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चूरूः मौत के साए में रह रहे सरकारी कर्मचारियों के परिवार

चूरू में गुरुवार देर रात को जिला परिषद निजी सहायक के सरकारी आवास की छत जमीन पर आ गिरी. परिवार के सदस्यों की माने तो घर की छत की पट्टियां देखते ही देखते चंद मिनटों में जमीन पर धराशाई हो गई. गनीमत रही कि इस हादसे में सभी लोग बाल-बाल बच गए.

सरकारी आवास की छत गिरी, Roof of government house collapsed
सरकारी आवास की छत गिरी
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Published : Jul 10, 2020, 1:47 PM IST

चूरू. सरकारी कर्मचारी किस कदर मौत के साए में अपने परिवार के साथ सरकारी आवासों में रहता है, इसकी बानगी जिला मुख्यालय पर गुरुवार देर रात को सामने आई. यहां जिला परिषद निजी सहायक के सरकारी आवास की छत जमीन पर आ गिरी. परिवार के सदस्यों की माने तो घर की छत की पट्टियां देखते ही देखते चंद मिनटों में जमीन पर धराशाई हो गई.

सरकारी आवास की छत गिरी

बताया जा रहा है कि जिस वक्त यह हादसा हुआ, उस वक्त घर में निजी सहायक गोरखाराम सहित उनका दस सदस्यीय परिवार सरकारी क्वाटर में था. हादसे के वक्त सरकारी क्वार्टर में छोटे बच्चों सहित यह परिवार इस हादसे में बाल-बाल बच गया, वरना किसी भी बड़े हादसे से यहां इनकार नहीं किया जा सकता था.

सरकारी आवास की छत गिरी, Roof of government house collapsed
छत की पट्टियां हुई धराशाई

घर की छत गिरने से घर में रखा सामान तहस-नहस हो गया, किसी डर के बीच पूरा परिवार रात भर बरामदे में बैठा रहा. क्वार्टर के बाकी बचे हिस्से के गिर जाने के डर से इसी सिविल लाइन में मजिस्ट्रेट, चिकित्सक, पुलिस अधिकारी और तहसीलदार सहित कई बड़े अधिकारियों के भी यहां सरकारी आवास है.

पढ़ेंः राजस्थान में स्कूल फीस को लेकर क्या बोले शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा?

जानकारी के अनुसार 1976 में बने इन सरकारी आवासों के हालात यह है कि कई सरकारी क्वार्टर तो जर्जर हो चुके हैं, लेकिन यहां पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों ने कभी भी इनकी सुध नहीं ली और ना ही जिला प्रशासन के किसी बड़े अधिकारी ने सुध ली है.

चूरू. सरकारी कर्मचारी किस कदर मौत के साए में अपने परिवार के साथ सरकारी आवासों में रहता है, इसकी बानगी जिला मुख्यालय पर गुरुवार देर रात को सामने आई. यहां जिला परिषद निजी सहायक के सरकारी आवास की छत जमीन पर आ गिरी. परिवार के सदस्यों की माने तो घर की छत की पट्टियां देखते ही देखते चंद मिनटों में जमीन पर धराशाई हो गई.

सरकारी आवास की छत गिरी

बताया जा रहा है कि जिस वक्त यह हादसा हुआ, उस वक्त घर में निजी सहायक गोरखाराम सहित उनका दस सदस्यीय परिवार सरकारी क्वाटर में था. हादसे के वक्त सरकारी क्वार्टर में छोटे बच्चों सहित यह परिवार इस हादसे में बाल-बाल बच गया, वरना किसी भी बड़े हादसे से यहां इनकार नहीं किया जा सकता था.

सरकारी आवास की छत गिरी, Roof of government house collapsed
छत की पट्टियां हुई धराशाई

घर की छत गिरने से घर में रखा सामान तहस-नहस हो गया, किसी डर के बीच पूरा परिवार रात भर बरामदे में बैठा रहा. क्वार्टर के बाकी बचे हिस्से के गिर जाने के डर से इसी सिविल लाइन में मजिस्ट्रेट, चिकित्सक, पुलिस अधिकारी और तहसीलदार सहित कई बड़े अधिकारियों के भी यहां सरकारी आवास है.

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जानकारी के अनुसार 1976 में बने इन सरकारी आवासों के हालात यह है कि कई सरकारी क्वार्टर तो जर्जर हो चुके हैं, लेकिन यहां पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों ने कभी भी इनकी सुध नहीं ली और ना ही जिला प्रशासन के किसी बड़े अधिकारी ने सुध ली है.

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