चूरू. चूरू जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर गांव सिरसला में पशुधन को बचाने के लिए खास टोटके पर विश्वास ( Totka Against Vaccination In Churu Village) किया जा रहा है. यहां पर खुरपका, मुंहपका रोग से पशुओं को बचाने के लिए ग्रामीणों ने गेट के आगे आंगी (महिलाओं के पहने जाने वाला एक वस्त्र) टांग रखी है.पशु चिकित्सक इसे अंधविश्वास बता रहे हैं.
पशु चिकित्सकों के मुताबिक टीकाकरण से इस रोग को काबू किया (Vaccination Campaign For Domestic Animals In Rajasthan) जा सकता है. इसके लिए सरकार के निर्देशन पर पहले 2016 से लगातार एफएमसीडी, सीपी कार्यक्रम चलाकर रोग से बचाव के लिए टीकाकरण किया जा रहा है. अब सरकार ने इसका नाम बदलकर राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) कर दिया है.
दूसरी तरफ खुरपका व मुंहपका रोग के प्रति फैली भ्रांति के चलते गांव सिरसिला में घर के गेट के आगे किसी ने एक तो किसी-किसी ने तीन से चार आंगियां (महिलाओं के पहने जाने वाला एक वस्त्र) दरवाजे पर टांग रखी है.
आंगी क्यों? : ग्रामीणों ने बताया कि जिले में पशुओं में खुरपका व मुंहपका रोग फैल गया था, करीब एक माह पहले गांव सिरसला में भी कई पशु इसकी चपेट में आ गए थे. रोग के चलते कई पशुओं की मौतें भी होने लगी. 800 परिवारों के गांव में अधिकांश लोग पशुधन रखते हैं. लोगों ने बताया कि पशुधन को रोग से बचाव के लिए प्राचीन मान्यता व तर्क के मुताबिक घरों के आगे आंगी टांगना (Clothes Hanged In Churu To Save Livestock) शुरू कर दिया.
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टोटके पर भरोसा, टीके पर! : ग्रामीणों का तर्क है कि आंगी टांगने से से पशु ठीक भी होने लगे साथ ही मौत का सिलसिला भी थम गया. लोगों ने बताया कि ऐसा कब से हुआ इसकी जानकारी नहीं है लेकिन बताते हैं कि बरसों पहले पूर्वजों की ओर से पशुओं के बीमार होने पर ऐसा ही किया जाता था.
नहीं कोई वैज्ञानिक आधार: इस टोटके का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. ग्रामीणों का कहना है कि ऐसा करने से पशुधन सुरक्षित रहता है तो आंगी (महिलाओं के पहने जाने वाला एक वस्त्र) टांगने में कोई हर्ज नहीं है. उल्लेखनीय है कि दो साल पहले जब कोरोना वायरस ने जिले में दस्तक दी थी, उस समय भी महामारी से बचने के लिए इसी गांव में घरों में वायरस से बचाव के लिए आंगी टांगी थी.