चूरू. सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है, कि लोगों को स्वस्थ रखने के लिए आसपास साफ-सफाई बनाए रखें. लेकिन यहां क्षेत्र को साफ-सुथरा रखना तो दूर आलम यह है, कि प्रशासनिक कार्यालयों में ही साफ सफाई नहीं है. जिला कलेक्ट्रेट के अटल सेवा केंद्र में संचालित जिला परिषद के भारत निर्माण सेवा केंद्र और सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग के भवनों में लगी पानी की टंकियां इतनी गंदी हैं, कि इसका पानी पीना तो दूर हाथ-मुंह धोने के काम में लेना भी खतरनाक साबित होगा. ईटीवी भारत ने अपने रियलिटी चेक में इन पानी की टंकियों का हाल जाना.
बता दें, कि चूरू जिला कलेक्ट्रेट परिसर में आम लोग पीने के लिए इन टंकियों के पानी का उपयोग करते हैं. लोग बिना जानकारी के गंदी टंकियों का पानी पी रहे हैं. लेकिन विभाग के अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान ही नहीं है. ऐसे ही हालात एसपी ऑफिस, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय और दूसरे कार्यालयों के भी हैं.
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अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए है प्यूरीफायर
जिला कलेक्टर कार्यालय में अधिकारियों के पीने के लिए आरओ वाटर, प्यूरीफायर लगे हुए हैं. लेकिन कार्यालय में आने वाली आम जनता को टंकी का गंदा पानी पीना पड़ता है. वहीं दूसरी तरफ अधिकारियों को इसकी जानकारी भी नहीं है, कि पानी की टंकियों की सफाई हो रही है या नहीं.
अधिकारी बोले, 'हमें जानकारी नहीं'
वहीं इसको लेकर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामस्वरूप चौहान ने कहा कि जिला परिषद कार्यालय की पानी की टंकियों की सफाई नहीं हो रही है. इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. वह इस मामले में जांच करवाएंगे और टंकियों की सफाई करवाएंगे. अगर कहीं से टूट-फूट है तो उसे भी ठीक कराया जाएगा.
सूचना प्रौद्योगिकी व संचार विभाग के सहायक निदेशक ने कहा, कि टंकियों को साफ करने की जिम्मेदारी किस व्यक्ति की है, इसकी भी जांच होगी. जल्द ही टंकियों की सफाई करवा दी जाएगी.
दूषित पानी से होती है बीमारियां
राजकीय डीबी अस्पताल के डॉक्टर नितेश तोषण ने बताया कि दूषित पानी पीने से उल्टी दस्त के साथ ही पेट की बीमारियां होने की संभावना ज्यादा रहती है. लंबे समय तक दूषित पानी पीने से लीवर भी खराब हो सकता है. टाइफाइड जैसी बीमारी भी दूषित पानी से होने की संभावना रहती है. ऐसे में इन सरकारी ऑफिसों में जाने वाले आम लोगों की सेहत और स्वास्थ्य की ओर किसी भी अधिकारी का कोई ध्यान ही नही है. यहां आने वाले लोग इन गंदी टंकियों का पानी पीने को मजबूर हैं.