ETV Bharat / state

बूंद-बूंद पानी को तरसते ग्रामीण, लोगों ने कहा- भूखे तो रह सकते हैं, लेकिन प्यासे नहीं

मनुष्य को जिंदा रहने के लिए सबसे बड़ी जरूरत पानी की होती है. इंसान कुछ दिन के लिए भूखा रह सकता है, लेकिन प्यासा नहीं. चूरू में सरदारशहर तहसील से 33 किलोमीटर दूर शिमला गांव के लोग काफी समय से पानी की एक-एक बूंद पाने को तरह रहे हैं. नेता विकास के बड़े-बड़े दावे तो करते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि करीब 7 हजार आबादी वाले इस गांव की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा.

churu news  sardarshahar news  water crisis rural distress  water crisis churu  water crisis sardarshahar churu
पानी की किल्लत के आगे बेअसर हुआ लॉकडाउन
author img

By

Published : Apr 24, 2020, 3:59 PM IST

सरदारशहर (चूरू). जिले के सरदारशहर एरिया में हर दो दिन बाद 'आपणी योजना' के तहत पानी आता है. यहां पानी भरने के लिए करीब 18 स्टैंड बनाए गए हैं. लेकिन जरा सोचिए यहां की आबादी करीब 12 हजार और पानी भरने के स्टैंड 18 बेइमानी से लगते हैं. पानी भरने के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लगना पड़ता है.

पानी की किल्लत के आगे बेअसर हुआ लॉकडाउन

पानी भरने की समस्या सबसे ज्यादा शिमला गांव के महिलाओं को होती है. क्योंकि जहां आज शहरों में हर घर में पानी का नल है, वहीं इस गांव में महिलाओं को दूर-दूर से सिर पर मटका रख कर पानी लाना पड़ता है.

पहले गांव में कुआं था...

गांव के लोगों ने बताया कि पहले तो कुओं से पानी निकाला जाता था, लेकिन वक्त के साथ-साथ कुएं भी खाली हो गए. अब गांव वालों को पानी की समस्या से हर दिन दो चार होना पड़ता है. इस गांव की बदकिस्मती यह है कि यह गांव विधानसभा क्षेत्र तारानगर तहसील में आता है और पंचायत समिति क्षेत्र सरदारशहर में आता है. गांव वालों ने बताया कि घर का सब काम का छोड़कर हर दिन उन्हें पानी भरने के लिए लाइनों में लगना पड़ता है. घंटों लाइन में लगने के बाद बमुश्किल 3 या 4 मटके ही पानी भर पाते हैं. पानी की किल्लत की वजह से अब इस गांव में धीरे-धीरे पशुपालन भी कम हो रहा है.

यह भी पढ़ेंः चूरू: कर्फ्यू के 20वें दिन खुला आमजन के लिए बैंक, लग गईं लंबी-लंबी लाइनें

ऐसा नहीं है कि गांव वालों ने इस समस्या से प्रशासन को अवगत नहीं करवाया. हर बड़े से बड़े अधिकारी और बड़े से बड़े नेता को इस समस्या से अवगत करवा चुके हैं. गांव वालों ने बताया कि नेता सिर्फ वोट मांगने के लिए गांव में आते हैं, बाद में उनको गांव की समस्या से कोई सरोकार नहीं रह जाता.

क्या कहना है गांव के सरपंच का...

गांव के सरपंच अजीज खान ने बताया कि पानी की समस्या के लिए वे हर अधिकारी से मिल चुके हैं और नेताओं को भी अवगत करवा चुके हैं. लेकिन आज तक किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. गांव वालों ने बताया कि जब गर्मी आती है तो इन मटकों की लाइन 500-500 मीटर तक लग जाती है और पूर दिन पानी भरने में लग जाते हैं. बच्चे हो चाहे बुजुर्ग हर कोई पानी के लिए लाइन में लगा नजर आता है.

सामाजिक कार्यकर्ता जगदीश धनावंशी ने बताया की यहां आपणी योजना से जो पानी सप्लाई होता है, उसमें बहुत सारी समस्याए हैं. गांवों में जो सक्षम लोग हैं, उनको पानी की कोई कमी नहीं है. वो पैसे देकर टैंकर कभी भी मंगवा सकते हैं, लेकिन गांव के जो गरीब लोग हैं, उनको पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है.

