दौसा. आपने स्कूल में एक प्रतिज्ञा सुनी होगी और ली भी होगी कि समस्त भारतीय हमारे भाई-बहन हैं. भारतीय संस्कृति भी बिल्कुल यही कहती है. ऐसे में सभी की सहायता करना हमारी संस्कृति में धर्म माना जाता है. स्कूलों में की गई इस प्रतिज्ञा की सार्थक तस्वीर दौसा के निकटपुरी गांव में देखने को मिल रही है.
दरअसल, कोरोना संकट के काल में लोगों की मदद करने वाली कई तस्वीरें सामने आ रही हैं. लेकिन जो तस्वीर दौसा से आई है. वह शायद ही आपने इस कोरोना काल में देखी हो. लॉकडाउन के दौरान मजदूरों का पलायन लगातार जारी है. प्रचंड गर्मी और तेज धूप में नेशनल हाईवे पर मजदूर पैदल चलते हुए नजर आ रहे हैं. सैंकड़ो किलोमीटर पैदल चल रहे भूखे प्यासे इन मजदूरों की ग्रामीण महिलाओं ने सुध ली है.
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दौसा जिले में नेशनल हाईवे 21 के समीप स्थित निकटपुरी गांव की महिलाओं ने सामूहिक रूप से रसोई शुरू की है. इस रसोई में ग्रामीण महिलाएं दर्जनों की संख्या में मिट्टी के चूल्हे स्थापित कर लिए हैं और इन चूल्हों पर मजदूरों के लिए मिट्टी के तवे पर रोटी बनाई जा रही है. रोटी बनाने के बाद महिलाएं इनमें देशी घी लगाती हैं, जिससे मजदूर अच्छे से खाना खाएं और उनका पेट अच्छे से भर जाए.
गांव की करीब 100 महिलाओं की ओर से मिट्टी के चूल्हे पर बनाई जा रही रोटियों को लेकर गांव के युवा नेशनल हाईवे पर पहुंचते हैं और वहां से गुजर रहे मजदूरों को रोटी और सब्जी के पैकेट देते हैं, जिससे उनकी भूख मिट सके. शुरुआत में जब लॉकडाउन हुआ था तब भारी संख्या में मददगार सामने आए थे.
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लेकिन जैसे-जैसे लॉकडाउन के दिन बढ़ते जा रहे हैं वैसे-वैसे मददगार कम होते जा रहे हैं. ऐसे में मजदूरों की भूख-प्यास की समस्या को देखते हुए इन ग्रामीण महिलाओं ने गांव की रसोई शुरू की है. यहां काम कर रहे लोगों से बात करने पर उन्होंने बताया कि अब तक 8 से 10 हजार लोगों को वो खाना खिला चुके हैं.