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नवजात घड़ियालों से चहक उठा चंबल नदी का तट, पहली बार हजारों की संख्या में लिया जन्म - crocodiles in dholpur

धौलपुर की चंबल नदी में घड़ियालों की संख्या में वृद्धि हुई है. मादा घड़ियालों ने हजारों की तादाद में बच्चों को जन्म दिया है. धौलपुर रेंज में करीब 1 हजार 188 अंडों में से घड़ियाल के बच्चे सुरक्षित निकल आए हैं. बाकी 512 अंडों से बच्चों का निकलना अभी बाकी हैं.

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धौलपुर में बढ़ी घड़ियालों की संख्या
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Published : Jun 19, 2020, 3:09 PM IST

धौलपुर. चंबल नदी में हजारों की तादाद में मादा घड़ियालों ने बच्चों को जन्म दिया हैं. इन्हें देखकर चंबल सेंचुरी के अफसरों के चेहरों पर भी खुशी है. दुर्लभ डायनासोर प्रजाति के ये घड़ियाल देश दुनिया से लगभग विलुप्त हो चुके हैं. ऐसे में चंबल नदी में इनकी अच्छी संख्या हाेना सुखद है. धाैलपुर रेंज में शंकरपुरा, अंडवापुरैनी, हरिगिर बाबा घाटाें और मुरैना जिले के देवरी पर घड़ियालों के अंडों से बच्चे निकल चुके हैं. शुक्रवार ये बच्चे चंबल नदी के किनारे उछल-कूद करते नजर आए.

धौलपुर में बढ़ी घड़ियालों की संख्या

वन विभाग के मुताबिक अप्रैल से जून तक मादा घड़ियाल का प्रजनन काल रहता है. मई-जून में मादा रेत में 30 से 40 सेमी का गड्ढा खोदकर 40 से लेकर 70 अंडे देती हैं. करीब महीने भर बाद अंडों से बच्चे मदर कॉल करते हैं. जिसे सुन मादा रेत हटा कर बच्चों का निकालती है और नदी में ले जाती है. चम्बल नदी में 435 किलोमीटर क्षेत्र में घड़ियाल अभ्यारण बना हुआ है. जो चंबल नदी के मुहानों पर है.

यह भी पढ़ें- राजस्थान : आसमान से तेज आवाज के साथ गिरी बमनुमा वस्तु, लोगों में मचा हड़कंप

सीमावर्ती धौलपुर और देवरी के साथ उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के इलाके में घडियालों की रक्षा करने और उन्हें बचाने के लिए काफी कुछ किया जाता है. चंबल नदी में वर्तमान समय में घडियालों की संख्या 1859 है. जो नदी में विचरण करते देखे जा सकते हैं. अगर जन्म लेने वाले घड़ियालों के बच्चों की संख्या जोड़ देते हैं तो चम्बल में घड़ियालों की संख्या करीब तीन हजार के आस-पास हो जाएगी.

चम्बल नदी में घड़ियालों का परिवार लगातार बढ़ रहा है. देवरी अभ्यारण केंद्र और धौलपुर रेंज में करीब 1 हजार 188 अंडों में से घड़ियाल के बच्चे सुरक्षित निकल आए हैं. बाकी 512 अंडे बचे हैं, जिनमें से घड़ियाल के बच्चे निकलने बाकी हैं. जबकि वाह इलाके में काफी अंडों से बच्चे निकलने हैं.

नन्हे घड़ियालों की लंबाई 1.2 मीटर होती हैं. तब से ही इन्हें नदी में छोड़ा जाता है. अगर लम्बाई कम होती है, तो इन्हें देवरी अभ्यारण केंद्र में रखा जाता है और लम्बाई पूरी होने पर इन्हे चम्बल नदी में छोड़ा जाता है.

बता दें कि 1980 से पहले भारतीय प्रजाति के घड़ियालों का सर्वे हुआ था, जिसमें चंबल नदी में केवल 40 घड़ियाल मिले थे. जबकि 1980 में इनकी की संख्या 435 हो गई थी. तभी इसको घड़ियाल अभ्यारण क्षेत्र घोषित किया गया था और इनके संवर्धन के लिए सरकार ने प्रयास किए. देवरी केंद्र पर हर साल 200 अंडे रखे जाते हैं, जो नदी के विभिन्न घाटों से लाए जाते हैं. वहां इनकी हैचिंग होती है.

