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चूरू सीट पर गुटबाजी और विरोध के बाद भी राहुल कास्वां को टिकट...यह है वजह - BJP

चूरू लोकसभा सीट पर भाजपा ने एक बार फिर मौजूदा सांसद राहुल कास्वां पर भरोसा जताते हुए चुनाव मैदान में उतारा है. इस सीट पर तमाम गुटबाजी के बाद भी कास्वां को टिकट मिलने के पीछे कई कारण रहे हैं....

भाजपा ने चूरू लोकसभा क्षेत्र से राहुल कास्वां को दिया टिकट।
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Published : Mar 30, 2019, 4:14 PM IST

चूरू . भाजपा ने चूरू लोकसभा सीट पर लंबी खींचतान के बाद एक बार फिर से मौजूदा सांसद राहुल कस्वां को टिकट दिया है. पिछले कई दिनों से टिकट को लेकर दो दिग्गज नेताओं में आपस में खींचतान चल रही थी. इसी गुटबाजी के कारण कस्वां का नाम पहली सूची में फाइनल नहीं किया गया था. लेकिन, पार्टी स्तर पर किए मंथन और आंतरिक सर्व के दौरान राहुल कास्वां सबसे आगे रहे. यही वजह रही कि पार्टी ने मौजूदा सांसद पर दोबारा से दांव खेला है.

दरअसल, इस बार राहुल कस्वां के साथ ही भाजपा के कई दावेदार मैदान में थे. इनमें से भाजपा के कद्दावर नेता और आमेर विधायक सतीश पूनिया, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी देवेंद्र झाझड़िया, चूरू जिला प्रमुख हरलाल सहारण का नाम टिकट के लिए चल रहा था. चूरू से विधायक और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ का नाम भी इस सीट के लिए चला. लेकिन पार्टी स्तर पर हुए आंतरिक सर्वे में राहुल कास्वां नंबर एक पर रहे. बताया जा रहा है कि इसी वजह से पार्टी ने उनपर फिर से भरोसा जताया है. जानकारों का मानें तो राहुल कास्वां पर पार्टी ने कई कारणों से भरोसा जताया है. पहला यह कि कास्वां का आमजन के साथ जुड़ाव रहा है और ज्यादा विवादित नहीं रहे. आपको बता दें कि कास्वां ने पिछले लोकसभा चुनाव में करीब तीन लाख मतों से जीत हासिल की थी. इससे पहले राहुल कास्वां के पिता रामसिंह कस्वा यहां से लगातार तीन चुनाव जीत चुके हैं. राहुल को इस लोकसभा चुनाव में 6 लाख वोट मिले थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के अनिमेष महर्षि को 3 लाख वोट मिले थे.

चूरू . भाजपा ने चूरू लोकसभा सीट पर लंबी खींचतान के बाद एक बार फिर से मौजूदा सांसद राहुल कस्वां को टिकट दिया है. पिछले कई दिनों से टिकट को लेकर दो दिग्गज नेताओं में आपस में खींचतान चल रही थी. इसी गुटबाजी के कारण कस्वां का नाम पहली सूची में फाइनल नहीं किया गया था. लेकिन, पार्टी स्तर पर किए मंथन और आंतरिक सर्व के दौरान राहुल कास्वां सबसे आगे रहे. यही वजह रही कि पार्टी ने मौजूदा सांसद पर दोबारा से दांव खेला है.

दरअसल, इस बार राहुल कस्वां के साथ ही भाजपा के कई दावेदार मैदान में थे. इनमें से भाजपा के कद्दावर नेता और आमेर विधायक सतीश पूनिया, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी देवेंद्र झाझड़िया, चूरू जिला प्रमुख हरलाल सहारण का नाम टिकट के लिए चल रहा था. चूरू से विधायक और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ का नाम भी इस सीट के लिए चला. लेकिन पार्टी स्तर पर हुए आंतरिक सर्वे में राहुल कास्वां नंबर एक पर रहे. बताया जा रहा है कि इसी वजह से पार्टी ने उनपर फिर से भरोसा जताया है. जानकारों का मानें तो राहुल कास्वां पर पार्टी ने कई कारणों से भरोसा जताया है. पहला यह कि कास्वां का आमजन के साथ जुड़ाव रहा है और ज्यादा विवादित नहीं रहे. आपको बता दें कि कास्वां ने पिछले लोकसभा चुनाव में करीब तीन लाख मतों से जीत हासिल की थी. इससे पहले राहुल कास्वां के पिता रामसिंह कस्वा यहां से लगातार तीन चुनाव जीत चुके हैं. राहुल को इस लोकसभा चुनाव में 6 लाख वोट मिले थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के अनिमेष महर्षि को 3 लाख वोट मिले थे.

Intro:चूरू। भाजपा ने चूरू लोकसभा से लंबी खींचतान के बाद एक बार फिर से मौजूदा सांसद राहुल कस्वा को टिकट दिया है। पिछले कई दिनों से टिकट को लेकर दो दिग्गज नेताओं में आपस में खींचतान चल रही थी और इसी गुटबाजी के कारण कस्वा का नाम पहली सूची में फाइनल नहीं किया गया । राहुल कस्वा ने पिछले लोकसभा चुनाव में करीब तीन लाख मतों से जीत हासिल की थी। यह कस्वा की भाजपा की ओर से लगातार चौथी जीत थी इससे पहले राहुल कस्वा के पिता रामसिंह कस्वा यहां से लगातार तीन चुनाव जीत चुके थे। राहुल को इस लोकसभा चुनाव में 600000 वोट मिले थे जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के अनिमेष महर्षि को 300000 वोट मिले थे। कांग्रेस के प्रताप पूनिया तीसरे नंबर पर रहे थे।



Body:इस बार राहुल कस्वा के सामने भाजपा के कई दावेदार सामने थे। इनमें से भाजपा के कद्दावर नेता और आमेर विधायक सतीश पूनिया अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी देवेंद्र झाझड़िया और चूरू जिला प्रमुख हरलाल सहारण का नाम भी चल रहा था। चूरू से विधायक और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ का नाम भी इस सीट के लिए चला लेकिन सर्वे में राहुल कस्वा नंबर एक पर रहे इसी वजह से उनका टिकट फाइनल हुआ।


Conclusion:राहुल कस्वा पर पार्टी ने कई कारणों से भरोसा जताया है पहला कस्बा ने सांसद बनने के बाद रेल खेल और सड़कों के विकास कार्य करवाए दूसरा कस्वा आम लोगों से जुड़े रहे और ज्यादा विवादित नहीं रहे तीसरा कसवा ने 2014 का चुनाव अपनी पिता सांसद रामसिंह कस्वा के नाम पर लड़ा लेकिन जीत के बाद 5 साल में अपनी अलग पहचान बनाई इसी वजह से कस्बा पार्टी का टिकट लेने में कामयाब है
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