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दौसा के ये युवा पिछले 46 दिनों से कर रहे आवारा जानवरों की सेवा

कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन में जानवरों के सामने चारे-पानी की समस्याएं आ गई हैं. इसको देखते हुए दौसा के कुछ युवाओं ने टीम बना कर आवारा जानवरों के चारे-पानी की जिम्मेदारी उठाने का फैसला किया और 46 दिन से सुबह शाम उनके लिए चारे-पानी का बंदोबस्त कर रहे हैं.

food crisis in lockdown, service of animals
कोरोना काल में 46 दिन से बेजुबानों की सेवा में लगे हैं दौसा के युवा
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Published : May 11, 2020, 6:38 PM IST

दौसा. कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन में जहां गरीब मजदूर लोगों के सामने परेशानी खड़ी हुई है. वहीं आवारा जानवरों को भी इस संकट में खाने पीने की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इस संकट की घड़ी में इनजानवरों की सेवा के लिए दौसा के युवाओं ने बीड़ा उठाया है. लॉकडाउन के शुरुआती दौर से ही इन युवाओं ने दौसा शहर के सभी जानवरों के खाने-पीने सहित दवाइयों का भी इंतजाम करना शुरू कर दिया.

कोरोना काल में 46 दिन से बेजुबानों की सेवा में लगे दौसा के युवा

शहर के 8-10 युवाओं ने मिलकर अपनी एक टीम बनाई. टीम का उद्देश्य तय किया गया कि इस लॉकडाउन के दौरान किसी भी जानवर को भूखा प्यासा नहीं रहने दिया जाएगा. इस उद्देश्य के तहत युवाओं ने शहर में रहने वाले सैकड़ों आवारा जानवरों के खाने-पीने का इंतजाम शुरू किया. जिसमें ये सुबह आवारा पशुओं के लिए हरा चारा, बंदरों के लिए केले, कुत्ते और अन्य आवारा जानवरों के लिए टोस्ट, बिस्किट लेकर आते हैं.

पढ़ें- जेके लोन में प्रसूताओं को कोरोना: नए अस्पताल के COVID-19 हॉस्पिटल में दो मॉड्यूलर ओटी बनेंगे लेबर रूम

वहीं शाम को गौवंश सहित अन्य पशुओं के लिए सूखे चारे का इंतजाम करते हैं. पिकअप या टैक्टर-ट्राली हरे चारे से भर कर उसको शहर की गलियों-गलियों में घूमकर आवारा पशुओं को चारा डालते हैं. वहीं दोपहर में कुछ समय के लिए अपने घर का काम करते हुए फिर शाम को आवारा पशुओं के लिए सूखा चारा लेकर निकल जाते हैं. जगह-जगह सीमेंट की रखी टंकियों में टैंकरों से पानी डलवाते है.

पढ़ें- यूपी-राजस्थान पुलिस में झड़प की घटना निंदनीय, केंद्रीय नेतृत्व से करेंगे बात: राजेंद्र राठौड़

इन युवाओं का कहना है कि कोई भी व्यक्ति तो इस संकट में अपने मुंह से अपनी समस्या बता सकता है, लेकिन ये बेजुबान जानवर भूखे प्यासे रहकर भी अपनी समस्याएं किसी को बता नहीं सकते. अपनी भूख को ये किसी के आगे जाहिर नहीं कर सकते. इसीलिए इन बेजुबान जानवरों को हम भूखे प्यासे नहीं रहने देंगे. इसी मिशन के साथ पिछले 46 दिन से लगातार युवाओं की टीम शहर के सभी जानवरों के खाने पीने के बंदोबस्त में जुटी हुई है.

दौसा. कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन में जहां गरीब मजदूर लोगों के सामने परेशानी खड़ी हुई है. वहीं आवारा जानवरों को भी इस संकट में खाने पीने की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इस संकट की घड़ी में इनजानवरों की सेवा के लिए दौसा के युवाओं ने बीड़ा उठाया है. लॉकडाउन के शुरुआती दौर से ही इन युवाओं ने दौसा शहर के सभी जानवरों के खाने-पीने सहित दवाइयों का भी इंतजाम करना शुरू कर दिया.

कोरोना काल में 46 दिन से बेजुबानों की सेवा में लगे दौसा के युवा

शहर के 8-10 युवाओं ने मिलकर अपनी एक टीम बनाई. टीम का उद्देश्य तय किया गया कि इस लॉकडाउन के दौरान किसी भी जानवर को भूखा प्यासा नहीं रहने दिया जाएगा. इस उद्देश्य के तहत युवाओं ने शहर में रहने वाले सैकड़ों आवारा जानवरों के खाने-पीने का इंतजाम शुरू किया. जिसमें ये सुबह आवारा पशुओं के लिए हरा चारा, बंदरों के लिए केले, कुत्ते और अन्य आवारा जानवरों के लिए टोस्ट, बिस्किट लेकर आते हैं.

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वहीं शाम को गौवंश सहित अन्य पशुओं के लिए सूखे चारे का इंतजाम करते हैं. पिकअप या टैक्टर-ट्राली हरे चारे से भर कर उसको शहर की गलियों-गलियों में घूमकर आवारा पशुओं को चारा डालते हैं. वहीं दोपहर में कुछ समय के लिए अपने घर का काम करते हुए फिर शाम को आवारा पशुओं के लिए सूखा चारा लेकर निकल जाते हैं. जगह-जगह सीमेंट की रखी टंकियों में टैंकरों से पानी डलवाते है.

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इन युवाओं का कहना है कि कोई भी व्यक्ति तो इस संकट में अपने मुंह से अपनी समस्या बता सकता है, लेकिन ये बेजुबान जानवर भूखे प्यासे रहकर भी अपनी समस्याएं किसी को बता नहीं सकते. अपनी भूख को ये किसी के आगे जाहिर नहीं कर सकते. इसीलिए इन बेजुबान जानवरों को हम भूखे प्यासे नहीं रहने देंगे. इसी मिशन के साथ पिछले 46 दिन से लगातार युवाओं की टीम शहर के सभी जानवरों के खाने पीने के बंदोबस्त में जुटी हुई है.

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