यह भी पढे़ं- जयपुर: जलदाय विभाग की लापरवाही से कालवाड़ में पानी की सप्लाई ठप, लोग परेशान

धाैलपुर रेंज में शंकरपुरा, अंडवापुरैनी, हरिगिर बाबा आदि घाटाें पर घड़ियाल हजारो अंडे देते हैं और अब अंडों से बच्चे निकल चुके हैं. जिससे चंबल के इन घाटों के किनारे झुंडाें में इनकी उछल कूद का नजारा दिखाई दे रहा है. चंबल नदी में पहली बार हजारों की तादाद में घड़ियाल के बच्चे जन्में हैं. इन्हें देखकर चंबल सेंचुरी के अधिकारियों के चेहरों पर भी खुशी है.

धौलपुर. चंबल नदी में हजारों की तादाद में मादा घड़ियालों ने बच्चों को जन्म दिया हैं. इन्हें देखकर चंबल सेंचुरी के अफसरों के चेहरों पर भी खुशी है. दुर्लभ डायनासोर प्रजाति के ये घड़ियाल देश दुनिया से लगभग विलुप्त हो चुके हैं. ऐसे में चंबल नदी में इनकी अच्छी संख्या हाेना सुखद है. धाैलपुर रेंज में शंकरपुरा, अंडवापुरैनी, हरिगिर बाबा घाटाें और मुरैना जिले के देवरी पर घड़ियालों के अंडों से बच्चे निकल चुके हैं. शुक्रवार ये बच्चे चंबल नदी के किनारे उछल-कूद करते नजर आए.

धौलपुर में बढ़ी घड़ियालों की संख्या

वन विभाग के मुताबिक अप्रैल से जून तक मादा घड़ियाल का प्रजनन काल रहता है. मई-जून में मादा रेत में 30 से 40 सेमी का गड्ढा खोदकर 40 से लेकर 70 अंडे देती हैं. करीब महीने भर बाद अंडों से बच्चे मदर कॉल करते हैं. जिसे सुन मादा रेत हटा कर बच्चों का निकालती है और नदी में ले जाती है. चम्बल नदी में 435 किलोमीटर क्षेत्र में घड़ियाल अभ्यारण बना हुआ है. जो चंबल नदी के मुहानों पर है.

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सीमावर्ती धौलपुर और देवरी के साथ उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के इलाके में घडियालों की रक्षा करने और उन्हें बचाने के लिए काफी कुछ किया जाता है. चंबल नदी में वर्तमान समय में घडियालों की संख्या 1859 है. जो नदी में विचरण करते देखे जा सकते हैं. अगर जन्म लेने वाले घड़ियालों के बच्चों की संख्या जोड़ देते हैं तो चम्बल में घड़ियालों की संख्या करीब तीन हजार के आस-पास हो जाएगी.

चम्बल नदी में घड़ियालों का परिवार लगातार बढ़ रहा है. देवरी अभ्यारण केंद्र और धौलपुर रेंज में करीब 1 हजार 188 अंडों में से घड़ियाल के बच्चे सुरक्षित निकल आए हैं. बाकी 512 अंडे बचे हैं, जिनमें से घड़ियाल के बच्चे निकलने बाकी हैं. जबकि वाह इलाके में काफी अंडों से बच्चे निकलने हैं.

नन्हे घड़ियालों की लंबाई 1.2 मीटर होती हैं. तब से ही इन्हें नदी में छोड़ा जाता है. अगर लम्बाई कम होती है, तो इन्हें देवरी अभ्यारण केंद्र में रखा जाता है और लम्बाई पूरी होने पर इन्हे चम्बल नदी में छोड़ा जाता है.

बता दें कि 1980 से पहले भारतीय प्रजाति के घड़ियालों का सर्वे हुआ था, जिसमें चंबल नदी में केवल 40 घड़ियाल मिले थे. जबकि 1980 में इनकी की संख्या 435 हो गई थी. तभी इसको घड़ियाल अभ्यारण क्षेत्र घोषित किया गया था और इनके संवर्धन के लिए सरकार ने प्रयास किए. देवरी केंद्र पर हर साल 200 अंडे रखे जाते हैं, जो नदी के विभिन्न घाटों से लाए जाते हैं. वहां इनकी हैचिंग होती है.

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धाैलपुर रेंज में शंकरपुरा, अंडवापुरैनी, हरिगिर बाबा आदि घाटाें पर घड़ियाल हजारो अंडे देते हैं और अब अंडों से बच्चे निकल चुके हैं. जिससे चंबल के इन घाटों के किनारे झुंडाें में इनकी उछल कूद का नजारा दिखाई दे रहा है. चंबल नदी में पहली बार हजारों की तादाद में घड़ियाल के बच्चे जन्में हैं. इन्हें देखकर चंबल सेंचुरी के अधिकारियों के चेहरों पर भी खुशी है.

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