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सरदारशहर की SDM रीना छींपा...जिनकी तारीफ करते नहीं थकते लोग

आया समय उठो तुम नारी, युग निर्माण तुम्हें करना है! आजादी की खुदी नींव में तुम्हें प्रगति पत्थर भरना है!! स्त्री को सृजनकर्ता कहा गया है. स्त्रियों को जब समान अवसर, समान अधिकार मिलता है, तब वे साबित कर देती हैं कि वे सृजनकर्ता के साथ ही अच्छी नेतृत्वकर्ता, अच्छी प्रशासक भी हो सकती हैं. हमारे सामने कई उदाहरण आते हैं, जब हमारे आसपास की महिलाओं ने साबित किया है कि चाहे जितनी भी बड़ी विपदा आई हो उन्होंने अपने धैर्य और साहस से उसे हरा दिया है. ऐसा ही कर दिखाया है सरदारशहर की एसडीएम रीना छींपा ने. पढ़िए पूरी खबर...

सरदारशहर में कोविड-19, churu news
सरदारशहर एसडीएम की सराहनीय कार्य
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Published : Oct 26, 2020, 2:14 PM IST

सरदारशहर (चूरू). नारी सशक्त तभी हो सकती है, जब उसे पुरुषों की तरह ही समान अवसर मिले. जब नारी को समान अवसर मिलता है तब नारी हर क्षेत्र में अपनी कार्यकुशलता का लोहा मनवाती है. ऐसा ही कर दिखाया है सरदारशहर की एसडीएम रीना छींपा ने. रीना छींपा ने कोरोना काल के दौरान अपनी कार्यकुशलता, बेहतर मैनेजमेंट से सरदारशहरवासियों को अपना कायल बना लिया है. इसी कारण लोग उनकी तारीफ करते नहीं थकते हैं.

सरदारशहर एसडीएम की सराहनीय कार्य

सरदारशहर की उपखंड अधिकारी रीना छिंपा जो कि लगातार कोरोना से सरदारशहर को बचाने के लिए पूरी ताकत के साथ लड़ रही है. कोरोना के नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कभी रीना छिंपा सख्त दिखाई देती है तो कभी ममता मय होकर प्यार से शहरवासियों को समझाइश करती हुई नजर आती हैं. सरदारशहर में कोविड-19 के मरीज शुरूआत में आ गए थे. 1 अप्रैल को एक साथ 7 कोरोना पॉजिटिव मिले थे, इसके बाद क्षेत्र में हड़कंप मच गया. जिसके बाद प्रशासन ने कमान संभाली और जिला प्रशासन के निर्देश पर सरदारशहर में कर्फ्यू लगा दिया गया.

कर्फ्यू तो लगा दिया गया लेकिन सबसे बड़ी चुनौती थी लोग से नियम का पालन करवाना. तभी कोरोना से बखूबी जंग लड़ा जा सकता था. ऐसे में SDM रीना छींपा ने लोगों को कोरोना से बचाव के लिए कमर कस ली. जिसके बाद वे लगातार पूरे क्षेत्र के लोगों से संपर्क कर समझाने का प्रयास करती दिखीं. रीना छींपा ने सरदारशहर में कोरोना जागरुकता के लिए बखूबी कायम किया. वे लोगों से मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग के लिए लगातार समझाइश करती रहीं.

सरदारशहर में कोविड-19, churu news
युवक को मास्क नहीं लगाने पर डांटती

कोई भूखा न सोये इसके लिए भामाशाहों का लिया साथ

कोरोना काल में सबसे अहम काम था कि कोई भूखा न सोये. इसके लिए उपखंड अधिकारी ने भामाशाहों का सहयोग लिया. जिसके बाद गांव-गांव और शहर के हर वार्ड में जरूरतमंद लोगों तक राशन पहुंचाया गया. उपखंड अधिकारी के प्रयासों से सरदारशहर के काश्तकारों ने भी 1 हजार क्विंटल गेहूं दान दिया. वही चुरू जिले के अंदर सबसे ज्यादा दान किसी तहसील में दिया गया तो वह सरदारशहर के भामासाहों ने दान दिया. जिसके चलते संकट भरा समय आसानी से गुजर गया.

