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संकट...संकट...संकटः दो वक्त की रोटी के लिए तपती धूप में भी ग्राहकों का इंतजार कर रहे मोची

इस लॉकडाउन में परेशान तो हर कोई है. पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनपर लॉकडाउन की मार कुछ ज्यादा पड़ी है. जैसे- गरीब और कमठाना मजदूर, प्रवासी श्रमिक, छोटी-मोटी दुकान लगाकर कमाई करने वाले और हमारे जूते-चप्पल सिलने वाले मोची. ईटीवी भारत की इस खास रिपोर्ट में देखिए दौसा के मोची की वो दर्दभरी कहानी जो हमने सोची भी नहीं होगी.

दौसा के मोची, cobblers of Dausa
दौसा के मोची को अब सिर्फ सरकार से उम्मीद
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Published : May 21, 2020, 7:53 PM IST

Updated : May 25, 2020, 11:03 AM IST

दौसा. लॉकडाउन के बाद अब फुटपाथ पर बैठकर बूट पॉलिश करने वाले मोचियों पर रोजी रोटी का संकट गहराता नजर आ रहा है. दो माह से चल रहे लॉकडाउन के बाद अब सरकार धीरे-धीरे बाजार खोलने की अनुमति दे रही है. कहीं 2 से 3 घंटे के लिए बाजार खुल रहे हैं तो कहीं 3 से 5 घंटे के लिए बाजार खोलने की अनुमति दी गई है. ऐसे में इस लॉकडाउन के बाद खुलते बाजारों में छोटे उद्योग, धंधे और फुटापाथ पर काम करने वालों पर संकट मंडराता नजर आ रहा है.

तपती धूप में भी कर रहे ग्राहकों का इंतजार

इसे लेकर ईटीवी भारत ने जब फुटपाथ पर बैठकर लोगों के बूट पॉलिश और टूटे चप्पल जूतों की मरम्मत करने वाले मोचियों से उनके कारोबार और आय की बात की तो इनकी परेशानी इनके चेहरे पर साफ दिखाई दी. लोगों की टूटी चप्पल और जूतों को सीलकर अपने परिवार का गुजर-बसर करने वाले इन मोचियों के सामने अब घर परिवार के लिए जरूरत का सामान लाने तक की भी कमाई नहीं हो रही है. ऐसे में फुटपाथ पर बैठने वाले यह मोची आर्थिक संकट से घिरे हुए हैं. इन मोचियों का कहना है कि लॉकडाउन से पहले वह दिन भर में 200 से लेकर 300 रुपए तक कमा लेते थे. जिससे कम से कम घर का राशन तो आ जाता था.

दौसा के मोची, cobblers of Dausa
तपती धूप में भी कर रहे ग्राहकों का इंतजार

पढ़ेंः सीकर में कोरोना पॉजिटिव का आंकड़ा पहुंचा 60

लेकिन, लॉकडाउन के बाद फिर से खुले इन बाजारों की हालात बद से बदतर हो गई. आज ये मोची 20 से 30 रुपए भी बड़ी मुश्किल से ही कमा पाता है. मोचियों का कहना है कि वैसे तो बीपीएल परिवार से होने के कारण उन्हें राशन का अनाज तो मिल जाता है. लेकिन, अनाज के अलावा घर का राशन, दूध, बिजली सहित ऐसे दर्जनों खर्चे हैं जो अब पूरे नहीं हो पा रहे है. अब दिन भर धूप में तपने के बाद भी इनको कहीं कोई ग्राहक नजर नहीं आता. जिला मुख्यालय पर अलग-अलग क्षेत्रों में ऐसे कई लोग हैं जो फुटपाथ पर बैठकर लोगों के बूट पॉलिश का काम करते हैं. ऐसे में अब उन्हें इस संकट की घड़ी में सरकार से उम्मीद है की सरकार इन फुटकर कामगारों के लिए राहत का कोई रास्ता निकालेगी.

दौसा. लॉकडाउन के बाद अब फुटपाथ पर बैठकर बूट पॉलिश करने वाले मोचियों पर रोजी रोटी का संकट गहराता नजर आ रहा है. दो माह से चल रहे लॉकडाउन के बाद अब सरकार धीरे-धीरे बाजार खोलने की अनुमति दे रही है. कहीं 2 से 3 घंटे के लिए बाजार खुल रहे हैं तो कहीं 3 से 5 घंटे के लिए बाजार खोलने की अनुमति दी गई है. ऐसे में इस लॉकडाउन के बाद खुलते बाजारों में छोटे उद्योग, धंधे और फुटापाथ पर काम करने वालों पर संकट मंडराता नजर आ रहा है.

तपती धूप में भी कर रहे ग्राहकों का इंतजार

इसे लेकर ईटीवी भारत ने जब फुटपाथ पर बैठकर लोगों के बूट पॉलिश और टूटे चप्पल जूतों की मरम्मत करने वाले मोचियों से उनके कारोबार और आय की बात की तो इनकी परेशानी इनके चेहरे पर साफ दिखाई दी. लोगों की टूटी चप्पल और जूतों को सीलकर अपने परिवार का गुजर-बसर करने वाले इन मोचियों के सामने अब घर परिवार के लिए जरूरत का सामान लाने तक की भी कमाई नहीं हो रही है. ऐसे में फुटपाथ पर बैठने वाले यह मोची आर्थिक संकट से घिरे हुए हैं. इन मोचियों का कहना है कि लॉकडाउन से पहले वह दिन भर में 200 से लेकर 300 रुपए तक कमा लेते थे. जिससे कम से कम घर का राशन तो आ जाता था.

दौसा के मोची, cobblers of Dausa
तपती धूप में भी कर रहे ग्राहकों का इंतजार

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लेकिन, लॉकडाउन के बाद फिर से खुले इन बाजारों की हालात बद से बदतर हो गई. आज ये मोची 20 से 30 रुपए भी बड़ी मुश्किल से ही कमा पाता है. मोचियों का कहना है कि वैसे तो बीपीएल परिवार से होने के कारण उन्हें राशन का अनाज तो मिल जाता है. लेकिन, अनाज के अलावा घर का राशन, दूध, बिजली सहित ऐसे दर्जनों खर्चे हैं जो अब पूरे नहीं हो पा रहे है. अब दिन भर धूप में तपने के बाद भी इनको कहीं कोई ग्राहक नजर नहीं आता. जिला मुख्यालय पर अलग-अलग क्षेत्रों में ऐसे कई लोग हैं जो फुटपाथ पर बैठकर लोगों के बूट पॉलिश का काम करते हैं. ऐसे में अब उन्हें इस संकट की घड़ी में सरकार से उम्मीद है की सरकार इन फुटकर कामगारों के लिए राहत का कोई रास्ता निकालेगी.

Last Updated : May 25, 2020, 11:03 AM IST
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