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लॉकडाउन में दिखे कोरोना योद्धाओं के कई रूप, खाकी वर्दी कर रही है बेजुबानों की सेवा - दौसा पुलिस बनी कोरोना योद्धा

पुलिस का नाम आते ही लोगों के दिमाग में पूरी तरह नेगेटिव छवि उभर के आती है, लेकिन इस कोरोना संकट में पुलिस ने आम जनता का जो सहयोग किया है और आम लोगों को कोरोना से बचाने के लिए जो संघर्ष कर रहे है, उसने पुलिस की छवि को लोगों के दिलों दिमाग में पूरी तरह बदल के रख दिया है. साथ ही इस संकट के चलते पुलिस अब लोगों के दिलों में कोरोना योद्धा बनकर राज कर रहे है.

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बेजुबानों की सेवा
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Published : May 1, 2020, 11:30 AM IST

दौसा. कोरोना संकट और लॉकडाउन के चलते जहां लोगों की आवाजाही बंद होने से बेजुबान जानवरों के खाने पीने का संकट पैदा हो गया, वहीं ऐसे में पुलिस के योद्धा लोगों को कोरोना से बचाने के लिए लड़ते हुए इन बेजुबान जानवरों की भूख मिटाने का भी प्रयास कर रहे हैं. इसका एक नमूना शुक्रवार को दौसा में देखने को मिला है.

दौसा के सैंथल थाना क्षेत्र में कई ऐसे स्थान है जहां पर बंदरों और अन्य आवारा जानवरों की संख्या ज्यादा है, जो कि लॉकडाउन और लोगों की आवाजाही बंद होने के चलते भूखे मरने की कगार पर आ गए है. ऐसे में दौसा पुलिस उप अधीक्षक नरेंद्र सिंह और सैंथल थाना प्रभारी महावीर सिंह ने इन बेजुबान जानवरों की जुबान को समझा और इनके खाने पीने का बंदोबस्त किया.

कोरोना योद्धाओं के कई रूप

पढ़ेंः राजस्थान में फिर प्रशासनिक फेरबदल, 2 IAS और 5 RAS अधिकारियों के हुए तबादले

पुलिस अधिकारी पिछले 1 महीने से भी अधिक समय से कोरोना योद्धा बनकर जनता की सेवा तो कर ही रहे हैं. साथ ही साथ इन बेजुबानों के लिए भी सैकड़ों किलो फल-सब्जी ले जाकर इनका पेट भी भर रहे हैं. शुक्रवार को ईटीवी भारत से खास बातचीत कि तो पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस संकट के दौर में जब लोगों की आवाजाही बंद हो गई तो इंसान तो भूखे मरने पर अपने दोस्त या पड़ोसियों से मांग कर खा सकता है, लेकिन यह बेजुबान जानवर खाने के लिए मांग भी नहीं सकते.

इसीलिए हमें जब भी समय मिलता है हम इनके लिए केले ककड़ी सहित अन्य खाद्य पदार्थ उपलब्ध करवाने का प्रयास करते हैं. साथ ही आमजन से भी अपील करते हैं कि जो भी व्यक्ति सक्षम है वह इन बेजुबान की जुबान को समझने का प्रयास करे और इस संकट के दौर में इनकी भूख को मिटाने का प्रयास करें. जिससे जितना बन पड़े वो उतना प्रयास करें इनकी मदद करने का, जिससे कि इस संकट के दौर में इन बेजुबानों को भी भूखा नहीं मरना पड़े.

दौसा. कोरोना संकट और लॉकडाउन के चलते जहां लोगों की आवाजाही बंद होने से बेजुबान जानवरों के खाने पीने का संकट पैदा हो गया, वहीं ऐसे में पुलिस के योद्धा लोगों को कोरोना से बचाने के लिए लड़ते हुए इन बेजुबान जानवरों की भूख मिटाने का भी प्रयास कर रहे हैं. इसका एक नमूना शुक्रवार को दौसा में देखने को मिला है.

दौसा के सैंथल थाना क्षेत्र में कई ऐसे स्थान है जहां पर बंदरों और अन्य आवारा जानवरों की संख्या ज्यादा है, जो कि लॉकडाउन और लोगों की आवाजाही बंद होने के चलते भूखे मरने की कगार पर आ गए है. ऐसे में दौसा पुलिस उप अधीक्षक नरेंद्र सिंह और सैंथल थाना प्रभारी महावीर सिंह ने इन बेजुबान जानवरों की जुबान को समझा और इनके खाने पीने का बंदोबस्त किया.

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पुलिस अधिकारी पिछले 1 महीने से भी अधिक समय से कोरोना योद्धा बनकर जनता की सेवा तो कर ही रहे हैं. साथ ही साथ इन बेजुबानों के लिए भी सैकड़ों किलो फल-सब्जी ले जाकर इनका पेट भी भर रहे हैं. शुक्रवार को ईटीवी भारत से खास बातचीत कि तो पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस संकट के दौर में जब लोगों की आवाजाही बंद हो गई तो इंसान तो भूखे मरने पर अपने दोस्त या पड़ोसियों से मांग कर खा सकता है, लेकिन यह बेजुबान जानवर खाने के लिए मांग भी नहीं सकते.

इसीलिए हमें जब भी समय मिलता है हम इनके लिए केले ककड़ी सहित अन्य खाद्य पदार्थ उपलब्ध करवाने का प्रयास करते हैं. साथ ही आमजन से भी अपील करते हैं कि जो भी व्यक्ति सक्षम है वह इन बेजुबान की जुबान को समझने का प्रयास करे और इस संकट के दौर में इनकी भूख को मिटाने का प्रयास करें. जिससे जितना बन पड़े वो उतना प्रयास करें इनकी मदद करने का, जिससे कि इस संकट के दौर में इन बेजुबानों को भी भूखा नहीं मरना पड़े.

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