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गणेश चतुर्थी स्पेशल: चूरू के तारागढ़ी गणेश जी को 11 सौ किलो के एकल मोदक का लगेगा भोग...

सोमवार को गणेश चतुर्थी पर चूरू के तारागढ़ी गणेश मंदिर में 11 सौ किलो के मोदक का प्रसाद चढ़ाया जाएगा. 17 हलवाइयों की टीम ने इस मोदक को दिन की मेहनत के बाद तैयार किया है.

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Published : Sep 1, 2019, 9:42 PM IST

Taragarhi Ganesh Temple, तारागढ़ी गणेश मंदिर

चूरू. जिला मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर देपालसर गांव के तारागढ़ी गणेश मंदिर में 11 सौ किलो के एकल मोदक का प्रसाद गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश के चढ़ाया जाएगा. रविवार शाम तक 17 हलवाइयों की टीम ने यह मोदक तैयार भी कर लिया. इस मोदक को बनाने में दो दिन लगे और इसकी लागत करीब तीन से साढ़े तीन लाख रुपए आई है.

गणेश जी के ग्यारह सौ किलो के एकल मोदक का लगेगा भोग

मोदक का प्रसाद गणेश चतुर्थी के दिन सुबह चार बजे भगवान गणेश को चढ़ाया जाएगा. उसके बाद में इस प्रसाद को भक्तों को वितरित किया जाएगा. मेले की आयोजन समिति का कहना है कि यह मोदक आयोजन समिति के सदस्यों के आर्थिक सहयोग से तैयार किया जाता है. इससे पहले मंदिर में मेले की तैयारियां भी पूरी कर ली गई. यहां पर शाम से ही भक्तों का आना शुरू हो गया.

पढ़ें- गणेश चतुर्थी स्पेशल: राजसमंद के मंशापूर्ण महागणपति मंदिर में होती है मनोकामना पूरी...पूरे देश में ऐसी प्रतिमा कही नहीं

मोदक की शुरुआत वर्ष 2001 में हुई थी
गणेश सेवा समिति के सदस्यों का कहना है कि एकल मोदक का प्रसाद चढ़ाने की शुरुआत इस मंदिर में करीब 18 साल पहले वर्ष 2001 में हुई थी. उस समय यहां पर एक सवामन यानी कि 60 किलो का एक लड्डू तैयार किया गया था. यहां पर भक्तों को प्रसाद चढ़ाने में कुछ दिक्कतों का सामना हुआ था. उसके बाद में यहां पर गणेश सेवा समिति ने ही एकल मोदक चढ़ाने का निर्णय लिया. बाद में बढ़ते - बढ़ते इस मोदक का वजन 11 सौ किलो तक पहुंच गया है.

पढ़ें- गणेश चतुर्थी स्पेशल : विघ्नहर्ता की प्रतिमाओं में अंकुरित बीज, विसर्जन के बाद उग आएगा पौधा...

मेले में दूसरे जिलों के भी आते हैं श्रद्धालु
तारागढ़ी के इस गणेश मंदिर पर गणेश चतुर्थी के मौके पर बनने वाले मेले में चूरू जिले से ही नहीं आसपास के सीकर, बीकानेर और झुंझुनू जिले से भी श्रद्धालु दर्शन करने आते है. खासकर इस ग्रामीण इलाके के आसपास के लोग चाहे वे कहीं भी हो गणेश चतुर्थी पर जरूर अपने गांव आते है.

पढ़ें- स्पेशल: घर-घर में विराजेंगे श्रीगणेश..मिट्टी की मूर्ति का ये है महत्व

गणेश चतुर्थी को लेकर समिति की हुई बैठक
गणेश चतुर्थी पर भरने वाले मेले की तैयारियों को लेकर रविवार को समिति के सदस्यों की एक बैठक हुई. जिसमें अध्यक्ष बहादुर फगेड़िया, सचिव विकास रणवां, सुरेश, रामलाल बुडानिया, सुशील लोहिया, विजय पूनिया और राजेश फोगाट सहित समिति के सदस्य मौजूद रहे.

चूरू. जिला मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर देपालसर गांव के तारागढ़ी गणेश मंदिर में 11 सौ किलो के एकल मोदक का प्रसाद गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश के चढ़ाया जाएगा. रविवार शाम तक 17 हलवाइयों की टीम ने यह मोदक तैयार भी कर लिया. इस मोदक को बनाने में दो दिन लगे और इसकी लागत करीब तीन से साढ़े तीन लाख रुपए आई है.

गणेश जी के ग्यारह सौ किलो के एकल मोदक का लगेगा भोग

मोदक का प्रसाद गणेश चतुर्थी के दिन सुबह चार बजे भगवान गणेश को चढ़ाया जाएगा. उसके बाद में इस प्रसाद को भक्तों को वितरित किया जाएगा. मेले की आयोजन समिति का कहना है कि यह मोदक आयोजन समिति के सदस्यों के आर्थिक सहयोग से तैयार किया जाता है. इससे पहले मंदिर में मेले की तैयारियां भी पूरी कर ली गई. यहां पर शाम से ही भक्तों का आना शुरू हो गया.

