चूरू. वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए अभी देश में लॉकडाउन का पांचवा चरण चल रहा है. देश में नोटबंदी के बाद टूटा बाजार कुछ संभला था, लेकिन कोरोना ने बाजारों की पूरी कमर तोड़कर रख दी है. इस दौरान उद्यमियों का जहां व्यवसाय ठप हो गया, तो वहीं कारीगरों के सामने रोजगार का संकट बना हुआ है.
बता दें कि चूरू जिले में फर्नीचर उद्योग साइलेंट मोड पर चला गया है. उद्यमियों को अभी नए ऑर्डर मिल नहीं रहे हैं, तो वहीं पुराना माल अब भी अटका हुआ है. जिन्होंने ऑर्डर दिए थे वो भी लेने को तैयार नहीं हैं. लॉकडाउन के कारण छोटे व्यापारी से लेकर बड़े व्यापारी के व्यवसाय को भारी नुकसान हुआ है. चूरू जिले में फर्नीचर का दूसरे राज्यों में एक्सपोर्ट का बड़ा कारोबार होता है.

पढ़ें- राजस्थान में महंगी हुई शराब, सरकार ने डेढ़ रुपए से लेकर 30 रुपए तक का लगाया सरचार्ज
लॉकडाउन के कारण जिले में छोटी-बड़ी करीब 400 से ज्यादा फर्नीचर निर्माण इकाईयों में काम ठप पड़ा है. व्यापारियों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण जिले में 60 से 70 करोड़ रुपए का फर्नीचर व्यवसाय प्रभावित हुआ है. साथ ही इस काम से जुड़े करीब 25 हजार व्यक्तियों का रोजगार भी छीन गया है.
चूरू जिले में है 400 फर्म
व्यापारियों का कहना है कि जिले में चूरू जिला मुख्यालय, सरदारशहर और सुजानगढ़ को मिलाकर छोटी-बड़ी करीब 400 से ज्यादा इंडस्ट्रीज है, जो फर्नीचर व्यवसाय से जुड़ी हुई है. उनका कहना है कि लॉकडाउन के कारण करीब 60-70 करोड़ रुपए का व्यवसाय प्रभावित हो रहा है.

ना कच्चा माल मिल रहा ना मजदूर
बता दें कि चूरू जिले में फर्नीचर का रॉ-मटेरियल पंजाब और हरियाणा से आता है, लेकिन लॉकडाउन के कारण वहां से कच्चा माल भी नहीं आ रहा है. इस काम के लिए 70 फीसदी मजदूर बिहार और उत्तर प्रदेश से हैं. वहीं, कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन में सभी मजदूर भी घर लौट गए हैं. व्यापारियों का कहना है कि सभी मजदूर घर लौट गए हैं और भविष्य में हालात सुधरने पर मजदूरों का मिलना मुश्किल होगा.

बैंक से नहीं मिल रही कोई रियायत
व्यापारियों का कहना है कि सरकार की ओर से पैकेज की घोषणा की गई, लेकिन कोई गाइडलाइन तैयार नहीं की गई है. उनका कहना है कि सरकार ने बैंक किश्त जमा करवाने में 2 से 3 महीने की छूट दी थी, लेकिन बैंकों ने कोई रियायत नहीं दी. उनका कहना है, लॉकडाउन के कारण फर्नीचर उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुआ है.
नया ऑर्डर नहीं है और पुरानों पर भी संकट
लॉकडाउन के कारण मुंबई, दिल्ली और अन्य बड़े शहरों से उन्हें कोई नया ऑर्डर नहीं मिला है. वहीं, पुराने ऑर्डर कैंसिल होने के कारण नया संकट खड़ा हो गया है. व्यापारियों का कहना है कि जो माल बनकर तैयार है, उसे बेचना भी मुश्किल है. फिलहाल कोई भी खरीददार नहीं है.
पढ़ें- खबर का असरः शिक्षकों की ड्यूटी गैर शैक्षणिक कार्य में लगाए जाने पर शिक्षा मंत्री ने लिया संज्ञान
व्यापारियों का कहना है कि मार्च से मई तक का महीना फर्नीचर बिजनेस का होता है. इसी दौरान कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है, जिससे व्यवसाय पूरी तरह ठप पड़ गया है. उनका कहना है कि जो व्यापारी घरेलू व्यवसाय से जुड़े हैं, उन्हें इस बार शादियां नहीं होने के कारण भी बड़ा नुकसान हुआ है.
फर्नीचर व्यवसाय से जुड़े 25 हजार व्यक्ति प्रभावित
चूरू जिले में फर्नीचर व्यवसाय से करीब 25 हजार लोग जुड़े हुए हैं, जिनके रोजी-रोटी पर भी अब संकट खड़ा हो गया है. व्यापारियों का कहना है कि इस व्यवसाय के हालात 6 महीनों तक नहीं सुधरेंगे, यह पूरा साल बेकार जाएगा.
वहीं, जिले में लॉकडाउन के कारण 60 से 70 करोड़ रुपए का फर्नीचर का व्यापार प्रभावित हुआ है. लॉकडाउन पूरी तरह से खुलने के बाद भी बिजनेस को वापस पटरी पर आने में 6 से 8 महीने लगेंगे. इस समय ना कच्चा मैटेरियल आ रहा है और ना ही कोई नई डिमांड, साथ ही पुराने आर्डर भी कैंसिल हो रहे हैं.
चूरू जिले में फर्नीचर कारोबार को बड़ा नुकसान हुआ है. जिले से चेन्नई, मुंबई, हैदराबाद और अन्य स्थानों पर फर्नीचर की सप्लाई होती थी. सभी जगह से कोरोना के कारण कोई नया ऑर्डर नहीं आ रहा है. साथ ही लोग पुराना माल भी वापस उठाने के लिए कह रहे हैं.