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भोपा समाज... पहले टीवी और मोबाइल ने छीना रोजगार, रही सही कसर लॉकडाउन ने पूरी कर दी

अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा भोपा समाज आज जीवन यापन करने के लिए भी संघर्ष करते हुए दिखाई दे रहा है. विश्व प्रसिद्ध भोपा गायन करके अपनी रोजी-रोटी कमाते थे. लेकिन जैसे ही देश में लॉकडाउन लगा तो इस समाज की परेशानी बढ़नी शुरू हो गई. इन्हें बस अब सरकार से ही मदद की उम्मीद है.

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Published : Jun 8, 2020, 2:52 PM IST

Updated : Jun 8, 2020, 7:40 PM IST

चूरू का भोपा समाज, bhopa society of churu
अपने अस्तित्व को तलाशता भोपा समाज

सरदारशहर (चूरू). अपनी कला से विश्व में अपनी अलग पहचान बनाने वाले भोपा समाज के लोगों के लिए आज गुजारा करना भी मुश्किल हो गया है. कोरोना की मार कुछ ऐसी पड़ी की इनकी कमाई का सारा जरिया ही बंद हो गया.

जीवन यापन करने के लिए भोपा समाज कर रहा संघर्ष

रावण हत्थे के माध्यम से विश्व में अपनी पहचान बनाने वाला भोपा समाज आज अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. भोपा समाज के लोग अपने परिवार का पालन करने के लिए गोगा जी महाराज, पाबूजी महाराज की फड़ का वाचन और विश्व प्रसिद्ध भोपा संगीत गायन और जागरण करके अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं. लेकिन जैसे ही देश में लॉकडाउन लगा तो इस समाज की मुसीबतें बढ़नी शुरू हो गई.

चूरू का भोपा समाज, bhopa society of churu
भोपा समाज पर लॉकडाउन की मार

पढ़ेंः राज्यसभा चुनाव: आबूरोड के रिसोर्ट में ठहरे 22 विधायक, BJP के विरोध के बाद मौके पर पहुंची पुलिस

अपनी कला से रोजी-रोटी कमाने वाले भोपा समाज के लोग आज जीवन-यापन करने के लिए संघर्ष करते हुए दिखाई दे रहे हैं. क्योंकि लॉकडाउन लगने से जागरण बंद हो गए हैं. भोपा परिवार की महिलाएं और बच्चे कस्बे में रावण हत्थे के माध्यम से अपनी कला प्रस्तुत कर रोजी-रोटी का इंतजाम कर लेते थे. जिससे परिवार का गुजर-बसर हो जाता था. लेकिन कोरोना काल के चलते लगे लॉकडाउन के बाद यह परिवार अपनी झुग्गी झोपड़ियों में कैद होकर रह गया है.

चूरू का भोपा समाज, bhopa society of churu
नहीं हो पा रहा बच्चों के खाने का इंतजाम

शहर में इनका घर-घर जाना बंद हो गया जिसके चलते अब इनके सामने अपना परिवार पालने की मुसीबत खड़ी हो गई है. इनको परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इन भोपा परिवारों का कहना है कि या तो हमें सरकार जागरण लगाने की अनुमति दें या फिर हमारे लिए रोजगार की कोई व्यवस्था करें ताकि हम हमारे परिवार को पाल सकें.

चूरू का भोपा समाज, bhopa society of churu
लॉकडाउन में छीन गया रोजगार

पढ़ेंः पति ने कुल्हाड़ी से वार कर पत्नी को उतारा मौत के घाट...फिर खुद झूल गया फंदे पर

रावण हत्थे की धुन पर अपनी सुरीली आवाज से सभी का मन मोह लेने वाला भोपा समाज पहले ही आधुनिकता की चकाचौंध में अपनी कला को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है, इस पर अब इस कोरोना की मार ने इनकी रोजी-रोटी ही बंद कर दी. पहले जहां भोपा समाज के लोगों को सुनने वाले लोग हर गांव हर कस्बे हर शहर में मिल जाते थे. लेकिन टीवी और अब मोबाइल में इनकी कला को भारी नुकसान पहुंचाया है. पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी कला को आगे बढ़ाने वाला भोपा समाज आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. यदि सरकार इनकी मदद नहीं करती है तो शायद आने वाले समय में यह कला विलुप्त हो जाएगी.

