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महिलाओं और बच्चों को पोषण देने वाला आंगनबाड़ी केंद्र हुआ खुद कुपोषित

दौसा में राज्य सरकार द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत चलाए जा रहे आंगनबाड़ी की हालत खुद दयनीय हो चुकी है. आंगनबाड़ी केंद्र के भवन इतने जर्जर हो गए हैं कि कभी भी कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है.

दौसाआंगनबाड़ी समाचार, Dausa anganbadi news
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Published : Aug 19, 2019, 3:50 PM IST

दौसा. राज्य सरकार द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत 9 से 5 वर्ष तक के बच्चों, किशोरी बालिकाओं, व धात्री महिलाओं में पोषण की कमी को दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र चलाए जा रहे हैं. मगर इस आंगनबाड़ी केंद्र के भवन इतने जर्जर हो गए है कि इसमें कभी भी कोई भी हो सकता है. हादसा होने के डर से बच्चे और महिलाएं पोषण लेने ही नही आते.

आंगनबाड़ी केंद्र की जर्जर इमारत

आंगनबाड़ी की हालत के बारे में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पतासी मीणा का कहना है कि भवन की दुर्दशा को देखते हुए दूसरों के घर पर धात्री महिलाओं को बुलाकर टीकाकरण करना पड़ता है.
हालांकि आंगनबाड़ी के स्टाफ को अपनी नौकरी बचाने व अधिकारियों के दबाव के चलते आंगनबाड़ी केंद्र रोज खोलना पड़ता है

पढ़ेंः.पूर्व मंत्री के बेटे 'मानवादित्य' ने शूटिंग प्रतियोगिता में जीते कई मेडल

जर्जर हो चुके आंगनबाड़ी में अपना समय व्यतीत करना पड़ता है. टूटी खिड़कियों में जहरीले जानवरों का आना जाना लगा रहता है. लेकिन उस भय के माहौल में भी इन महिलाओं को अपनी नौकरी बचाने के लिए समय बिताना पड़ता है. वहीं इस मामले को लेकर कई बार उच्चाधिकारियों को अवगत भी करवा दिया गया है लेकिन हालात जस के तस हैं.

हैरान करने वाली बात यह है कि जिस आंगनबाड़ी केंद्र की इतनी बुरी दुर्दशा है वह राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश के विधानसभा क्षेत्र सिकराय में आता है. विभाग की मंत्री होने के बावजूद भी आंगनबाड़ी केंद्र की ऐसी दुर्दशा सोचनीय विषय है. ऐसे में जब आंगनबाड़ी केंद्र खुद को कुपोषित है तो वहां पर बच्चे किशोरिया व महिलाएं पोषण लेने कैसे आ सकती है.

दौसा. राज्य सरकार द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत 9 से 5 वर्ष तक के बच्चों, किशोरी बालिकाओं, व धात्री महिलाओं में पोषण की कमी को दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र चलाए जा रहे हैं. मगर इस आंगनबाड़ी केंद्र के भवन इतने जर्जर हो गए है कि इसमें कभी भी कोई भी हो सकता है. हादसा होने के डर से बच्चे और महिलाएं पोषण लेने ही नही आते.

आंगनबाड़ी केंद्र की जर्जर इमारत

आंगनबाड़ी की हालत के बारे में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पतासी मीणा का कहना है कि भवन की दुर्दशा को देखते हुए दूसरों के घर पर धात्री महिलाओं को बुलाकर टीकाकरण करना पड़ता है.
हालांकि आंगनबाड़ी के स्टाफ को अपनी नौकरी बचाने व अधिकारियों के दबाव के चलते आंगनबाड़ी केंद्र रोज खोलना पड़ता है

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जर्जर हो चुके आंगनबाड़ी में अपना समय व्यतीत करना पड़ता है. टूटी खिड़कियों में जहरीले जानवरों का आना जाना लगा रहता है. लेकिन उस भय के माहौल में भी इन महिलाओं को अपनी नौकरी बचाने के लिए समय बिताना पड़ता है. वहीं इस मामले को लेकर कई बार उच्चाधिकारियों को अवगत भी करवा दिया गया है लेकिन हालात जस के तस हैं.