देश की स्थिति यह है कि आज भी दूरदराज के गांवों के लोगों तक देश की सरकारें उनकी मूलभूत पानी जैसी सुविधाओं को नहीं पहुंचा पाई हैं. आजादी के इतने सालों बाद भी यदि पानी को हमारे देश के ग्रामीण तरसे तो यह हमारे नेताओं की कार्यशैली पर कहीं न कहीं सवालिया निशान खड़ा करता है और उनके विकास की भी पोल खोलता है. एक तरफ यह गांव कोरोना से लड़ रहा है तो दूसरी ओर गांव के ग्रामीण पानी जैसी मूलभूत समस्या से सालों से लड़ते आ रहे हैं. लेकिन समस्या वह जस की तस बनी हुई है.

सरदारशहर (चूरू). जिले के सरदारशहर एरिया में हर दो दिन बाद 'आपणी योजना' के तहत पानी आता है. यहां पानी भरने के लिए करीब 18 स्टैंड बनाए गए हैं. लेकिन जरा सोचिए यहां की आबादी करीब 12 हजार और पानी भरने के स्टैंड 18 बेइमानी से लगते हैं. पानी भरने के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लगना पड़ता है.

पानी की किल्लत के आगे बेअसर हुआ लॉकडाउन

पानी भरने की समस्या सबसे ज्यादा शिमला गांव के महिलाओं को होती है. क्योंकि जहां आज शहरों में हर घर में पानी का नल है, वहीं इस गांव में महिलाओं को दूर-दूर से सिर पर मटका रख कर पानी लाना पड़ता है.

पहले गांव में कुआं था...

गांव के लोगों ने बताया कि पहले तो कुओं से पानी निकाला जाता था, लेकिन वक्त के साथ-साथ कुएं भी खाली हो गए. अब गांव वालों को पानी की समस्या से हर दिन दो चार होना पड़ता है. इस गांव की बदकिस्मती यह है कि यह गांव विधानसभा क्षेत्र तारानगर तहसील में आता है और पंचायत समिति क्षेत्र सरदारशहर में आता है. गांव वालों ने बताया कि घर का सब काम का छोड़कर हर दिन उन्हें पानी भरने के लिए लाइनों में लगना पड़ता है. घंटों लाइन में लगने के बाद बमुश्किल 3 या 4 मटके ही पानी भर पाते हैं. पानी की किल्लत की वजह से अब इस गांव में धीरे-धीरे पशुपालन भी कम हो रहा है.

यह भी पढ़ेंः चूरू: कर्फ्यू के 20वें दिन खुला आमजन के लिए बैंक, लग गईं लंबी-लंबी लाइनें

ऐसा नहीं है कि गांव वालों ने इस समस्या से प्रशासन को अवगत नहीं करवाया. हर बड़े से बड़े अधिकारी और बड़े से बड़े नेता को इस समस्या से अवगत करवा चुके हैं. गांव वालों ने बताया कि नेता सिर्फ वोट मांगने के लिए गांव में आते हैं, बाद में उनको गांव की समस्या से कोई सरोकार नहीं रह जाता.

क्या कहना है गांव के सरपंच का...

गांव के सरपंच अजीज खान ने बताया कि पानी की समस्या के लिए वे हर अधिकारी से मिल चुके हैं और नेताओं को भी अवगत करवा चुके हैं. लेकिन आज तक किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. गांव वालों ने बताया कि जब गर्मी आती है तो इन मटकों की लाइन 500-500 मीटर तक लग जाती है और पूर दिन पानी भरने में लग जाते हैं. बच्चे हो चाहे बुजुर्ग हर कोई पानी के लिए लाइन में लगा नजर आता है.

सामाजिक कार्यकर्ता जगदीश धनावंशी ने बताया की यहां आपणी योजना से जो पानी सप्लाई होता है, उसमें बहुत सारी समस्याए हैं. गांवों में जो सक्षम लोग हैं, उनको पानी की कोई कमी नहीं है. वो पैसे देकर टैंकर कभी भी मंगवा सकते हैं, लेकिन गांव के जो गरीब लोग हैं, उनको पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है.

देश की स्थिति यह है कि आज भी दूरदराज के गांवों के लोगों तक देश की सरकारें उनकी मूलभूत पानी जैसी सुविधाओं को नहीं पहुंचा पाई हैं. आजादी के इतने सालों बाद भी यदि पानी को हमारे देश के ग्रामीण तरसे तो यह हमारे नेताओं की कार्यशैली पर कहीं न कहीं सवालिया निशान खड़ा करता है और उनके विकास की भी पोल खोलता है. एक तरफ यह गांव कोरोना से लड़ रहा है तो दूसरी ओर गांव के ग्रामीण पानी जैसी मूलभूत समस्या से सालों से लड़ते आ रहे हैं. लेकिन समस्या वह जस की तस बनी हुई है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.