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चूरू सीट पर...राहुल कस्वां और उनके पिता के नाम है ये अनोखा रिकॉर्ड... - unique record

जिले की लोकसभा सीट पिछले 20 साल से भाजपा के कब्जे में है और यहां सबसे कम और सबसे ज्यादा वोटों की जीत भी भाजपा के नाम रही है. खास बात यह है कि सबसे ज्यादा और कम वोटों से जीत दिलाने वाले पिता पुत्र हैं.

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Published : Apr 4, 2019, 7:43 PM IST

चूरू. जिले की लोकसभा सीट पिछले 20 साल से भाजपा के कब्जे में है और यहां सबसे कम और सबसे ज्यादा वोटों की जीत भी भाजपा के नाम रही है. खास बात यह है कि सबसे ज्यादा और कम वोटों से जीत दिलाने वाले पिता पुत्र हैं.

चूरू सीट पर

बता दें, भाजपा के रामसिंह कस्वां ने 1991 का चुनाव महज 168 वोटों से जीता था. तो वहीं, कस्वा के पुत्र राहुल कस्वां 2014 का लोकसभा का चुनाव दो लाख 94 हजार वोटों से बड़ी जीत हासिल की थी. ऐसे में राहुल कस्वा फिर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं और उनका मुकाबला कांग्रेस के रफीक मंडेलिया से है. मंडेलिया हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में चूरू विधानसभा क्षेत्र से सबसे कम वोट से हारने वाले प्रत्याशी रहे हैं. मंडेलिया की हार विधानसभा चुनाव में सिर्फ1850 वोटों से हुई थी.

उधर, विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ी और सबसे कम अंतर की जीत भाजपा के राजेंद्र राठौड़ के नाम है. राठौर ने 1990 में कांग्रेस की हमीदा बेगम को 24383 वोट से हराया था. जो चुरू विधानसभा क्षेत्र से अब तक की सबसे बड़ी जीत है. वहीं, सबसे कम अंतर की जीत भी राजेंद्र राठौड़ के नाम है. राठौड़ ने 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मंडेलिया से 1850 वोटों से हराया.

चूरू. जिले की लोकसभा सीट पिछले 20 साल से भाजपा के कब्जे में है और यहां सबसे कम और सबसे ज्यादा वोटों की जीत भी भाजपा के नाम रही है. खास बात यह है कि सबसे ज्यादा और कम वोटों से जीत दिलाने वाले पिता पुत्र हैं.

चूरू सीट पर

बता दें, भाजपा के रामसिंह कस्वां ने 1991 का चुनाव महज 168 वोटों से जीता था. तो वहीं, कस्वा के पुत्र राहुल कस्वां 2014 का लोकसभा का चुनाव दो लाख 94 हजार वोटों से बड़ी जीत हासिल की थी. ऐसे में राहुल कस्वा फिर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं और उनका मुकाबला कांग्रेस के रफीक मंडेलिया से है. मंडेलिया हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में चूरू विधानसभा क्षेत्र से सबसे कम वोट से हारने वाले प्रत्याशी रहे हैं. मंडेलिया की हार विधानसभा चुनाव में सिर्फ1850 वोटों से हुई थी.

उधर, विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ी और सबसे कम अंतर की जीत भाजपा के राजेंद्र राठौड़ के नाम है. राठौर ने 1990 में कांग्रेस की हमीदा बेगम को 24383 वोट से हराया था. जो चुरू विधानसभा क्षेत्र से अब तक की सबसे बड़ी जीत है. वहीं, सबसे कम अंतर की जीत भी राजेंद्र राठौड़ के नाम है. राठौड़ ने 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मंडेलिया से 1850 वोटों से हराया.

Intro:चूरू चूरू लोकसभा सीट पिछले 20 साल से भाजपा के कब्जे में है और यहां सबसे कम और सबसे ज्यादा वोटों की जीत भाजपा के नाम रही है खास बात यह है कि सबसे ज्यादा और कम वोटों से जीत दिलाने वाले पिता पुत्र हैं भाजपा के रामसिंह कस्वा ने 1991 का चुनाव महज 168 वर्ष जीता था तो कसवा के पुत्र राहुल कस्वा 2014 का लोकसभा का चुनाव दो लाख 94 हजार सुजीत कर अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की थी राहुल कस्वा फिर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर मैदान में है उनका मुकाबला कांग्रेस के रफीक मंडेलिया से हैं मंडेलिया हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में चूरू विधानसभा क्षेत्र से तक सबसे कम वोट से हारने वाले प्रत्याशी रहे हैं मंडेलिया यह चुनाव 1850 वोट से हारा था


Body:मंडेलिया से पहले 2009 में लोकसभा चुनाव में मौजूदा सांसद राहुल कसवा के पिता रामसिंह कस्वा श्री 12440 वोट से चुनाव हार गए थे चूरू चूरू विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ी और सबसे कम अंतर की जीत भाजपा के राजेंद्र राठौड़ के नाम है राठौर ने 1990 में कांग्रेस की हमीदा बेगम को 24383 वोट से हराया था जोकि चुरू विधानसभा क्षेत्र के अब तक की सबसे बड़ी जीत है वही सबसे कम अंतर की जीत भी राजेंद्र राठौड़ के नाम है राठौर ने 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मंडेलिया 18 से 50 वोट से हराया अब तक की सबसे कम अंतर कीजिए


Conclusion:पहले लोकसभा चुनाव में 1977 में जनता दल के दौलत राम सारण यूपी के पूर्व राज्यपाल मोहम्मद उस्मान आरिफ को 152000 वोट से 1984 में मोहर सिंह राठौड़ ने लोकदल के दौलत राम सारण को 111000 वोट से 1989 के चुनाव में जनता दल के दौलत राम सारण ने कांग्रेस के नरेंद्र बुडानिया को 124000 वर्ष 1991 में भाजपा के रामसिंह कस्वा ने पूर्व सांसद मोहर सिंह राठौड़ के पुत्र कांग्रेस की जय सिंह राठौड़ को महज 168 वोट से 1996 में बीजेपी की रामसिंह कस्वा को कांग्रेस के नरेंद्र बुडानिया ने 24438 वोट से 1999 बीजेपी की राम सिंह का स्वामी नरेंद्र बुडानिया को 46800 वोट से हराया 2004 में राम सिंह कसाना कांग्रेस के दिग्गज नेता बलराम जाखड़ * 30570 वोट से हराया 2009 में राम सिंह का स्वामी कांग्रेस के रफीक मंडेलिया को 12440 वोट से हराया 2014 के चुनाव में राहुल कसवा ने बसपा के अभिनेश महर्षी को 294000 वोट से हराया जो अब तक की सबसे बड़ी जीत र
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