चूरू. कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन का असर प्रदेश के निजी बस संचालकों पर भी पड़ा है. उनका कारोबार ठप होने से वो परेशान हुए हैं और लगातार राज्य सरकार से राहत देने की मांग की जा रही है. लेकिन, राज्य सरकार की ओर से कोई सुनवाई नहीं होने से निजी बस संचालक सरकार से खफा चल रहे हैं.
सोमवार को चूरू के निजी बस संचालकों ने डीटीओ ऑफिस में अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और अपनी दर्जनों बसों को डीटीओ आफिस में खड़ा कर चेतावनी दी है कि जब तक हमारी मांगें नहीं मानी जाएगी, तब तक बसें यहीं खड़ी रहेंगी. इस दौरान निजी बस संचालकों ने बसों पर चढ़कर भी प्रदर्शन किया और मांग पत्र चूरू परिवहन अधिकारी को सौंपा.
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प्रदर्शन कर रहे निजी बस संचालकों की मुख्य मांग है कि लॉकडाउन और अन्य कारणों के कारण जब तक बसें ना चल सकें, तब तक बसों का टैक्स माफ किया जाए. जब तक लॉकडाउन रहे, तब तक बीमा को आगे बढ़ाया जाए. साथ ही मांग है कि सोशल डिस्टेंसिंग की आवश्यक रूप से पालना किए जाने तक बीमा की राशि को आधा किया जाए. वहीं, निजी बस संचालकों की तीसरी मांग है कि 6 महीने तक फाइनेंस कंपनियों से किस्तों का ब्याज माफ करवाया जाए, क्योंकि लॉकडाउन की स्थिति में बसें बंद हैं. इसके अलावा प्रदर्शन कर रहे निजी बस संचालकों की चौथी मांग है कि जब तक हम बसें संचालित करने की स्थिति में ना आ जाए, तब तक बिना किसी शर्त के परिवहन कार्यालय में हमारे कागजात सरेंडर किए जाए.
इस दौरान निजी बस यूनियन के जिला अध्यक्ष रणवीर कस्वां ने चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक हमारी मांगे नहीं मानी जाती हैं, तब तक हमारी बसें जिला परिवहन विभाग में ही खड़ी रहेंगी और आगे हमें उग्र प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
गौरतलब है कि कोरोना काल में हुए लॉकडाउन की वजह से कई लोग बेरोजगार हो गए हैं. वहीं, बस संचालकों के सामने ढाई माह से खड़ी बसों की किश्त और उनके टैक्स भरने की समस्या है. इसलिए निजी बस संचालकों ने सोमवार को अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर जिला परिवहन विभाग में प्रदर्शन किया और मांग-पत्र चूरू परिवहन अधिकारी को सौंपा.