दौसा. सिंघवाड़ा गांव में एक सड़क के शिलान्यास समारोह में बीजेपी सांसद जसकौर मीणा ने किसान आंदोलन को लेकर टिप्पणी की है. ऐसे में सांसद की टिप्पणी को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता आक्रोशित नजर आए. सांसद मीणा ने किसान आंदोलन को लेकर कहा कि, किसान आंदोलन में जो लोग बैठे हैं. वह किसान नहीं, बल्कि आतंकवादी हैं. वहां बैठे हुए लोग खालिस्तानी समर्थक हैं.
वहीं सांसद के इस बयान को लेकर विधायक मुरारी लाल मीणा ने गहरा आक्रोश प्रकट किया है. विधायक ने कहा कि आज सांसद जसकौर मीणा किसानों को आतंकवादी बता रही हैं. सांसद यह भूल गईं हैं कि जिस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वह बात कर रही हैं, वह भी किसानों के भरोसे ही प्रधानमंत्री बने और खुद सांसद जसकौर मीणा भी किसानों के ही वोटों से चुनकर सांसद बनी हैं. कृषि कानूनों को लेकर धरने पर बैठे किसानों को आतंकवादी, खालिस्तानी और पाकिस्तानी एजेंट बताना बहुत गलत बात है.
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विधायक मुरारी ने कहा कि भारत के किसानों को आतंकवादी या पाकिस्तानी एजेंट बताना, अन्नदाताओं का अपमान है. किसान आंदोलन को प्रारंभ से देखने में आ रहा है कि बीजेपी के नेता आंदोलन को प्रायोजित बताने में तुले हुए हैं. बीजेपी के नेता यह सोचते थे कि सीधे-साधे किसान इस कानून को समझ ही नहीं पाएंगे, लेकिन आज का जागरुक किसान इस बिल को समझ गया. अब बीजेपी नेताओं पर 'खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे' वाली कहावत शोभा देने लगी है.
यदि यह किसान आतंकवादी है तो भारत की 75 प्रतिशत जनसंख्या खेती पर आधारित है. देश की रक्षा करने वाले बॉर्डर पर सैनिक धरती पुत्र हैं तो देश का 75 प्रतिशत लोग कैसे आतंकवादी हो सकते हैं. विधायक ने कहा कि मैं सांसद के किसान विरोधी बयान की पूर्ण निंदा करता हूं और इसे धरती माता का अपमान मानता हूं. सांसद को ऐसे शब्दों को नहीं बोलना चाहिए.