धौलपुर. शहर के प्रतिष्ठित चर्च में सोमवार को प्रभु ईसा मसीह के जन्म दिवस को ईसाइयों ने आस्था पूर्वक मनाया. ईसाई धर्म के लोगों ने मंगल कामनाओं के साथ जन्मदिन मना कर प्रभु ईसा मसीह से मानव कल्याण के उद्धार की कामना की. उदयपुर में भी क्रिसमस को लेकर चर्च में केरोल गायन आयोजित हुआ.
ईसाई अनुयायियों ने बताया कि प्रभु ईसा मसीह संसार में मानव का कल्याण और पापियों का उद्धार करने के लिए आए थे. संसार के लोगों को अपने पाप और गलतियों का प्रायश्चित कर प्रभु ईसा मसीह से प्रार्थना करनी चाहिए. उन्होंने कहा प्रभु ईसा मसीह की कृपा से मोक्ष और स्वर्ग का रास्ता मिलता है.
गौरतलब है कि ईसाई धर्म के लोगों की ओर से हर साल 25 दिसंबर को विश्व में क्रिसमस पर्व मनाया जाता है. नव वर्ष शुरू होने से 6 दिन पहले ईसाई धर्म के अनुयायी प्रभु ईसा मसीह का जन्मदिन मनाते हैं. माना जाता है कि 25 दिसंबर को ही प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ था. इस दिन उनके अनुयायी गिरजाघरों में एकत्रित होकर प्रभु ईसा मसीह की आराधना कर जन्मदिन सेलिब्रेट करते हैं. इस दौरान क्रिसमस की धूम दुनिया के हर एक कोने में देखने को मिलती है. केक काटने और चर्च जाने साथ लोग एक-दूसरे को उपहार भी देते हैं.
क्यों मनाया जाता है क्रिसमस : वैसे तो बाइबिल में यीशु मसीह के जन्म की तारीख नहीं दी गई है. इसलिए मान्यताओं के आधार पर ही इसे मनाया जाता है. इस दिन को क्रिसमस के रूप में मनाने को लेकर लोगों में बहुत सारे मतभेद भी हैं, लेकिन धर्म की मान्यता के अनुसार 25 दिसंबर को ही प्रभु यीशु मसीह का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को प्रभु यीशु मसीह के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है. यीशु मसीह, जिन्हें जीसस क्राइस्ट के नाम से भी जाना जाता है, उनके जन्म को लेकर ये भी मान्यता है कि मां मरियम को सपने में प्रभु के पुत्र यीशु रूप में प्राप्त होने की भविष्यवाणी हुई थी. इसी के बाद वे गर्भवती हुईं और फिर 25 दिसंबर को यीशु मसीह का जन्म हुआ था.
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उदयपुर में भी मनाया गया क्रिसमस : ईसाई समुदाय का पवित्र त्योहार क्रिसमस आज सोमवार को देशभर में हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है. लेक सिटी उदयपुर में भी सभी गिरिजाघरों में ईसाई समुदाय के लोगों ने देश में अमन-चैन को लेकर प्रार्थना की. क्रिसमस को लेकर सुबह से ही शहर के चेतक शेफर्ड मेमोरियल चर्च में ईसाई समुदाय के लोगों का जुटना शुरू हो गया. इस पर्व को लेकर चर्च में केरोल गायन भी हुआ, जिसके बाद इस वर्ष जन्में बच्चों का फादर ने नामकरण किया. क्रिसमस को लेकर चर्च को सजाया गया. विशेष प्रार्थना के बाद सभी ने एक-दूसरे को क्रिसमस की बधाई दी.