यह भी पढ़ें. Special : नगर निगम चुनाव में कहीं पति-पत्नी तो कहीं बुजुर्ग प्रत्याशी आजमा रहे किस्मत

प्रशासनिक स्तर पर छींपा लोगों की सेवा में दिन-रात जुटी रही. कई चुनौतियों ने उनका रास्ता रोका लेकिन वे पीछे नहीं हटी. छींपा अपने ढाई साल के बेटे को घर पर छोड़कर लगातार शहर के अंदर कर्फ्यू का जायजा लेती और सख्ती से कर्फ्यू का पालन कराने की कोशिश करती. उपखंड अधिकारी ने अपने प्रयास जारी रखते हुए सरदारशहर के अंदर बड़ी संख्या में रहने वाले प्रवासी मजदूरों को भी उनके गांव तक पहुंचाया.

सरदारशहर में कोविड-19, churu news
युवक को समझाती SDM

आरएएस बनने का सफर नहीं रहा आसान

एसडीएम रीना छींपा ने अपनी कार्यकुशलता नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया है लेकिन छींपा का आरएएस रीना छींपा बनने तक का सफर इतना आसान भी नहीं रहा. न जाने कितनी बधाएं मुश्किलें उनके सामने आई लेकिन हर बाधा हर मुश्किल को पार करते हुए वह इस मुकाम पर पहुंची है. दरअसल, रीना छिंपा जब छठी क्लास में तभी उनके सिर से पिता का साया उठ गया. उस समय रीना छींपा की उम्र महज 10 साल थी लेकिन किसान परिवार की इस बेटी ने हिम्मत नहीं हारी और सपना देखा आरएएस बनने का. जिसके लिए वह जी जान से जुट गई. जिसके बाद उनका सपना पूरा होगा.

यह भी पढ़ें. जहां सपनों को लगते हैं पंख, मूक-बधिर बच्चों के लिए उम्मीद की किरण है 'आशा का झरना'

इस सफलता की विशेष बात यह रही कि रीना छिंपा ने अपनी सारी की सारी पढ़ाई सरकारी स्कूल व सरकारी कॉलेज में की. रीना छिंपा ने कभी किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया. घर पर ही आरएएस बनने की तैयारी की. छींपा कॉलेज समय में यूनिवर्सिटी टॉपर रही हैं, वह राज्यपाल और राष्ट्रपति से भी सम्मानित हुई हैं.

आरएएस बनने से पहले 4 सरकारी नौकरियों को छोड़ा

छिंपा ने अर्जुन की तरह एक ही लक्ष्य रखा सिर्फ आरएएस बनने का और इसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए उन्होंने प्रारंभिक 4 सरकारी सेवाओं में चयन करवाया लेकिन आरएस बन के ही वो मानी. रीना ने साबित कर दिया कि बेटियों के अंदर भी एक अच्छी नेतृत्व करने की क्षमता होती है, बशर्ते उन्हें मौका मिलना चाहिए.

सरदारशहर (चूरू). नारी सशक्त तभी हो सकती है, जब उसे पुरुषों की तरह ही समान अवसर मिले. जब नारी को समान अवसर मिलता है तब नारी हर क्षेत्र में अपनी कार्यकुशलता का लोहा मनवाती है. ऐसा ही कर दिखाया है सरदारशहर की एसडीएम रीना छींपा ने. रीना छींपा ने कोरोना काल के दौरान अपनी कार्यकुशलता, बेहतर मैनेजमेंट से सरदारशहरवासियों को अपना कायल बना लिया है. इसी कारण लोग उनकी तारीफ करते नहीं थकते हैं.

सरदारशहर एसडीएम की सराहनीय कार्य

सरदारशहर की उपखंड अधिकारी रीना छिंपा जो कि लगातार कोरोना से सरदारशहर को बचाने के लिए पूरी ताकत के साथ लड़ रही है. कोरोना के नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कभी रीना छिंपा सख्त दिखाई देती है तो कभी ममता मय होकर प्यार से शहरवासियों को समझाइश करती हुई नजर आती हैं. सरदारशहर में कोविड-19 के मरीज शुरूआत में आ गए थे. 1 अप्रैल को एक साथ 7 कोरोना पॉजिटिव मिले थे, इसके बाद क्षेत्र में हड़कंप मच गया. जिसके बाद प्रशासन ने कमान संभाली और जिला प्रशासन के निर्देश पर सरदारशहर में कर्फ्यू लगा दिया गया.