हैरान करने वाली बात यह है कि जिस आंगनबाड़ी केंद्र की इतनी बुरी दुर्दशा है वह राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश के विधानसभा क्षेत्र सिकराय में आता है. विभाग की मंत्री होने के बावजूद भी आंगनबाड़ी केंद्र की ऐसी दुर्दशा सोचनीय विषय है. ऐसे में जब आंगनबाड़ी केंद्र खुद को कुपोषित है तो वहां पर बच्चे किशोरिया व महिलाएं पोषण लेने कैसे आ सकती है.

Intro:छोटे बच्चों के विकास एवं उनके पोषण के लिए महिला एवं बाल विकास विकास विभाग द्वारा चलाई जा रही आंगनबाड़ी केंद्र की दुर्दशा ऐसी है कि भवन इतना जर्जर है कि उसमें हादसा होने के डर से नहीं आते पोषण लेने बच्चे।Body:दौसा छोटे बच्चों के विकास एवं उनके पोषण के लिए महिला एवं बाल विकास विकास विभाग द्वारा चलाई जा रही आंगनबाड़ी केंद्र की दुर्दशा ऐसी है कि भवन इतना जर्जर है कि उसमें हादसा होने के डर से बच्चे पोषण लेने ही नही आते। राज्य सरकार द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत 9 से 5 वर्ष तक के बच्चों, किशोरी बालिकाओं, व धात्री महिलाओं में पोषण की कमी को दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र चलाए जा रहे हैं । लेकिन जिले के सिकराय विधानसभा क्षेत्र के घूमना गांव में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र खुद कुपोषण का शिकार है । इसका भवन इतना जर्जर व जीण क्षीण हो चुका है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है इस हादसे के डर से नहीं तो ग्रामवासी अपने बच्चों को आंगनबाड़ी पर पोषण लेने भेजते हैं और ना ही यहां किशोरी बालिकाओं व धात्री महिलाएं पोषण एवं टीकाकरण के लिए आती है। जिसको लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पतासी मीणा का कहना है कि भवन की दुर्दशा को देखते हुए दूसरे के घर पर ही धात्री महिलाओं को बुलाकर टीकाकरण करवाना पड़ता है । भवन की खिड़कियां टूटी हुई है जर्जर भवन में पानी का रिसाव होता है । जिस वजह से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। जिसके चलते वहां ना तो किशोरी बालिकाए आती हैं। और ना ही गांव के बच्चे । हालांकि आंगनबाड़ी के स्टाफ को अपनी नौकरी बचाने व अधिकारियों के दबाव के चलते आंगनबाड़ी केंद्र रोज खोलना पड़ता है । उसमें अपना समय व्यतीत करना पड़ता है । टूटी खिड़कियों में जहरीले जानवरों का आना जाना लगा रहता है । लेकिन उस भय के माहौल में भी इन महिलाओं को अपनी नौकरी बचाने के लिए समय बिताना पड़ता है । मामले को लेकर कई बार उच्चाधिकारियों को अवगत भी करवा दिया गया है लेकिन हालात जस के तस हैं । सबसे बड़ी खास बात यह है कि जिस आंगनबाड़ी केंद्र की इतनी दुर्दशा है वह राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश के विधानसभा क्षेत्र सिकराय में आता है । विभाग की मंत्री होने के बावजूद भी आंगनबाड़ी केंद्र की ऐसी दुर्दशा सोचनीय विषय है । ऐसे में जब आंगनबाड़ी केंद्र खुद को कुपोषित है तो वहां पर बच्चे किशोरिया व महिलाएं पोषण लेने कैसे आ सकती है ।
1 बाइट पतासी मीणा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता
2 बाइट धर्मा मीणा ग्रामीण महिला
3 बाइट रामकेश महावर ग्रामीणConclusion:
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