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कोरोना महामारी से लड़ने के लिए रामबाण साबित हो रहा है ये आयुर्वेदिक काढ़ा - Sardarshahar news

चूरू के सरदारशहर के भंवरलाल दूगड़ आयुर्वेद विश्व भारती महाविद्यालय ने एक ऐसा आयुर्वेदिक काढ़ा बनाया है. जो कोरोना से शरीर को लड़ने के लिए तैयार करता है. इस काढ़े की राजस्थान सहित अन्य राज्यों में मांग है.

decoction to fight with corona, चूरू न्यूज
सरदारशहर के आयुर्वेदिक महाविद्यालय बना रहा काढ़ा
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Published : May 10, 2020, 9:41 PM IST

सरदारशहर (चूरू). देश आज कोविड-19 महामारी के चपेट में है. ऐसे में बेहतर इम्युनिटी के साथ कोरोना से जंग लड़ा जा सकता है. इस संकट के समय में सरदारशहर के श्री भंवरलाल दूगड़ आयुर्वेद विश्व भारती महाविद्यालय की रसायनशाला ने एक आयुर्वेदिक काढ़ा बनाया है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है.

सरदारशहर के आयुर्वेदिक महाविद्यालय बना रहा काढ़ा

यह आयुर्वेद महाविद्यालय ब्रह्मलीन संत स्वामी श्री रामशरण जी महाराज ने 1955 ई. में सरदारशहर कस्बे में स्थापित में स्थापित किया था. इस रसायनशाला ने सर्वज्वरहर एंटीवायरल चूर्ण का निर्माण किया है. जो शरीर को किसी भी बिमारी से लड़ने के लिए तैयार करता है. वहीं इस काढ़े को अब तक 3 लाख 75 हजार लोगों को निःशुल्क वितरण किया गया है. साथ ही रसायनशाला के 315 कार्मिकों ने दिन-रात लगकर शहर और गांवों में घर-घर जाकर इस काढ़े को पिलाने का कार्य किया. इस सर्वज्वरहर काढ़े के चूर्ण का नुस्खा स्वर्गीय ए. नागराज ने बनाया था. यह नुस्खा उनके 800 साल से प्राचीन आयुर्वेद की परिवार परंपरा से मिला है.

decoction to fight with corona, चूरू न्यूज
मशीनों में पैक होता काढ़े का चूर्ण

कई बीमारियों में रामबाण

यह सर्वज्वरहर चूर्ण मयादी बुखार सहित सभी प्रकार बुखारों, भूख की कमी, सिरदर्द, श्वास में संक्रमण, दुर्बलता, कफ एवं खांसी में बहुत लाभकारी है. यह काढ़ा मानव की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर जीवाणु एवं विषाणु जनित संक्रमण से शरीर की रक्षा के लिए यह रामबाण औषधि की भांति काम कर रहा है. इस चूर्ण का सेवन शहद, चाय, कॉफी, दूध एवं काढ़े के रूप में किया जा सकता है.

यह भी पढ़ें. SPECIAL: आग बुझाते ही नहीं, पेट की 'आग' को शांत भी करते हैं फायर फाइटर्स

एक स्वस्थ व्यक्ति में प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने के लिए सुबह और शाम 1.5 ग्राम की मात्रा में 3 दिनों के लिए दी जा रही है. बता दें कि प्राकृतिक आपदाओं में इस आयुर्वेद कॉलेज के चिकित्सकों ने इसका उपयोग कश्मीर, उत्तराखंड और बाड़मेर में आई बाढ़ के समय किया. जिसका एक अच्छा असर देखने को मिला है. इसे बहुत प्रभावी पाया.

decoction to fight with corona, चूरू न्यूज
प्लांट में तैयार किया जा रहा चूर्ण

क्वॉरेंटाइन सेंटर में भर्ती व्यक्तियों को पिलाया गया काढ़ा

वहीं चूरू में क्वॉरेंटाइन हुए व्यक्तियों को भी यह काढ़ा दिया गया है. यह काढ़ा दिन में दो बार पिलाया जा रहा है, साथ ही श्वसन क्षमता बढ़ाने के लिए योगाभ्यास करवाया जा रहा है. वहीं संस्था ने सर्वज्वरहर चूर्ण की क्षमता को पहचानते हुए इसका बडे़ पैमाने पर उत्पादन एक संयत्र लगा कर प्रारंभ कर दिया गया है. जिससे राजस्थान के अन्य प्रभावित क्षेत्रों में ये उपलब्ध हो सके.