कर्फ्यू तो लगा दिया गया लेकिन सबसे बड़ी चुनौती थी लोग से नियम का पालन करवाना. तभी कोरोना से बखूबी जंग लड़ा जा सकता था. ऐसे में SDM रीना छींपा ने लोगों को कोरोना से बचाव के लिए कमर कस ली. जिसके बाद वे लगातार पूरे क्षेत्र के लोगों से संपर्क कर समझाने का प्रयास करती दिखीं. रीना छींपा ने सरदारशहर में कोरोना जागरुकता के लिए बखूबी कायम किया. वे लोगों से मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग के लिए लगातार समझाइश करती रहीं.

सरदारशहर में कोविड-19, churu news
युवक को मास्क नहीं लगाने पर डांटती

कोई भूखा न सोये इसके लिए भामाशाहों का लिया साथ

कोरोना काल में सबसे अहम काम था कि कोई भूखा न सोये. इसके लिए उपखंड अधिकारी ने भामाशाहों का सहयोग लिया. जिसके बाद गांव-गांव और शहर के हर वार्ड में जरूरतमंद लोगों तक राशन पहुंचाया गया. उपखंड अधिकारी के प्रयासों से सरदारशहर के काश्तकारों ने भी 1 हजार क्विंटल गेहूं दान दिया. वही चुरू जिले के अंदर सबसे ज्यादा दान किसी तहसील में दिया गया तो वह सरदारशहर के भामासाहों ने दान दिया. जिसके चलते संकट भरा समय आसानी से गुजर गया.

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प्रशासनिक स्तर पर छींपा लोगों की सेवा में दिन-रात जुटी रही. कई चुनौतियों ने उनका रास्ता रोका लेकिन वे पीछे नहीं हटी. छींपा अपने ढाई साल के बेटे को घर पर छोड़कर लगातार शहर के अंदर कर्फ्यू का जायजा लेती और सख्ती से कर्फ्यू का पालन कराने की कोशिश करती. उपखंड अधिकारी ने अपने प्रयास जारी रखते हुए सरदारशहर के अंदर बड़ी संख्या में रहने वाले प्रवासी मजदूरों को भी उनके गांव तक पहुंचाया.

सरदारशहर में कोविड-19, churu news
युवक को समझाती SDM

आरएएस बनने का सफर नहीं रहा आसान

एसडीएम रीना छींपा ने अपनी कार्यकुशलता नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया है लेकिन छींपा का आरएएस रीना छींपा बनने तक का सफर इतना आसान भी नहीं रहा. न जाने कितनी बधाएं मुश्किलें उनके सामने आई लेकिन हर बाधा हर मुश्किल को पार करते हुए वह इस मुकाम पर पहुंची है. दरअसल, रीना छिंपा जब छठी क्लास में तभी उनके सिर से पिता का साया उठ गया. उस समय रीना छींपा की उम्र महज 10 साल थी लेकिन किसान परिवार की इस बेटी ने हिम्मत नहीं हारी और सपना देखा आरएएस बनने का. जिसके लिए वह जी जान से जुट गई. जिसके बाद उनका सपना पूरा होगा.

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इस सफलता की विशेष बात यह रही कि रीना छिंपा ने अपनी सारी की सारी पढ़ाई सरकारी स्कूल व सरकारी कॉलेज में की. रीना छिंपा ने कभी किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया. घर पर ही आरएएस बनने की तैयारी की. छींपा कॉलेज समय में यूनिवर्सिटी टॉपर रही हैं, वह राज्यपाल और राष्ट्रपति से भी सम्मानित हुई हैं.

आरएएस बनने से पहले 4 सरकारी नौकरियों को छोड़ा

छिंपा ने अर्जुन की तरह एक ही लक्ष्य रखा सिर्फ आरएएस बनने का और इसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए उन्होंने प्रारंभिक 4 सरकारी सेवाओं में चयन करवाया लेकिन आरएस बन के ही वो मानी. रीना ने साबित कर दिया कि बेटियों के अंदर भी एक अच्छी नेतृत्व करने की क्षमता होती है, बशर्ते उन्हें मौका मिलना चाहिए.

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