दौसा. शहर में लगने वाले मोबाइल टावर लोगों के लिए कितने खतरनाक साबित हो रहे हैं इन सब से आज के लोग अनभिज्ञ है. जिस वजह से सब लोग धड़ल्ले से अपने घरों की छतों पर टावर लगवा रहे हैं. या यूं कहें कि थोड़े से लाभ के लिए सैंकड़ों लोगों की जिंदगी खतरे में डाल रहे हैं. मोबाइल टावर अपने कॉलोनी के बीच में और घरों की छत पर लगाने के लिए मोबाइल कंपनी की ओर से थोड़ा सा आर्थिक लाभ दिया जाता है, लेकिन उसके बदले में सैकड़ों लोगों की जिंदगी दांव पर लग जाती है.
मोबाइल टावर से निकलने वाले रेडिएशन से कई तरह की बीमारियां होती हैं. मोबाइल टावर के रेडिएशन से कैंसर, ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारियां फैल रही हैं, लेकिन लोग फिर भी अपने थोड़े से लाभ के लिए अपने परिवार और अपने आस-पड़ोस के लोगों की जिंदगी खतरे में डाल रहे हैं. वहीं, इस पूरे मामले पर स्थानीय प्रशासन भी मूकदर्शक बना हुआ है. जब भी किसी कॉलोनी में मोबाइल टावर लगाने का प्रस्ताव कंपनी की ओर से लिया जाता है.
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कॉलोनी के लोगों की ओर से उसका विरोध किया जाता है यहां तक की नगर परिषद से लेकर प्रशासन तक शिकायत दर्ज कराने जाते हैं लेकिन उसके बावजूद भी लोग मोबाइल कंपनी व प्रशासन से जुगाड़ करके कॉलोनी में टावर लगवा लेते हैं और इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है कॉलोनी वासियों को. कई बार तो प्रशासन की अनदेखी के चलते लोगों को मोबाइल टावर लगाने से रोकने के लिए कोर्ट तक के भी चक्कर लगाने पड़े हैं ऐसे में जिला मुख्यालय पर भी कई बार लोग जिला प्रशासन के पास मोबाइल टावर नहीं लगाने की शिकायत लेकर पहुंचते हैं.
जाने-माने चिकित्सक डॉ. उमेश शर्मा का कहना है कि मोबाइल टावर के रेडिएशन इतने खतरनाक होते हैं कि न केवल लोगों को कैंसर बल्कि ब्रेन टयूमर, स्किन प्रॉब्लम, सुनने में परेशानी, तनाव, डिप्रेशन यहां तक कि नपुसंकता जैसी गंभीर बीमारियां हो रही है. ऐसे में जिस मोबाइल टावर पर जितने अधिक एंटीना लगे होते हैं वह उतना ही अधिक नुकसानदायक होता है. ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि हमें मोबाइल टावर से कम से कम साढ़े चार सौ मीटर से अधिक दूरी पर रहना चाहिए, लेकिन लोग अपने थोड़े से निजी स्वार्थ के चलते सैकड़ों लोगों की जिंदगी दांव पर लगाए बैठे हैं.
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जिला मुख्यालय पर तकरीबन दो दर्जन टावर हैं. ऐसे में मुख्यालय की सभी रिहायशी कॉलोनी में औसत एक से दो मोबाइल टावर लगे हुए हैं. हालात यह है कि सिर्फ बीएसएनल और रिलायंस खुद ही अपने टावर लगाते हैं. बाकी अधिकांश कंपनियां किराए पर टावर लेकर उस पर अपना नेटवर्क स्थापित करती हैं. ऐसे में मोबाइल नेटवर्किंग में बीएसएनल, रिलायंस जियो, एयरटेल, आइडिया और वोडाफोन सहित तकरीबन आधा दर्जन मोबाइल नेटवर्किंग कंपनी है जो कि अन्य मार्केटिंग कंपनियों से टावर किराए पर लेकर उन पर अपना नेटवर्क लगाती है.
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मोबाइल टावरों को लेकर नगर परिषद आयुक्त सुरेंद्र मीणा का कहना है कि किसी भी कॉलोनी में मोबाइल टावर लगाने के लिए हमें स्वायत शासन विभाग की ओर से निर्देशित किया गया है, कि जो भी टावर लगाने के लिए एनओसी मांगता है उसको नियमानुसार एनओसी जारी करना अनिवार्य है. यदि किसी को आपत्ति है तो वह जिला कलेक्टर के पास अपनी आपत्ति दर्ज करवा सकता है.
नगर परिषद आयुक्त के पास आपत्ति आती हैं तो वो उसे स्वायत शासन विभाग के कमिश्नर के पास भेज सकते हैं. जिसके चलते हर किसी कंपनी को मोबाइल टावर के लिए भूमि मालिक को एनओसी जारी करनी पड़ती है. जिला मुख्यालय पर तकरीबन दो दर्जन टावर लगे हुए हैं. आधा दर्जन के करीब नेटवर्किंग कंपनियों के मोबाइल नेटवर्क लगे हुए हैं. जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा.