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दौसा में जिला अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का दंश झेल रहे लोग, काऊ कैचर में फंसा बालिका का पैर

दौसा में जिला अस्पताल प्रशासन ने आवारा पशुओं को रोकने के लिए अस्पताल के मुख्य गेट पर काऊ कैचर लगा रखा है, जिसमें आए दिन अस्पताल आने वाले लोगों के पांव फंस जाते हैं. मंगलवार को भी एक बालिका का पैर काऊ कैचर में फंस गया. करीब 40 मिनट की मशक्कत के बाद बालिका के पैर को काऊ कैचर से निकाला जा सका.

cow catcher, दौसा न्यूज़, जिला अस्पताल
दौसा में काऊ कैचर में फंसा बालिका का पैर
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Published : Sep 22, 2020, 4:14 PM IST

Updated : Sep 22, 2020, 8:00 PM IST

दौसा. जिले में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का का दंश आमजन झेल रहे हैं. दरअसल, अस्पताल प्रशासन ने आवारा पशुओं को रोकने के लिए मुख्य गेट पर काऊ कैचर लगा रखा है, जिसमें आए दिन लोगों के पांव फंस जाते हैं. अधिकांश गांव से आने वाले लोगों और छोटे बच्चों के पैर इसमें जानकारी नहीं होने की वजह से फंसते हैं.

दौसा में काऊ कैचर में फंसा बालिका का पैर

मंगलवार को भी एक बालिका अपने माता-पिता के साथ अस्पताल आई थी. लेकिन, अस्पताल से निकलते वक्त अचानक बालिका का पैर काऊ कैचर में फंस गया और वो चिल्लाने लगी. ऐसे में वहां कई लोग वहां एकत्रित हो गए और करीब 40 मिनट की मशक्कत के बाद बालिका के पैर को काऊ कैचर से निकाला जा सका.

पढ़ें: भीलवाड़ा: करंट लगने से हुई थी किशोरी की मौत, न्याय के लिए दर-दर की ठोकर खा रहा परिवार

इस काऊ कैचर को लेकर अस्पताल के मुख्य द्वार पर फुटकर व्यापार करने वाले लोगों का कहना है कि 2 दिन पहले भी इसमें एक बच्चे का पांव फंस गया था. 2 दिन बाद फिर एक बालिका फंस गई. इस तरह के हादसे जिला अस्पताल के मुख्य द्वार पर आए दिन होते रहते हैं. अब तक कई बच्चों का पैर इसमें फंस चुका है. लेकिन अस्पताल प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा.

वहीं, पूरे मामले को लेकर जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्साधिकारी डॉ. सीएल मीणा का कहना है कि हमने काऊ कैचर की चौड़ाई पहले से कम करवाई है. लेकिन, कई बार बच्चे पैर टेड़ा रख देते हैं. इस वजह से उनका पैर उसमें फंस जाता है. फिर भी अगर उसमें गैप ज्यादा है तो उसको ठीक करवाने का प्रयास करेंगे.

पढ़ें: बारां: अंता में बढ़ रहे कोरोना से मौत के मामले, लेकिन फिर भी लोग बेफ्रिक

जिला अस्पताल में एक बार नहीं, बल्कि दर्जनों बार ऐसा हुआ है कि कई बच्चों की पैर इस काऊ कैचर में फंसे हैं और घंटों मशक्कत के बाद परिजनों ने किसी तरह पैर निकाले हैं. बताया जाता है कि पैर थोड़ा भी टेढ़ा होने पर इसमें फंस जाता है. इसमें फंसने के बाच चीख-पुकार मचती है. लेकिन, अस्पताल प्रशासन इसको लेकर कोई उचित कार्रवाई करता नहीं दिख रहा है.

दौसा. जिले में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का का दंश आमजन झेल रहे हैं. दरअसल, अस्पताल प्रशासन ने आवारा पशुओं को रोकने के लिए मुख्य गेट पर काऊ कैचर लगा रखा है, जिसमें आए दिन लोगों के पांव फंस जाते हैं. अधिकांश गांव से आने वाले लोगों और छोटे बच्चों के पैर इसमें जानकारी नहीं होने की वजह से फंसते हैं.

दौसा में काऊ कैचर में फंसा बालिका का पैर

मंगलवार को भी एक बालिका अपने माता-पिता के साथ अस्पताल आई थी. लेकिन, अस्पताल से निकलते वक्त अचानक बालिका का पैर काऊ कैचर में फंस गया और वो चिल्लाने लगी. ऐसे में वहां कई लोग वहां एकत्रित हो गए और करीब 40 मिनट की मशक्कत के बाद बालिका के पैर को काऊ कैचर से निकाला जा सका.

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इस काऊ कैचर को लेकर अस्पताल के मुख्य द्वार पर फुटकर व्यापार करने वाले लोगों का कहना है कि 2 दिन पहले भी इसमें एक बच्चे का पांव फंस गया था. 2 दिन बाद फिर एक बालिका फंस गई. इस तरह के हादसे जिला अस्पताल के मुख्य द्वार पर आए दिन होते रहते हैं. अब तक कई बच्चों का पैर इसमें फंस चुका है. लेकिन अस्पताल प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा.

वहीं, पूरे मामले को लेकर जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्साधिकारी डॉ. सीएल मीणा का कहना है कि हमने काऊ कैचर की चौड़ाई पहले से कम करवाई है. लेकिन, कई बार बच्चे पैर टेड़ा रख देते हैं. इस वजह से उनका पैर उसमें फंस जाता है. फिर भी अगर उसमें गैप ज्यादा है तो उसको ठीक करवाने का प्रयास करेंगे.

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जिला अस्पताल में एक बार नहीं, बल्कि दर्जनों बार ऐसा हुआ है कि कई बच्चों की पैर इस काऊ कैचर में फंसे हैं और घंटों मशक्कत के बाद परिजनों ने किसी तरह पैर निकाले हैं. बताया जाता है कि पैर थोड़ा भी टेढ़ा होने पर इसमें फंस जाता है. इसमें फंसने के बाच चीख-पुकार मचती है. लेकिन, अस्पताल प्रशासन इसको लेकर कोई उचित कार्रवाई करता नहीं दिख रहा है.

Last Updated : Sep 22, 2020, 8:00 PM IST
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