चूरू. ऑनलाइन एजुकेशन बंद करने और 17 नवंबर से पांचवी से 12 वी तक की स्कूलों को खोलने की मांग सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर बुधवार को जिला कलेक्ट्रेट के आगे जिले भर के निजी स्कूल संचालकों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किया. साथ ही जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया. प्रदर्शन करने वाले निजी स्कूल संचालकों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द ही उनकी मांगे नहीं मानी जाती हैं तो वह परिजनों के साथ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे.
कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम दिए ज्ञापन में निजी स्कूल संचालकों ने कहा कि शिक्षा विभाग में गारंटी के तौर पर स्कूलों की एफडी और बालिका शिक्षा फेडरेशन की राशि 3 साल में वापस जमा करवाने की शर्त पर राहत के तौर पर सभी स्कूलों को लौटाई जाए. आरटीआई का भुगतान दीपावली से पूर्व हर हाल में किया जाए, स्कूल खोलने पर न्यू एडमिशन हेतु आरटीआई पोर्टल पुन खोला जाए.
साथ ही निजी स्कूल संचालकों ने मांग की है कि भविष्य में शाला दर्पण और आरटीआई पोर्टल खोलने की स्थिति समान रहे. हाईकोर्ट की एकल पीठ के निर्णय को लागू किया जाए. प्रदर्शन कर रहे निजी स्कूल संचालकों ने कहा कि कोरोना कॉल में स्कूल संचालको की आर्थिक स्थिति बहुत कष्ट पूर्ण कट रही है. स्कूलों का संचालन बहुत मुश्किल हो रहा है. 8 माह से वेतन को तरस रहे 11 लाख कर्मचारियों के परिजनों की दीपावली कैसे मनेगी.
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बता दें कि निजी स्कूलों के द्वारा फीस वसूली के मामले में राज्य सरकार की ओर से सोमवार 2 नवंबर को हाई कोर्ट में शपथ पत्र पेश किया गया. शपथ पत्र में अदालती आदेश की पालना में सत्र 2020-21 की फीस वसूलने का ब्यौरा पेश किया गया. राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र पेश कर कहा गया कि गत 28 अक्टूबर को शिक्षा विभाग की ओर से आदेश जारी कर स्कूल फीस निर्धारित की गई है. इसके तहत सीबीएसई की कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों से ट्यूशन फीस 70 फीसदी वसूलना तय किया गया है. वहीं, राजस्थान बोर्ड की इन कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए ट्यूशन फीस में 40 फीसदी कटौती की गई है.