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खेलों के विकास के लिए खिलाड़ियों को स्कूल लेवल पर प्रमोट करना होगाः वीरेंद्र पूनिया

द्रोणाचार्य अवॉर्डी वीरेंद्र पूनिया ने कहा, कि राज्य में खेलों के विकास के लिए ओलंपिक, कॉमनवेल्थ औरन एशियन गेम्स में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को सीधे डीएसपी और आरएएस के पद पर भर्ती करने से खेलों को प्रोत्साहन मिलेगा. उन्होंने कहा कि जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के खेल संघों में खिलाड़ियों को भी प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए, ताकि खेलों का विकास हो सके.

राजस्थान न्यूज,  Rajasthan News
वीरेंद्र पूनिया की ईटीवी भारत से खास बातचीत
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Published : Mar 17, 2020, 11:12 PM IST

चूरू. द्रोणाचार्य अवॉर्डी और हैमर थ्रो के अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुके और डिस्कस थ्रो के भारतीय टीम के कोच वीरेंद्र पूनिया ने कहा, कि राज्य में खेलों के विकास के लिए ओलंपिक, कॉमनवेल्थ औरन एशियन गेम्स में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को सीधे डीएसपी और आरएएस के पद पर भर्ती करने से खेलों को प्रोत्साहन मिलेगा. साथ ही प्रदेश में नए खिलाड़ी तैयार होंगे.

वीरेंद्र पूनिया की ईटीवी भारत से खास बातचीत

वीरेंद्र पूनिया ने कहा कि खेलों के विकास के लिए खिलाड़ियों को स्कूल लेवल पर प्रमोट करना होगा. खेल को अनिवार्य विषय के रूप में लागू कर स्कूल लेवल पर ही पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए, ताकि स्कूल लेवल पर खेलों का विकास हो सके. साथ ही सभी स्तर के खेल संघों में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को भी प्रतिनिधित्व देना चाहिए. इससे जिले से लेकर नेशनल स्तर तक खेलों का विकास हो सकेगा.

2 फीसदी कोटा देने से खेलों का होगा विकास

वीरेंद्र पूनिया ने कहा कि हाल ही में राज्य सरकार की ओर से सरकारी नौकरियों में विश्वविद्यालय और स्कूल लेवल पर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों के लिए भी 2 फीसदी कोटा तय किया गया है. इससे खेलों का विकास होगा.

पढ़ें- पंचायत चुनाव के चौथे चरण से पहले प्रदेश में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, 50 RAS अफसर इधर से उधर

पूनिया ने कहा कि जूनियर लेवल पर पदक जीतने वाले खिलाड़ी की ही ओलंपिक और एशियन गेम्स में पदक जीतने की संभावना ज्यादा रहती है. ऐसे में जूनियर खिलाड़ियों को प्रमोट करना होगा और इसीलिए स्कूल लेवल से ही खेलों के विकास के लिए ध्यान देना होगा. इसके लिए खेल को स्कूल लेवल पर अनिवार्य विषय बनाना सबसे कारगर साबित हो सकेगा.

खेल संघों में मिले खिलाड़ियों को प्रतिनिधित्व

वीरेंद्र पूनिया ने कहा कि जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के खेल संघों में खिलाड़ियों को भी प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए, ताकि खेलों का विकास हो सके. उन्होंने कुछ खेल संघों पर भी सवाल उठाए और कहा कि चूरू जिले में ही कुछ ऐसे खेल संघ है जिनके पदाधिकारी पिछले 50 वर्षों से खेल संघों पर कब्जा जमाए बैठे हैं. लेकिन वहां से खिलाड़ी नहीं निकल पा रहे हैं. इस प्रकार की खेल संघों से खेल और खिलाड़ी का कोई हित नहीं होने वाला है. इसके लिए जरूरी है कि सभी खेल संघों में खिलाड़ियों का भी प्रतिनिधित्व हो.

चूरू. द्रोणाचार्य अवॉर्डी और हैमर थ्रो के अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुके और डिस्कस थ्रो के भारतीय टीम के कोच वीरेंद्र पूनिया ने कहा, कि राज्य में खेलों के विकास के लिए ओलंपिक, कॉमनवेल्थ औरन एशियन गेम्स में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को सीधे डीएसपी और आरएएस के पद पर भर्ती करने से खेलों को प्रोत्साहन मिलेगा. साथ ही प्रदेश में नए खिलाड़ी तैयार होंगे.

वीरेंद्र पूनिया की ईटीवी भारत से खास बातचीत

वीरेंद्र पूनिया ने कहा कि खेलों के विकास के लिए खिलाड़ियों को स्कूल लेवल पर प्रमोट करना होगा. खेल को अनिवार्य विषय के रूप में लागू कर स्कूल लेवल पर ही पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए, ताकि स्कूल लेवल पर खेलों का विकास हो सके. साथ ही सभी स्तर के खेल संघों में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को भी प्रतिनिधित्व देना चाहिए. इससे जिले से लेकर नेशनल स्तर तक खेलों का विकास हो सकेगा.

2 फीसदी कोटा देने से खेलों का होगा विकास

वीरेंद्र पूनिया ने कहा कि हाल ही में राज्य सरकार की ओर से सरकारी नौकरियों में विश्वविद्यालय और स्कूल लेवल पर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों के लिए भी 2 फीसदी कोटा तय किया गया है. इससे खेलों का विकास होगा.

पढ़ें- पंचायत चुनाव के चौथे चरण से पहले प्रदेश में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, 50 RAS अफसर इधर से उधर

पूनिया ने कहा कि जूनियर लेवल पर पदक जीतने वाले खिलाड़ी की ही ओलंपिक और एशियन गेम्स में पदक जीतने की संभावना ज्यादा रहती है. ऐसे में जूनियर खिलाड़ियों को प्रमोट करना होगा और इसीलिए स्कूल लेवल से ही खेलों के विकास के लिए ध्यान देना होगा. इसके लिए खेल को स्कूल लेवल पर अनिवार्य विषय बनाना सबसे कारगर साबित हो सकेगा.

खेल संघों में मिले खिलाड़ियों को प्रतिनिधित्व

वीरेंद्र पूनिया ने कहा कि जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के खेल संघों में खिलाड़ियों को भी प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए, ताकि खेलों का विकास हो सके. उन्होंने कुछ खेल संघों पर भी सवाल उठाए और कहा कि चूरू जिले में ही कुछ ऐसे खेल संघ है जिनके पदाधिकारी पिछले 50 वर्षों से खेल संघों पर कब्जा जमाए बैठे हैं. लेकिन वहां से खिलाड़ी नहीं निकल पा रहे हैं. इस प्रकार की खेल संघों से खेल और खिलाड़ी का कोई हित नहीं होने वाला है. इसके लिए जरूरी है कि सभी खेल संघों में खिलाड़ियों का भी प्रतिनिधित्व हो.

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