दौसा. राज्य सरकार द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत 9 से 5 वर्ष तक के बच्चों, किशोरी बालिकाओं, व धात्री महिलाओं में पोषण की कमी को दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र चलाए जा रहे हैं. मगर इस आंगनबाड़ी केंद्र के भवन इतने जर्जर हो गए है कि इसमें कभी भी कोई भी हो सकता है. हादसा होने के डर से बच्चे और महिलाएं पोषण लेने ही नही आते.
आंगनबाड़ी की हालत के बारे में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पतासी मीणा का कहना है कि भवन की दुर्दशा को देखते हुए दूसरों के घर पर धात्री महिलाओं को बुलाकर टीकाकरण करना पड़ता है.
हालांकि आंगनबाड़ी के स्टाफ को अपनी नौकरी बचाने व अधिकारियों के दबाव के चलते आंगनबाड़ी केंद्र रोज खोलना पड़ता है
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जर्जर हो चुके आंगनबाड़ी में अपना समय व्यतीत करना पड़ता है. टूटी खिड़कियों में जहरीले जानवरों का आना जाना लगा रहता है. लेकिन उस भय के माहौल में भी इन महिलाओं को अपनी नौकरी बचाने के लिए समय बिताना पड़ता है. वहीं इस मामले को लेकर कई बार उच्चाधिकारियों को अवगत भी करवा दिया गया है लेकिन हालात जस के तस हैं.
हैरान करने वाली बात यह है कि जिस आंगनबाड़ी केंद्र की इतनी बुरी दुर्दशा है वह राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश के विधानसभा क्षेत्र सिकराय में आता है. विभाग की मंत्री होने के बावजूद भी आंगनबाड़ी केंद्र की ऐसी दुर्दशा सोचनीय विषय है. ऐसे में जब आंगनबाड़ी केंद्र खुद को कुपोषित है तो वहां पर बच्चे किशोरिया व महिलाएं पोषण लेने कैसे आ सकती है.