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मोदक की शुरुआत वर्ष 2001 में हुई थी
गणेश सेवा समिति के सदस्यों का कहना है कि एकल मोदक का प्रसाद चढ़ाने की शुरुआत इस मंदिर में करीब 18 साल पहले वर्ष 2001 में हुई थी. उस समय यहां पर एक सवामन यानी कि 60 किलो का एक लड्डू तैयार किया गया था. यहां पर भक्तों को प्रसाद चढ़ाने में कुछ दिक्कतों का सामना हुआ था. उसके बाद में यहां पर गणेश सेवा समिति ने ही एकल मोदक चढ़ाने का निर्णय लिया. बाद में बढ़ते - बढ़ते इस मोदक का वजन 11 सौ किलो तक पहुंच गया है.

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मेले में दूसरे जिलों के भी आते हैं श्रद्धालु
तारागढ़ी के इस गणेश मंदिर पर गणेश चतुर्थी के मौके पर बनने वाले मेले में चूरू जिले से ही नहीं आसपास के सीकर, बीकानेर और झुंझुनू जिले से भी श्रद्धालु दर्शन करने आते है. खासकर इस ग्रामीण इलाके के आसपास के लोग चाहे वे कहीं भी हो गणेश चतुर्थी पर जरूर अपने गांव आते है.

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गणेश चतुर्थी को लेकर समिति की हुई बैठक
गणेश चतुर्थी पर भरने वाले मेले की तैयारियों को लेकर रविवार को समिति के सदस्यों की एक बैठक हुई. जिसमें अध्यक्ष बहादुर फगेड़िया, सचिव विकास रणवां, सुरेश, रामलाल बुडानिया, सुशील लोहिया, विजय पूनिया और राजेश फोगाट सहित समिति के सदस्य मौजूद रहे.

Intro:चूरू। चूरू जिला मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर देपालसर गांव के तारागढ़ी गणेश मंदिर में 11 सौ किलो के एकल मोदक (लड्डू) का प्रसाद गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश के चढ़ाया जाएगा। रविवार शाम तक 17 हलवाइयों की टीम ने यह मोदक तैयार भी कर लिया। इस मोदक को बनाने में दो दिन लगे और इसकी लागत करीब तीन से साढ़े तीन लाख रुपए आई है।
मोदक का प्रसाद गणेश चतुर्थी के दिन सुबह चार बजे भगवान गणेश को चढ़ाया जाएगा। उसके बाद में इस प्रसाद को भक्तों को वितरित किया जाएगा। मेले की आयोजन समिति का कहना है कि यह मोदक आयोजन समिति के सदस्यों के आर्थिक सहयोग से तैयार किया जाता है। इससे पहले मंदिर में मेले की तैयारियां भी पूरी कर ली गई। यहां पर शाम से ही भक्तों का आना शुरू हो गया।


Body:मोदक की शुरुआत वर्ष 2001 में हुई थी
गणेश सेवा समिति के सदस्यों का कहना है कि एकल मोदक का प्रसाद चढ़ाने की शुरुआत इस मंदिर में करीब 18 साल पहले वर्ष 2001 में हुई थी। उस समय यहां पर एक सवामन यानी कि 60 किलो का एक लड्डू तैयार किया गया था। यहां पर भक्तों को प्रसाद चढ़ाने में कुछ दिक्कतों का सामना हुआ था, उसके बाद में यहां पर गणेश सेवा समिति ने ही एकल मोदक चढ़ाने का निर्णय लिया। बाद में बढ़ते - बढ़ते इस मोदक का वजन 11 सौ किलो तक पहुंच गया है।
मेले में दूसरे जिलों के श्रद्धालु भी आते है
तारागढ़ी के इस गणेश मंदिर पर गणेश चतुर्थी के मौके पर बनने वाले मेले में चूरू जिले से ही नहीं आसपास के सीकर, बीकानेर और झुंझुनू जिले से भी श्रद्धालु दर्शन करने आते है। खासकर इस ग्रामीण इलाके के आसपास के लोग चाहे वे कहीं भी हो गणेश चतुर्थी पर जरूर अपने गांव आते है।


Conclusion:समिति की बैठक भी हुई
गणेश चतुर्थी पर भरने वाले मेले की तैयारियों को लेकर रविवार को समिति के सदस्यों की एक बैठक हुई। जिसमें अध्यक्ष बहादुर फगेड़िया, सचिव विकास रणवां, सुरेश, रामलाल बुडानिया, सुशील लोहिया, विजय पूनिया और राजेश फोगाट सहित समिति के सदस्य मौजूद थे।
बाइट: एक, विजय पूनिया, सदस्य गणेश मेला समिति देपालसर विजय पूनिया का कहना है कि भगवान गणेश के एकल मोदक चढ़ाने की परंपरा वर्ष 2001 में शुरू हुई। उस समय 60 किलो का मोदक चढ़ाया गया था अब यह वजन बढ़ते- बढ़ते 11 सौ किलो तक पहुंच गया है। मोदक बनाने में इस समिति के सदस्यों का सहयोग रहता है।
बाइट दो- राजेश फोगाट, ग्रामीण।
गणेश चतुर्थी के मौके पर यहां आए ग्रामीण राजेश फोगाट का कहना है कि वे पास के ही गांव के हैं लेकिन गणेश चतुर्थी पर हर बार यहां भगवान गणेश के भरने वाली मेले में सेवा देने के लिए आते रहते हैं।
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