चूरू. दिल्ली में सड़कों पर उतरे किसानों के समर्थन में सोमवार को जिला कलेक्ट्रेट के आगे अखिल भारतीय किसान सभा की अगुवाई में केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी और प्रदर्शन किया गया. इस दौरान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की गई.
प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा कि सरकार ने इन तीनों कृषि कानूनों को लाकर किसानों को बर्बाद करने का काम किया है. प्रदर्शन कर रहे अखिल भारतीय किसान सभा के जिला अध्यक्ष इंद्राज पूनिया ने कहा कि देश के 248 किसान संगठनों ने पिछले 19 दिनों से दिल्ली का घेराव कर रखा है. उन्होंने कहा कि 5 जून 2020 को संसद में केंद्र सरकार ने जो तीन कृषि कानून पास किए वो तीनों ही कानून किसान विरोधी हैं. आज पूरे देश का किसान एकजुट होकर संघर्ष कर रहा है. पिछले 2 महीने से पंजाब और हरियाणा का किसान प्रदर्शन कर रहा था और अब जब सुनवाई नहीं हुई तो ऑल इंडिया का किसान दिल्ली को घेरे बैठा है.
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प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से लाए गए इन कानूनों से सिर्फ पूंजीपतियों को ही फायदा है. प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने अपनी मांगों का मांग पत्र प्रधानमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को सौंपा और चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगे जल्द ही नहीं मानी जाती है तो किसान सड़कों पर उतर उग्र प्रदर्शन करेंगे. जिसकी समस्त जिम्मेदारी सरकार की होगी.
हनुमानगढ़ में भी जारी किसानों का प्रदर्शन
केंद्र के तीनों कृषि अध्यादेशों के खिलाफ किसानों ने सोमवार को हनुमानगढ़ जिला कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया और सभा कर केंद्र सरकार से तीनों कानून वापस लेने की मांग रखी. इस दौरान जिलेभर से सैंकड़ों किसान अपने-अपने वाहनों से कलक्ट्रेट पहुंचे.
किसान नेताओं ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए चेतावनी दी है कि सरकार किसानी और किसानों को खत्म कर कुछ घरानों की राजशाही वापस लाना चाहती है. ये कानून आने वाली पीढ़ियों के लिए नासूर साबित होगा, अगर ये कानून वापस नहीं लिए जाते हैं तो वो दिल्ली कूच करेंगे और दिल्ली को घेरकर वहां का राशन पानी सब बन्द कर देंगे.
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प्रदर्शन और सभा के दौरान किसानों ने लंगर भी लगाया और तीनों कानूनों को काला कानून बताते हुए केंद्र सरकार विरोधी नारे भी लगाए. सभा में कोरोना नियमों की भी जमकर अवहेलना की गई. अधिकतर प्रदर्शनकारी ना तो मास्क पहने हुए दिखे और ना ही सोशल डिस्टेंसिंग कहीं दिखाई दी. अब देखना होगा कि सरकार किसानों की मांगें मानती है या किसान सरकार की बात मानते हैं.