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दौसा: स्थायीकरण की मांग को लेकर आशा सहयोगियों का प्रदर्शन... - दौसा में विरोध प्रदर्शन

दौसा जिला कलेक्ट्रेट पर आशा सहयोगियों ने स्थायीकरण की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. इस दौरान आशा सहयोगियों ने कहा कि सरकार में आने के पहले कांग्रेस ने स्थायीकरण का वादा किया था. सरकार बने 2 साल हो गए, लेकिन अब तक सरकार ने उनकी सुध नहीं ली है. साथ ही बताया कि उन्हें कम मानदेय मिलता है, जिससे उनका गुजारा भी नहीं हो पाता.

ASHA workers regularization Demand, Asha Worker Protest
स्थायीकरण की मांग को लेकर आशा सहयोगियों ने किया प्रदर्शन
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Published : Oct 12, 2020, 5:20 PM IST

दौसा. स्थायीकरण की मांग को लेकर आशा सहयोगिनियों ने दौसा जिला कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन किया. आशा सहयोगिनियों का कहना है कि सरकार ने चुनाव से पहले अपने घोषणापत्र में आशा सहयोगियों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्थायी करने की घोषणा की थी, लेकिन सरकार बने 2 साल हो गए. अब सरकार आशा सहयोगिनियों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही, ना ही उन्हें उचित मानदेय प्रदान कर रही है.

अखिल भारतीय महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष मीना गुर्जर ने बताया कि सरकार ने चुनाव से पूर्व अपने घोषणा पत्र में ये वादा किया था कि सरकार बनने के बाद हम आशा सहयोगिनी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्थायी नौकरी प्रदान करेंगे, लेकिन सरकार बने 2 साल हो गए, अब तक भी सरकार आशा सहयोगिनी व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की कोई सुध नहीं ले रही.

पढ़ें- पुजारी हत्याकांड : अब ब्राह्मण महासभा ने भरी हुंकार...गहलोत सरकार को दी चेतावनी

उन्होंने बताया कि आशा सहयोगियों को बहुत कम मानदेय मिल रहा है, जिसके चलते आशा सहयोगिनी को अपने परिवार के गुजर बसर करने में भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जबकि सरकार संविदा कर्मियों को स्थायी नौकरी प्रदान करने की बात कर रही है. आशा सहयोगिनी अभी पिछले 15 वर्षों से सरकारी कार्मिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं.

ऐसे में अब मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि आशा सहयोगिनीयों को भी राज्य कर्मचारी का दर्जा देकर उन्हें उचित मानदेय प्रदान करें, जिससे कि वह अपना ससम्मान जीवन यापन कर सकें. उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में मिलने वाले आशा सहयोगिनी के मानदेय से उनके घर परिवार चलाना भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में उनके सामने अपने परिवार का पालन पोषण ठीक से करने का भी संकट है.

दौसा. स्थायीकरण की मांग को लेकर आशा सहयोगिनियों ने दौसा जिला कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन किया. आशा सहयोगिनियों का कहना है कि सरकार ने चुनाव से पहले अपने घोषणापत्र में आशा सहयोगियों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्थायी करने की घोषणा की थी, लेकिन सरकार बने 2 साल हो गए. अब सरकार आशा सहयोगिनियों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही, ना ही उन्हें उचित मानदेय प्रदान कर रही है.

अखिल भारतीय महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष मीना गुर्जर ने बताया कि सरकार ने चुनाव से पूर्व अपने घोषणा पत्र में ये वादा किया था कि सरकार बनने के बाद हम आशा सहयोगिनी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्थायी नौकरी प्रदान करेंगे, लेकिन सरकार बने 2 साल हो गए, अब तक भी सरकार आशा सहयोगिनी व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की कोई सुध नहीं ले रही.

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उन्होंने बताया कि आशा सहयोगियों को बहुत कम मानदेय मिल रहा है, जिसके चलते आशा सहयोगिनी को अपने परिवार के गुजर बसर करने में भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जबकि सरकार संविदा कर्मियों को स्थायी नौकरी प्रदान करने की बात कर रही है. आशा सहयोगिनी अभी पिछले 15 वर्षों से सरकारी कार्मिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं.

ऐसे में अब मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि आशा सहयोगिनीयों को भी राज्य कर्मचारी का दर्जा देकर उन्हें उचित मानदेय प्रदान करें, जिससे कि वह अपना ससम्मान जीवन यापन कर सकें. उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में मिलने वाले आशा सहयोगिनी के मानदेय से उनके घर परिवार चलाना भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में उनके सामने अपने परिवार का पालन पोषण ठीक से करने का भी संकट है.

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