सरदारशहर (चूरू). अपनी कला से विश्व में अपनी अलग पहचान बनाने वाले भोपा समाज के लोगों के लिए आज गुजारा करना भी मुश्किल हो गया है. कोरोना की मार कुछ ऐसी पड़ी की इनकी कमाई का सारा जरिया ही बंद हो गया.

जीवन यापन करने के लिए भोपा समाज कर रहा संघर्ष

रावण हत्थे के माध्यम से विश्व में अपनी पहचान बनाने वाला भोपा समाज आज अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. भोपा समाज के लोग अपने परिवार का पालन करने के लिए गोगा जी महाराज, पाबूजी महाराज की फड़ का वाचन और विश्व प्रसिद्ध भोपा संगीत गायन और जागरण करके अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं. लेकिन जैसे ही देश में लॉकडाउन लगा तो इस समाज की मुसीबतें बढ़नी शुरू हो गई.

चूरू का भोपा समाज, bhopa society of churu
भोपा समाज पर लॉकडाउन की मार

पढ़ेंः राज्यसभा चुनाव: आबूरोड के रिसोर्ट में ठहरे 22 विधायक, BJP के विरोध के बाद मौके पर पहुंची पुलिस

अपनी कला से रोजी-रोटी कमाने वाले भोपा समाज के लोग आज जीवन-यापन करने के लिए संघर्ष करते हुए दिखाई दे रहे हैं. क्योंकि लॉकडाउन लगने से जागरण बंद हो गए हैं. भोपा परिवार की महिलाएं और बच्चे कस्बे में रावण हत्थे के माध्यम से अपनी कला प्रस्तुत कर रोजी-रोटी का इंतजाम कर लेते थे. जिससे परिवार का गुजर-बसर हो जाता था. लेकिन कोरोना काल के चलते लगे लॉकडाउन के बाद यह परिवार अपनी झुग्गी झोपड़ियों में कैद होकर रह गया है.

चूरू का भोपा समाज, bhopa society of churu
नहीं हो पा रहा बच्चों के खाने का इंतजाम

शहर में इनका घर-घर जाना बंद हो गया जिसके चलते अब इनके सामने अपना परिवार पालने की मुसीबत खड़ी हो गई है. इनको परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इन भोपा परिवारों का कहना है कि या तो हमें सरकार जागरण लगाने की अनुमति दें या फिर हमारे लिए रोजगार की कोई व्यवस्था करें ताकि हम हमारे परिवार को पाल सकें.

चूरू का भोपा समाज, bhopa society of churu
लॉकडाउन में छीन गया रोजगार

पढ़ेंः पति ने कुल्हाड़ी से वार कर पत्नी को उतारा मौत के घाट...फिर खुद झूल गया फंदे पर

रावण हत्थे की धुन पर अपनी सुरीली आवाज से सभी का मन मोह लेने वाला भोपा समाज पहले ही आधुनिकता की चकाचौंध में अपनी कला को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है, इस पर अब इस कोरोना की मार ने इनकी रोजी-रोटी ही बंद कर दी. पहले जहां भोपा समाज के लोगों को सुनने वाले लोग हर गांव हर कस्बे हर शहर में मिल जाते थे. लेकिन टीवी और अब मोबाइल में इनकी कला को भारी नुकसान पहुंचाया है. पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी कला को आगे बढ़ाने वाला भोपा समाज आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. यदि सरकार इनकी मदद नहीं करती है तो शायद आने वाले समय में यह कला विलुप्त हो जाएगी.

Last Updated : Jun 8, 2020, 7:40 PM IST
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