चूरू. जिले की लोकसभा सीट पिछले 20 साल से भाजपा के कब्जे में है और यहां सबसे कम और सबसे ज्यादा वोटों की जीत भी भाजपा के नाम रही है. खास बात यह है कि सबसे ज्यादा और कम वोटों से जीत दिलाने वाले पिता पुत्र हैं.
बता दें, भाजपा के रामसिंह कस्वां ने 1991 का चुनाव महज 168 वोटों से जीता था. तो वहीं, कस्वा के पुत्र राहुल कस्वां 2014 का लोकसभा का चुनाव दो लाख 94 हजार वोटों से बड़ी जीत हासिल की थी. ऐसे में राहुल कस्वा फिर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं और उनका मुकाबला कांग्रेस के रफीक मंडेलिया से है. मंडेलिया हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में चूरू विधानसभा क्षेत्र से सबसे कम वोट से हारने वाले प्रत्याशी रहे हैं. मंडेलिया की हार विधानसभा चुनाव में सिर्फ1850 वोटों से हुई थी.
उधर, विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ी और सबसे कम अंतर की जीत भाजपा के राजेंद्र राठौड़ के नाम है. राठौर ने 1990 में कांग्रेस की हमीदा बेगम को 24383 वोट से हराया था. जो चुरू विधानसभा क्षेत्र से अब तक की सबसे बड़ी जीत है. वहीं, सबसे कम अंतर की जीत भी राजेंद्र राठौड़ के नाम है. राठौड़ ने 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मंडेलिया से 1850 वोटों से हराया.