दौसा. राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ ने गुरुवार को जिला कलेक्टर के मुख्य द्वार पर धरना प्रदर्शन किया. कर्मचारी महासंघ ने अपनी मांगों को लेकर जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया. कर्मचारियों ने अपनी 15 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार के नाम ज्ञापन दिया.
कर्मचारियों का कहना है कि राज्य सरकार की संवेदनहीनता के चलते उन्हें धरना प्रदर्शन का रुख अपनाना पड़ा है. कर्मचारी महासंघ लंबे समय से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर राज्य सरकार को ज्ञापन के माध्यम से अवगत करा रहा है. लेकिन सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाने के चलते कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन किया है.
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कर्मचारी महासंघ के जिला महामंत्री अखिलेश शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार की अधिसूचना में अनुसूची 5 में कर्मचारियों के मूल वेतन से कटौती की अधिसूचना को निरस्त करें, 2004 के बाद नियुक्त राज्य कर्मचारियों के लिए नवीन पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए, कर्मचारियों को मिल रही सुविधाओं को रोकने की कार्रवाई पर अविलंब रोक लगाई जाए, महंगाई भत्ता सहित अन्य रोकी गई सुविधा बहाल करें.
साथ ही वित्त विभाग द्वारा 5 अक्टूबर को सामूहिक अवकाश के संबंध में जारी अधिसूचना सामूहिक अवकाश का अवेतन का अवकाश घोषित किया गया है, उसे निरस्त किया जाए. 5 अक्टूबर 2018 को सामूहिक अवकाश के संबंध में जारी अधिसूचना अवकाश को अवैतनिक घोषित किया गया, उसे निरस्त किया जाए और पीपीपी ठेका प्रथा निजीकरण से विभागों का आकार और पदों की कटौती करना बंद करें. विभिन्न मांगों को लेकर 15 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सरकार के नाम सौंपा.
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भीलवाड़ा में अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ का प्रदर्शन
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के बैनर तले गुरुवार को ग्राम विकास कर्मचारियों ने भीलवाड़ा जिला कलेक्ट्रेटपर जमकर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट को मुख्यमंत्री के नाम 15 सूत्री मांग पत्र दिया. इस मानपत्र में मानदेय बढ़ाने, पूर्ववर्ती पेंशन योजना लागू करने और संविदा कर्मियों को स्थाई करने की मांग की गई.
महासंघ के जिलाध्यक्ष नीरज शर्मा ने कहा कि हम अपनी 15 सूत्रीय मांगों को लेकर काफी समय से आंदोलनरत हैं. लेकिन आज तक सरकार ने कोई सुनवाई नहीं की है. इसके विरोध में उन्होंने ज्ञापन दिया है. उनकी मांग है कि 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना बहाल करने वेतन विसंगति दूर करने, पूर्व सरकार द्वारा की गई वेतन कटौती वापस लेने, पैराटीचर, शिक्षाकर्मी, पंचायत सहायक, मिड डे मील वर्कर आदि संविदाकर्मियों को नियमित करें.