अन्य राज्यों में भी मांग

चुरु जिले के गांधी विद्या मंदिर, सरदारशहर में स्थित इस रसायनशाला के चूर्ण को राजस्थान आयुर्वेद की मान्यता प्राप्त है. इस काढ़े की राजस्थान के साथ ही गुजरात के अहमदाबाद और अन्य राज्यों में काफी मांग है. अहमदाबाद पुलिस प्रशासन ने राजस्थान के चुरु शहर से कोविड-19 संक्रमण से निपटने के लिए काढ़ा मंगवाया है. वहीं भीलवाड़ा के जिलाधिकारी और राजस्थान सरकार ने भी इसी तरह की पहल शुरू कर दी है.

सरदारशहर (चूरू). देश आज कोविड-19 महामारी के चपेट में है. ऐसे में बेहतर इम्युनिटी के साथ कोरोना से जंग लड़ा जा सकता है. इस संकट के समय में सरदारशहर के श्री भंवरलाल दूगड़ आयुर्वेद विश्व भारती महाविद्यालय की रसायनशाला ने एक आयुर्वेदिक काढ़ा बनाया है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है.

सरदारशहर के आयुर्वेदिक महाविद्यालय बना रहा काढ़ा

यह आयुर्वेद महाविद्यालय ब्रह्मलीन संत स्वामी श्री रामशरण जी महाराज ने 1955 ई. में सरदारशहर कस्बे में स्थापित में स्थापित किया था. इस रसायनशाला ने सर्वज्वरहर एंटीवायरल चूर्ण का निर्माण किया है. जो शरीर को किसी भी बिमारी से लड़ने के लिए तैयार करता है. वहीं इस काढ़े को अब तक 3 लाख 75 हजार लोगों को निःशुल्क वितरण किया गया है. साथ ही रसायनशाला के 315 कार्मिकों ने दिन-रात लगकर शहर और गांवों में घर-घर जाकर इस काढ़े को पिलाने का कार्य किया. इस सर्वज्वरहर काढ़े के चूर्ण का नुस्खा स्वर्गीय ए. नागराज ने बनाया था. यह नुस्खा उनके 800 साल से प्राचीन आयुर्वेद की परिवार परंपरा से मिला है.

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मशीनों में पैक होता काढ़े का चूर्ण

कई बीमारियों में रामबाण

यह सर्वज्वरहर चूर्ण मयादी बुखार सहित सभी प्रकार बुखारों, भूख की कमी, सिरदर्द, श्वास में संक्रमण, दुर्बलता, कफ एवं खांसी में बहुत लाभकारी है. यह काढ़ा मानव की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर जीवाणु एवं विषाणु जनित संक्रमण से शरीर की रक्षा के लिए यह रामबाण औषधि की भांति काम कर रहा है. इस चूर्ण का सेवन शहद, चाय, कॉफी, दूध एवं काढ़े के रूप में किया जा सकता है.

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एक स्वस्थ व्यक्ति में प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने के लिए सुबह और शाम 1.5 ग्राम की मात्रा में 3 दिनों के लिए दी जा रही है. बता दें कि प्राकृतिक आपदाओं में इस आयुर्वेद कॉलेज के चिकित्सकों ने इसका उपयोग कश्मीर, उत्तराखंड और बाड़मेर में आई बाढ़ के समय किया. जिसका एक अच्छा असर देखने को मिला है. इसे बहुत प्रभावी पाया.

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प्लांट में तैयार किया जा रहा चूर्ण

क्वॉरेंटाइन सेंटर में भर्ती व्यक्तियों को पिलाया गया काढ़ा

वहीं चूरू में क्वॉरेंटाइन हुए व्यक्तियों को भी यह काढ़ा दिया गया है. यह काढ़ा दिन में दो बार पिलाया जा रहा है, साथ ही श्वसन क्षमता बढ़ाने के लिए योगाभ्यास करवाया जा रहा है. वहीं संस्था ने सर्वज्वरहर चूर्ण की क्षमता को पहचानते हुए इसका बडे़ पैमाने पर उत्पादन एक संयत्र लगा कर प्रारंभ कर दिया गया है. जिससे राजस्थान के अन्य प्रभावित क्षेत्रों में ये उपलब्ध हो सके.

अन्य राज्यों में भी मांग

चुरु जिले के गांधी विद्या मंदिर, सरदारशहर में स्थित इस रसायनशाला के चूर्ण को राजस्थान आयुर्वेद की मान्यता प्राप्त है. इस काढ़े की राजस्थान के साथ ही गुजरात के अहमदाबाद और अन्य राज्यों में काफी मांग है. अहमदाबाद पुलिस प्रशासन ने राजस्थान के चुरु शहर से कोविड-19 संक्रमण से निपटने के लिए काढ़ा मंगवाया है. वहीं भीलवाड़ा के जिलाधिकारी और राजस्थान सरकार ने भी इसी तरह की पहल शुरू कर दी है.

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