दौसा. लॉकडाउन और मौसम की बेरुखी झेल रहे किसानों को अब फसलों में लगने वाले कीड़ों ने परेशान कर रखा है. ये कीट उनकी मेहनत से खड़ी की हुइ फसलों को चट कर जा रहे हैं. इससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. सरकार की तरफ से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिल पा रही है.
किसानों के लिए यह साल हर लिहाज से मुसीबतों भरा है. पहले तो मानसून की बेरुखी ने रुलाया और फिर अब फसलों में कीट और लट लगने से नुकसान हो रहा है. इस सीजन में किसान पहले ही टिड्डी, सफेद लट और फड़का के प्रकोप से तो जूझ ही रहे थे ऐसे में 'हरी लट' नाम के कीट भी खेतों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. बाजरे की बालियों में ‘ईयर हेड केटरपिलर कीट’ और पत्तों पर ‘फड़का कीट’ का प्रकोप दिखाई दे रहा है. वहीं जड़ों सफेद लट नुकसान पहुंचा रहीं हैं. बाजरे के साथ मूंगफली, मक्का, ज्वार आदि फसलों को भी नुकसान हो रहा है. कृषि अधिकारियों की सलाह भी किसानों को इन कीटों से छुटकारा नहीं दिला पा रही हैं.
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जिले में 1 लाख 82 हजार हेक्टेयर में फसल बुवाई की गई है. इसमें करीब 1 लाख 42 हजार 300 हेक्टेयर में बाजरा, 9 हजार 400 हेक्टेयर में मूंगफली की बुवाई की गई हैं. इन दिनों ग्रामीण इलाकों में बाजरे की फसल से लहलहाते खेत दूर से भले ही राहत दें, लेकिन नजदीक जाकर देखें तो फसलों की स्थिति चिंताजनक हो रही है. फड़का कीट फसल के पत्तों को खाकर नष्ट कर रहा है. इससे पौधों में सही तरह बाली नहीं निकलती है. इससे फसलों का उत्पादन भी कम होता है.
वहीं जड़ों में सफेद लट लगने से पौधे कमजोर हो रहे हैं. अब कुछ दिनों से हरी लट ‘ईयर हेड केटरपिलर कीट’ का प्रकोप भी बढ़ गया है. यह हरी लट बाजरे की बाली में घुसकर उसे नुकसान पहुंचा रही हैं. इससे फसल उत्पादन कम हो जाता है.
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14 हजार हेक्टेयर में नुकसान
सहायक निदेशक कृषि अनिल शर्मा ने बताया कि कीट प्रकोप का गत दिनों सर्वे कराया गया था जिसमें करीब 14 हजार हेक्टेयर में फड़का और हरी लट से काफी नुकसान पाया गया. एक हजार हेक्टेयर से अधिक नुकसान वाले क्षेत्र के लिए अनुदान पर दवा देने का प्रस्ताव निदेशालय भेजा गया है. इधर, किसानों का दावा है कि फसलों को 30 से 40 प्रतिशत नुकसान हुआ है.
सावधानी से करें दवा का छिडक़ाव
कृषि अधिकारी अशोक कुमार मीना ने बताया कि ईयर हेड कैटरपिलर कीट के नियंत्रण के लिए किसान एमामेक्टिन बेंजोएट 5 एसजी 0.5 ग्राम या इंडॉक्साकार्ब 14.5 एससी 1 मिलीलीटर या प्रोफेनोफॉस 50 ईसी 2 मिलीलीटर या क्यूनालफोस 25 ईसी 1 मिलीलीटर दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रेयर के माध्यम से छिडकाव करें.
छिड़काव के वक्त खुद सावधानी बरतें तथा 15 दिन तक उस फसल का उपयोग नहीं करें. इसी तरह फड़का नियंत्रण के लिए खेत के चारों तरफ गहरी खाई खोदें. खरपतवार एवं खाइयों में क्यूनालफोस 1.5 प्रतिशत चूर्ण थोड़ी मात्रा में डाल दें. फसल पर प्रकोप अधिक होने पर क्यूनालफोस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से डस्टर के माध्यम से डालें.