चूरू. हेड कॉन्सटेबल सत्यवीर सिंह का आरोप है कि उसकी बीमारी के बावजूद उसकी जिले के बाहर ड्यूटी लगाकर एएसपी लगातार मेंटली हैरेस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि नियमों के हिसाब से पीड़ित को रियायत दी जानी चाहिए.
हेड कॉन्सटेबल ने ये भी आरोप लगाए कि एएसपी उन्हें धमका रहे हैं जिसकी वजह से वे और उनका परिवार सदमे में हैं. जिला पुलिस के इस हेड कॉन्सटेबल ने अपने ही विभाग के एक उच्चाधिकारी पर प्रताड़ना देने के आरोप लगाकर आला अफसर के खिलाफ मोर्च खोल दिया है.
हेड कॉन्सटेबल सत्यवीर सिंह ने कहा कि अधिकारी के इस व्यवहार और प्रताड़ना के बाद अब वे और उनका पूरा परिवार मानसिक तनाव में हैं. चूरू पुलिस के 47 वर्षीय हेड कॉन्सटेबल सत्यवीर सिंह ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि जब वह पुलिस कंट्रोल रूम में थे और कंट्रोल रूम में पुलिसकर्मियों की संख्या कम होने के कारण व्यवस्था बनाए रखने में परेशानी होने लगी तो इस समस्या को लेकर वे एएसपी योगेंद्र फौजदार के पास गए.
सत्यवीर ने कहा कि उन्होंने योगेंद्र फौजदार को अपनी व्यथा सुनाई तो योगेंद्र फौजदार भड़क गए और हेड कांस्टेबल को जमकर खरी-खोटी सुनाई. साथ ही सेवानिवृत्ति लेने के लिए हेड कॉन्सटेबल को धमकाया. अपने ही विभाग के आला अधिकारी का ऐसा बर्ताव देख कर हेड कॉन्सटेबल मानसिक तनाव में आ गया. पीड़ित पुलिसकर्मी ने बताया कि इस घटना के कुछ दिन बाद ही उन्हें पुलिस कंट्रोल रूम से द्वेषतापूर्ण तरीके से हटाकर पुलिस लाइन भेज दिया गया. जबकि नियमानुसार उन्हें भेजा नहीं जा सकता था.
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हेड कॉन्सटेबल सत्यवीर ने बताया कि कंट्रोल रूम से हटाने के बाद भी उन्हें पुलिस लाइन में चैन से नहीं रहने दिया जा रहा है. उक्त आला अधिकारी की शह पर पुलिस लाइन में भी उन्हें मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा है. पीड़ित हेड कॉन्सटेबल ने बताया कि कुछ पुलिसकर्मियों की कड़ी जुड़ी हुई है, जो यह तय करते हैं कि इनकी ड्यूटी कहां लगाई जाए और इनके साथ क्या किया जाए. हेड कॉन्सटेबल सत्यवीर सिंह ने इन पुलिसकर्मियों पर चूरू एसपी को भी अंधेरे में रखने का आरोप लगाया है.
गम्भीर बीमारियों से ग्रसित
पीड़ित पुलिस के जवान ने कहा कि वह डायबिटीज पेशेंट है. हर रोज उन्हें इंसुलिन का इंजेक्शन लगता है. दिन में करीब 13 बार उन्हें अलग-अलग समय पर दवा लेनी पड़ती है. बीमारी का पता होने के बावजूद उनकी जिले से बाहर ड्यूटी लगाई जा रही है. जबकि नियमानुसार बीमार होने पर पुलिसकर्मी को बाहर ड्यूटी पर नहीं भेजा जा सकता. पीड़ित हेड कॉन्सटेबल ने बताया कि उनके बीमार रहने के कारण उनके परिजनों को उनके साथ रहना पड़ता है. यहां तक कि ड्यूटी के वक्त बार-बार उनका बेटा उन्हें संभालने आता है. क्योंकि वे अचानक बेहोश हो जाते हैं, बीपी-शुगर बढ़ जाता है.
साहब से नजदीकियां तो मेहरबानियां
पीड़ित हेड कॉन्सटेबल ने बताया कि पुलिस लाइन में ड्यूटी लगाने में भी भेदभाव किया जाता है. पुलिस लाइन में 45 से 50 ऐसे पुलिसकर्मी हैं जो स्वस्थ हैं, लेकिन अधिकारियों से मिलीभगत होने के चलते इनकी कभी भी ड्यूटी नहीं लगाई जाती. अगर सच्चाई जाननी हो तो गत 5 वर्षों का लाइन में रिकार्ड निकलवा लें, किससे कहां ड्यूटी करवाई गई, सारी सच्चाई सामने आ जाएगी.