहर में 48 थाना इलाकों के 224 स्थानों में लगाया गया आंशिक कर्फ्यू

लोगों को लंबी लाइनों से निजात मिली है. साथ ही कई अवसरों पर इंटरनेट कनेक्शन फेल जैसी समास्या होने पर भी अस्पताल परिसर से बाहर पर्ची बनाना संभव हो पाया है. धौलपुर कलेक्टर की इस पहल को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूरे प्रदेश में लागू किया है.

धौलपुर. जिले की पहल पर अब राजस्थान के सभी जिलों में ई-मित्रों के माध्यम से अस्पतालों के पर्चे बन सकेंगे. इस कड़ी में जिले में भी ई-मित्र केन्द्रों के माध्यम से रोगी पर्ची पंजीकरण की पहल करने को लेकर राजस्थान सरकार ने जिला कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल को वर्ष 2018-2019 के ई-गवर्नेंस अवॉर्ड देने की घोषणा की हैं.

जिला कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल ने अस्पताल में मरीजों की भीड़ को कम करने के लिए ई-मित्र केंद्रों में रोगी पर्ची पंजीकरण की शुरुआत की थी. जिसके बाद 32 जिलों के कलेक्टर्स ने वीसी के माध्यम से जिला कलेक्टर से इस पहल की जानकारी ली. ई-मित्र केंद्रों में रोगी पर्ची पंजीकरण का कोरोना काल में काफी फायदा मिला है. जिसके कारण अस्पताल में आने वाले अधिकांश मरीजों ने अस्पताल की ओपीडी में बिना लाइन लगे ई-मित्र के माध्यम से पर्चे बनवाए और सीधे जाकर डॉक्टर से उपचार लिया.

ई-मित्रों से बनेंगे अस्पतालों के पर्चे

पढ़ेंः पोषाहार तैयार करने वाली 5 लाख महिलाओं के हाथ खाली, CM से मदद की आस

जिला अस्पताल की ओपीडी में पर्चा बनवाने के लिए पूर्व में बड़ी संख्या में लोगों को लाइन में लगना पड़ता था. जिला कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल द्वारा अस्पताल के निरीक्षण में ओपीडी की लाइन में लगे बुजुर्ग गर्मी में परेशान होकर गिरे थे, तब कलेक्टर ने लाइन को कम करने का प्लान बनाया था. पहले उन्होंने लाइन से निजात के लिए महिला, वरिष्ठजन के लिए अलग-अलग काउंटर बनाए, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ था.

इसके बाद कलेक्टर ने विभिन्न अस्पतालों के चिकित्सा अधिकारी प्रभारी, सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग के स्थानीय अधिकारियों से वार्ता कर इस मॉडल को विकसित किया. जिसमें लाइन में खड़े होने की बात तो बहुत दूर की हो गई, मरीजों को अब रोगी पर्ची बनवाने के लिए अस्पताल जाने की भी जरूरत नहीं थी.

सर्वप्रथम यह देखा गया कि अस्पताल में जो पर्चियां बनाई जा रही हैं, वह आईएचएमएस प्लेटफार्म पर बनाई जा रही थी और ई-मित्र काउंटर अलग टेक्निकल प्लेटफार्म पर कार्य करते थे, तो सर्वप्रथम ई-मित्र काउंटर को स्थानीय स्तर पर आईएचएमएस प्लेटफार्म पर एक्सेस दी गई, लेकिन इस कार्य में भी प्रारंभिक तौर पर बहुत परेशानियां आईं.

पढ़ेंः जयपुर में शुरू हुई कोरोना जागरूकता प्रदर्शनी, प्रभारी मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया उद्घाटन

मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत यह कानूनी अनिवार्यता थी कि रोगी पर्ची के लिए प्री प्रिंटेड पर्ची का इस्तेमाल होगा. सरकार द्वारा यह प्रावधान इसलिए था कि ऑडिट की जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके की अस्पताल के ड्रग स्टोर से उन्हीं दवाइयों को दिया गया है, जो डॉक्टर ने पर्चे पर लिखी है. इस समस्या से निजात के लिए जिला कलेक्टर के द्वारा सभी ई-मित्र केन्द्रों को प्री प्रिंटेड स्टेशनरी और डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर उपलब्ध कराए गए, क्योंकि ई-मित्र केन्द्रों के द्वारा प्रयोग किए जा रहे डिजिटल प्रिंटर पर इसकी प्रतियां नहीं निकाली जा सकती थी.

collector will get e-governance award, कलेक्टर को मिलेगा ई-गवर्नेस अवार्ड
कलेक्टर को मिलेगा ई-गवर्नेंस अवॉर्ड

ई-मित्र केन्द्रों पर ओपीडी स्लिप पंजीकरण जिले के समस्त अस्पतालों में कराया जा रहा है और धौलपुर में भी 12 ई-मित्र केन्द्रों पर कराया जा रहा है. जिन्हें आरएमआरएस के द्वारा 5 रुपये प्रति पर्ची की दर से मेहनताना के रूप में दी जा रही है. वर्तमान नियमों के तहत उक्त रोगी पर्चियां एक सप्ताह के लिए मान्य होती हैं. इस अवस्था में किसी भी मरीज द्वारा 7 दिन पूर्व कभी भी निकटतम ई-मित्र केन्द्र पर पर्ची बनाई जा सकती है.

इस व्यवस्था से ना सिर्फ रोगी और उनके परिजन को लाभ हुआ है, बल्कि अस्पताल प्रबंधन को भी भीड़ से मुक्ति मिली है और पर्ची बनाने और अस्पताल में सुरक्षा के लिए कम संविदा कर्मी लगाने पड़ेंगे. रोगी पर्ची से आय भी बढ़ेगी और संविदाकर्मी की संख्या करने पर संग्रह की लागत भी कम होगी. अस्पताल में भीड़ कम होने से अति व्यस्त समय के दौरान अत्यधिक भीड़ का समाधान हुआ है और पर्यावरण भी सुधरा है.

पढ़ेंः जयपुर: शहर में 48 थाना इलाकों के 224 स्थानों में लगाया गया आंशिक कर्फ्यू

लोगों को लंबी लाइनों से निजात मिली है. साथ ही कई अवसरों पर इंटरनेट कनेक्शन फेल जैसी समास्या होने पर भी अस्पताल परिसर से बाहर पर्ची बनाना संभव हो पाया है. धौलपुर कलेक्टर की इस पहल को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूरे प्रदेश में लागू किया है.

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