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चूरू में ड्राई रन बना महज औपचारिकता - Dry run became a formality in Churu

चूरू में कोरोना वैक्सीन को लेकर ड्राई रन किया गया. राज्य सरकार के निर्देश पर हो रहे इस ड्राई रन में टीके को छोड़कर सारी चीजें असली थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों की अनदेखी के चलते यहां यह पूर्वाभ्यास महज एक औपचारिकता बनकर रह गया.

चूरू में ड्राई रन बना औपचारिकता, Dry run became a formality in Churu
चूरू में ड्राई रन बना औपचारिकता
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Published : Jan 8, 2021, 5:05 PM IST

चूरू. कोरोना वैक्सीन को लेकर चल रहा ड्राई रन चूरू में महज एक औपचारिकता बनकर रह गया. राज्य सरकार के निर्देश पर हो रहे इस ड्राई रन में टीके को छोड़कर सारी चीजें असली थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों की अनदेखी के चलते यहां यह पूर्वाभ्यास महज एक औपचारिकता बनकर रह गया.

चूरू में ड्राई रन बना औपचारिकता

जिले में कोरोना वैक्सीन को लेकर यह ड्राई रन चूरू सहित तीन जगहों पर रखा गया था, लेकिन जिला अस्पताल के कोविड-19 आदर्श टीकाकरण केंद्र पर सुबह 10 बजे से एक बजे तक किए जा रहे इस ड्राई रन में कई खामियां नजर आई. नियमों और गाइडलाइन के तहत तो पहले यहां 6 चरणों की प्रक्रिया 45 मिनट में पूरी करनी थी, लेकिन हैरत की बात तो यह है कि यहां इन 6 चरणों की पूरी प्रक्रिया को किया ही नहीं गया.

ड्राईं रन के तहत यहां सबसे पहले एंट्री गेट पर गार्ड द्वारा टीका लगाने वाले व्यक्ति को नाम देखकर बुलाया जाना था, लेकिन यहां ड्राईं रन की इस समयावधि में टीकाकारण केंद्र के आगे एक बजे तक गार्ड ही नजर नहीं आया, जबकि नियमों के तहत गार्ड के पास सूची होनी थी और जिसे टीका लगाया जाना है, उसका गार्ड को नाम बोलना था नाम और पहचान चेक करने के बाद ही उसे वैक्सीनेशन सेंटर में प्रवेश दिया जाना था, रजिस्ट्रेशन एरिया में व्यक्ति की आईडी की जांच हो रही थी, लेकिन एंट्री गेट में प्रवेश करने वाले व्यक्ति हाथ सैनिटाइज नहीं कर रहे थे.

पढ़ेंः राजस्थान के भाजपा नेताओं ने जेपी नड्डा से की मुलाकात

तीसरे चरण में वेटिंग एरिया, यहां वैक्सीन लगवाने वाले व्यक्ति को इंतजार करना था और जब उसका नंबर आए तब उसे अंदर जाना था. यहां भी इस पूर्वाभ्यास में औपचारिकता दिखी. चौथे चरण यानी वैक्सीनेशन एरिया में आने वाले व्यक्ति को वैक्सीनेटर अफसर पोर्टल से मिले मैसेज के आधार पर वैक्सीन लगानी थी. यहां की प्रक्रिया संतोषजनक दिखी और प्रक्रिया से ही यह कार्य हुआ, लेकिन पांचवें चरण स्पेशल इमरजेंसी एरिया में 5 चिकित्साकर्मियों की टीम सहित अन्य का स्टाफ होना था, जो यहां नजर नहीं आया. छठे चरण ऑब्जरवेशन रूम का ही भी यहां कोई रोल नजर नहीं आया. जबकि वैक्सीन लगाने वाले हर व्यक्ति को 30 मिनट के लिए निगरानी में रख एग्जिट गेट से वैक्सिंग सेंटर से बाहर जाना था, जो यहां नहीं देखा गया.

चूरू. कोरोना वैक्सीन को लेकर चल रहा ड्राई रन चूरू में महज एक औपचारिकता बनकर रह गया. राज्य सरकार के निर्देश पर हो रहे इस ड्राई रन में टीके को छोड़कर सारी चीजें असली थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों की अनदेखी के चलते यहां यह पूर्वाभ्यास महज एक औपचारिकता बनकर रह गया.

चूरू में ड्राई रन बना औपचारिकता

जिले में कोरोना वैक्सीन को लेकर यह ड्राई रन चूरू सहित तीन जगहों पर रखा गया था, लेकिन जिला अस्पताल के कोविड-19 आदर्श टीकाकरण केंद्र पर सुबह 10 बजे से एक बजे तक किए जा रहे इस ड्राई रन में कई खामियां नजर आई. नियमों और गाइडलाइन के तहत तो पहले यहां 6 चरणों की प्रक्रिया 45 मिनट में पूरी करनी थी, लेकिन हैरत की बात तो यह है कि यहां इन 6 चरणों की पूरी प्रक्रिया को किया ही नहीं गया.

ड्राईं रन के तहत यहां सबसे पहले एंट्री गेट पर गार्ड द्वारा टीका लगाने वाले व्यक्ति को नाम देखकर बुलाया जाना था, लेकिन यहां ड्राईं रन की इस समयावधि में टीकाकारण केंद्र के आगे एक बजे तक गार्ड ही नजर नहीं आया, जबकि नियमों के तहत गार्ड के पास सूची होनी थी और जिसे टीका लगाया जाना है, उसका गार्ड को नाम बोलना था नाम और पहचान चेक करने के बाद ही उसे वैक्सीनेशन सेंटर में प्रवेश दिया जाना था, रजिस्ट्रेशन एरिया में व्यक्ति की आईडी की जांच हो रही थी, लेकिन एंट्री गेट में प्रवेश करने वाले व्यक्ति हाथ सैनिटाइज नहीं कर रहे थे.

पढ़ेंः राजस्थान के भाजपा नेताओं ने जेपी नड्डा से की मुलाकात

तीसरे चरण में वेटिंग एरिया, यहां वैक्सीन लगवाने वाले व्यक्ति को इंतजार करना था और जब उसका नंबर आए तब उसे अंदर जाना था. यहां भी इस पूर्वाभ्यास में औपचारिकता दिखी. चौथे चरण यानी वैक्सीनेशन एरिया में आने वाले व्यक्ति को वैक्सीनेटर अफसर पोर्टल से मिले मैसेज के आधार पर वैक्सीन लगानी थी. यहां की प्रक्रिया संतोषजनक दिखी और प्रक्रिया से ही यह कार्य हुआ, लेकिन पांचवें चरण स्पेशल इमरजेंसी एरिया में 5 चिकित्साकर्मियों की टीम सहित अन्य का स्टाफ होना था, जो यहां नजर नहीं आया. छठे चरण ऑब्जरवेशन रूम का ही भी यहां कोई रोल नजर नहीं आया. जबकि वैक्सीन लगाने वाले हर व्यक्ति को 30 मिनट के लिए निगरानी में रख एग्जिट गेट से वैक्सिंग सेंटर से बाहर जाना था, जो यहां नहीं देखा गया.

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